दिल्ली सरकार को SC की फटकार, तीन साल में विज्ञापन पर 1100 करोड़ खर्च कर सकते हो तो रैपिड रेल प्रोजेक्ट पर क्यों नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए दो सप्ताह में 415 करोड़ दे दिल्ली सरकार

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WEB DESK

नई दिल्ली। रैपिड रेल प्रोजेक्ट मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए 2 हफ्ते में 415 करोड़ रुपये देने को कहा है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आपने तीन साल में विज्ञापन पर 1100 करोड़ खर्च किए, लेकिन आम लोगों से जुड़ी अहम परियोजना के लिए हिस्सा नहीं दिया। क्या हमें एक साल का विज्ञापन बजट जब्त करने का आदेश देना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 3 जुलाई को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए धन उपलब्ध कराने में असमर्थता व्यक्त करने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम जैसे प्रोजेक्ट्स फंड के कारण रुकने नहीं चाहिए। कोर्ट ने प्रोजेक्ट के लिए फंड मुहैया ना कराने पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली सरकार से 3 साल के विज्ञापनों पर खर्च का विस्तृत ब्योरा देने को कहा था।

दरअसल, 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर को पर्यावरण मुआवजा शुल्क के फंड से 500 करोड़ रुपये का योगदान देने का निर्देश दिया था। इस पर दिल्ली सरकार के असमर्थता जाहिर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आप सरकार के जरिये पिछले तीन सालों में दिए गए विज्ञापन की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

दरअसल, सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर के जरिए दिल्ली से मेरठ के बीच 82.15 किमी की दूरी 60 मिनट में तय होगी। 24 स्टेशनों वाला रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम कॉरिडोर दिल्ली में सरायकाले खां से मोदीपुरम, मेरठ तक बनाया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 31,632 करोड़ रुपये है।

(सौजन्य सिंडिकेट फीड)

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