ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे कराने की वाराणसी कोर्ट ने इजाजत दे दी है। यह फैसला आने के बाद अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बयान आया है। उन्होंने कहा कि ASI ने ही रामजन्मभूमि की खुदाई कर प्रमाणित किया था कि वहां मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। अब ASI को ज्ञानवापी का सर्वे करने के लिए दिया गया है, वहां भी ऐसा ही होगा। सर्वे करने का आदेश देने के लिए मैं कोर्ट को धन्यवाद देता हूं। सर्वे से मंदिर का स्वरूप स्पष्ट हो जाएगा।
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि यह निश्चित है कि वहां मंदिर को तोड़ करके ही मस्जिद बनी है, जो अभी भी प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है। आधे भाग में आज भी मंदिर के अवशेष दिखाई देते हैं और आधे में मस्जिद बनाई गई है। वहां स्वयं नंदी विराजमान हैं। उन्होंने कहा कि तमाम साक्ष्य हैं, सर्वे से और साक्ष्य समाने आ जाएंगे। फिर कोर्ट को आदेश देने में किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। एएसआई सर्वे का आदेश देने के लिए कोर्ट धन्यवाद का पात्र है।
बता दें कि शुक्रवार को वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी मूल वाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सर्वे की मंजूरी दे दी है। एएसआई को 4 अगस्त तक कोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है। फैसला सुनाते हुए जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने मां श्रृंगार गौरी मूल वाद में ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर बैरिकेडिंग वाले क्षेत्र का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से रडार तकनीक से सर्वे कराने का आदेश दिया है। कोर्ट का फैसला आने के बाद हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण से सच्चाई सबके सामने आएगी। कोर्ट कमिश्नर के सर्वे में परिसर के अंदर हिन्दू धर्म से जुड़े तमाम तथ्य मिले थे। यह फैसला देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
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