पाकिस्तान ही नहीं, भारत में भी सुन्नी मुस्लिमों द्वारा अहमदी मुसलमानों को मुसलमान नहीं माना जाता, उन्हें कमतर या ‘काफिर’ तक माना जााता है। उन्हें उन सब चीजों में भाग लेने की मनाही है जिनमें सुन्नी भाग लेते हैं, यहां तक कि उनकी मस्जिदें भी अलग हैं। पाकिस्तान में तो इस अहमदी समुदाय पर सुन्नियों ने एक लंबे वक्त से निशाना साधा हुआ है। वहां उनकी कई मस्जिदों को गैरकानूनी ठहराकर तोड़ा जाता रहा है। भारत में भी यही सब करने की कोशिशें की जाती हैं। यहां आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड ने अहमदिया समुदाय के विरुद्ध घृणा फैलाने वाला एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसकी भारत सरकार की ओर से भर्त्सना की गई है।
आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड को पता है कि पाकिस्तान में किस तरह अहमदिया मुस्लिमों का दमन किया जा रहा है, उनकी मस्जिदों, मीनारों को तोड़ा जा रहा है तो भी, उसने यह विवादास्पद प्रस्ताव रखकर मामले को तूल देने की एक कोशिश जैसी की है। लेकिन भारत की मोदी सरकार का संबंधित मंत्रालय फौरन हरकत में आया है और उसने इस कृत्य की भर्त्सना की है।
भारत सरकार का अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय अहमदिया मुस्लिमों के विरुद्ध पारित किए गए उक्त प्रस्ताव पर सामने आया है। मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड की तरफ से अहमदिया समुदाय को लेकर हाल में पारित किए एक प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। दरअसल, वक्फ बोर्ड के इस प्रस्ताव में कहा गया है अहमदिया ‘काफिर’ और ‘गैर मुस्लिम’ होते हैं। लेकिन इस बात से भारत के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय में नाराजगी है। उसने वक्फ बोर्ड को साफ कहा है कि इस तरह का प्रस्ताव नफरत फैलाने जैसा है। इससे पूरे देश पर असर पड़ सकता है। जैसा पहले बताया, पाकिस्तान में तो कट्टर सुन्नी गुट खुलेआम अहमदिया समुदाय पर अपना गुस्सा उतारते रहे हैं। अहमदिया मुस्लिमों की इबादतगाहें अगल, उठाना—बैठना अलग, खान—पान अलग और रस्म—रिवाज, ईदें अलग होती हैं। उनकी मस्जिद, मस्जिद ही नहीं मानी जाती।
आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के इस प्रस्ताव में कहा गया है अहमदिया ‘काफिर’ और ‘गैर मुस्लिम’ होते हैं। लेकिन इस बात से भारत के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय में नाराजगी है। उसने वक्फ बोर्ड को साफ कहा है कि इस तरह का प्रस्ताव नफरत फैलाने जैसा है। इससे पूरे देश पर असर पड़ सकता है।
पाकिस्तान में तो अहमदिया समुदाय की मस्जिदों को तोड़े जाने की घटनाओं पर संयुक्त राष्ट्र ने संज्ञान लिया है। उसने पड़ोसी इस्लामी देश की शाहबाज शरीफ सरकार को खूब खरी—खोटी सुनाते हुए ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने को कहा है। वहां के मीडिया की रिपोर्ट है कि पाकिस्तान में पंजाब सूबे में तो अहमदिया मुसलमानों के विरुद्ध मानो एक अभियान ही चल रहा है। पाकिस्तान के सुन्नी कट्टरपंथी गुट तहरीक-ए-लब्बैक इस अभियान का सरगना बना हुआ है। उसने तो पिछले साल अहमदियाओं को ईद तक नहीं मनाने दी थी। पुलिस भी उनके साथ मिली हुई बताई जाती है जो घर—घर जाकर अहमदिया मुस्लिमों पर सख्ती करती है।
आजकल यही गुट अहमदिया मुस्लिमों की मस्जिदों पर कहर बरपा रहा है। उनकी मस्जिदों को खुद या पुलिस से तुड़वा रहा है। इसी गुट ने पिछले दिनों यह घोषणा की है कि ‘अहमदिया मस्जिदों पर कोई मीनार नहीं रहने दी जाएगी, या तो पुलिस उन्हें तुड़वा दे, नहीं तो हम तोड़ देंगे’। यह ‘मीनार तोड़ो’ अभियान आगामी 29 जुलाई से शुरू माना जाएगा। अभी पिछले दिनों झेलम जिले में एक अहमदिया मस्जिद की मीनारें तुड़वाई गई थीं। सौ से ज्यादा साल पुरानी उस मस्जिद की मीनारें खुद पुलिस ने तोड़ दी थीं।
भारत में भी सुन्नी मुसलमान कुछ ऐसी ही हरकतों को भड़काने की फिराक में दिखते हैं। आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव से कुछ ऐसा ही संकेत मिलता है, जिसे समय रहते भारत सरकार ने पहचानकर बोर्ड को सख्त संकेद दिया है। अहमदिया मुस्लिमों के विरुद्ध ऐसे नफरत फैलाने वाले शब्द या प्रस्ताव के प्रति कड़ी चेतावनी दी गई है।
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