अमेरिका में ही नहीं, दुनिया भर की विधायिकाओं और राजनीतिक ओहदे पर बैठे अधिकांश हिन्दूफोबिक इस्लामवादी प्रतिनिधियों की कोशिश रहती है कि विदेशों में सम्मानित हिन्दुओं के विरुद्ध कैसे नकारात्मक माहौल बनाया जाए। इसी का एक उदाहरण अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टेट सीनेट में दिखा। सीनेट की इस्लामवादी प्रतिनिधि ने एक ऐसा बिल सीनेट में प्रस्तुत किया जो ‘जातीय आधार पर भेदभाव का विरोध’ करने वाला बताया गया था। हालांकि इस तरह की कभी कोई चीज प्रवासी भारतीयों के बीच रही ही नहीं है। पिछले दिनों सीनेट में पारित हुए इस बिल को लेकर हिन्दू समाज में जबरदस्त आक्रोश उबल रहा है। इसे प्रवासी भारतीयों के बीच दरार डालने की एक चाल की तरह देखा जा रहा है।
इस बिल को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी के एक प्रवासी हिन्दू प्रतिनिधि का कहना है कि कैलिफोर्निया स्टेट में बेवजह एक नई समस्या खड़ी करने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि स्टेट में जातिगत भेदभाव जैसी कोई चीज कभी रही ही नहीं है। इसलिए यह बिल हिन्दू समाज में बेमतलब की दीवारें खड़ी करने, उसकी एकजुटता खत्म करने और हिंदूफोबिया को बढ़ावा देने की एक चाल है।
उल्लेखनीय है कि कैलिफोर्निया की सीनेट में आयशा वहाब पहली मुस्लिम प्रतिनिधि हैं। वहाब ने तीन माह पूर्व जातिगत अंतर पैदा करने वाला वह बिल सदन में रखा था। बिल को ‘जातीय भेदभाव पर रोक का हामी’ बताया गया था। जैसे ही अमेरिका में बसे हिंदू समाज को इस बिल का पता चला था, लोगों ने रैलियां निकालीं, गुस्से भरी प्रतिक्रिया सामने रखीं। हिन्दू इसे वैसी ही ओछी हरकत बता रहे हैं जैसी कभी भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के समाज में दीवारें खड़ी करने के लिए ‘बांटो और राज करो’ नीति के अंतर्गत की थी।
वहाब ने तीन माह पूर्व जातिगत अंतर पैदा करने वाला वह बिल सदन में रखा था। बिल को ‘जातीय भेदभाव पर रोक का हामी’ बताया गया था। जैसे ही अमेरिका में बसे हिंदू समाज को इस बिल का पता चला था, लोगों ने रैलियां निकालीं, गुस्से भरी प्रतिक्रिया सामने रखीं।
फ्रीमोंट नामक स्थान पर अभी पीछे इसी बिल के विरुद्ध एक कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। इसमें बड़ी संख्या में उपस्थित भारतीय-अमेरिकियों ने बिल को लेकर कड़ी प्रतिक्रियाएं दीं। उनका कहना था कि अमेरिका में बसे भारतीय समाज में इतनी एकजुटता है कि कोई किसी की जातिगत पृष्ठभूमि को न जानता है, न उसे लेकर कभी कोई भेदभाव किया जाता है। लेकिन आयशा चाहती हैं कि लोग, विशेषकर हिन्दू अपनी जातियों को ध्यान में रखकर आपस में व्यवहार करें!
उन्होंने कहा कि सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक नफे—नुकसान को ध्यान में रखकर यह बिल पारित कराया है। प्रवासी हिन्दुओं का कहना था कि जो लोग अपना इतिहास नहीं जानते, उनमें और और भविष्य की पीढ़ियों के अंदर ऐसा कदम एकजुटता के स्थान पर गुटों को बढ़ावा देगा। यह स्टेट में बसे हिंदू-अमेरिकियों को बांटने की शरारत से बढ़कर कुछ नहीं है।
एक प्रवासी हिन्दू ने कहा कि यह बिल भारतीय समुदाय के बढ़ते प्रभाव के विरुद्ध एक गहरी चाल है। हिन्दुओं ने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक दासता को लंबे समय तक भुगता है जो समाज को बांटने की वजह से आई थी। अब कैलिफोर्निया स्टेट सीनेट में ‘जातिगत भेदभाव प्रतिबंध’ संबंधी बिल लाना यहां बड़ी संख्या में बसे भारतवंशियों के जख्मों को हरा करने की एक कोशिश है।
इस कांफ्रेंस में विशेष रूप से उपस्थित डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता ऋषि कुमार का कहना था कि कैलिफोर्निया स्टेट में एक साजिश के तहत एक नई समस्या खड़ी की जा रही है। जातिगत भेदभाव जैसा यहां कभी कुछ रहा ही नहीं है, इसलिए इस जैसे बिल का विषय कहां से और क्यों आया? यह बिल हिन्दुओं को बांटने की एक चाल है। यह हिंदूफोबिया को हवा देकर हिन्दू समाज में दरार डालेगा। इससे हिंदुओं के विरुद्ध अपराध बढ़ेंगे।
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