वाराणसी। वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी मूल वाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सर्वे की मंजूरी दी है। मुस्लिम पक्ष ने एएसआई सर्वे का विरोध किया था। एएसआई को 4 अगस्त तक कोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है।
ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी मामले में वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने मां श्रृंगार गौरी मूल वाद में ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर बैरिकेडिंग वाले क्षेत्र का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से रडार तकनीक से सर्वे कराने का आदेश दे दिया है।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण से सच्चाई सबके सामने आएगी। कोर्ट कमिश्नर के सर्वे में परिसर के अंदर हिन्दू धर्म से जुड़े तमाम तथ्य मिले थे। आज का फैसला देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है। एएसआई द्वारा सर्वेक्षण को लेकर तमाम विशेषज्ञ आएंगे। 4 अगस्त को अगली तारीख है, और एएसआई की टीम बताएगी कि आगे की सर्वे प्रक्रिया कैसे होगी।
हिंदू पक्ष की ओर से वजूखाने को छोड़कर 16 मई को वादिनी सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी की तरफ से दिए गए आवेदन पर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने एएसआई सर्वे का आदेश दे दिया है। ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण होगा।
सर्वे में बिना क्षति पहुचाएं पत्थरों, देव विग्रहों, दीवारों सहित अन्य निर्माण की उम्र का पता लग जाएगा। वहीं, विपक्षी अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने सर्वे कराने के आवेदन का विरोध किया था। दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई से सर्वे कराने के प्रार्थना पत्र पर डॉ. अजयकृष्ण विश्वेश की कोर्ट में सुनवाई के बाद अदालत ने अंजुमन इंतजामिया और हिंदू पक्ष की दलीलों को सुनकर आदेश को सुरक्षित रख लिया था। आज आदेश आने के बाद आगे की प्रक्रिया एएसआई पूर्ण करेगा।
बताते चले कि, पिछले साल 16 मई को सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी परिसर में हिन्दू पक्ष ने शिवलिंग मिलने की बात कही थी। हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि 16 मई 2022 को ज्ञानवापी परिसर के एडवोकेट कमिश्नर सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिला था। चारों महिलाएं पहले से ही ज्ञानवापी के शृंगार गौरी केस की वादी हैं।
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