इज्जत पर कुर्बान की जा रहीं मुस्लिम लड़कियां, लेबनान से लेकर अफगानिस्तान तक संघर्ष और पीड़ा

पूरे इस्लामी जगत में कुछ घटनाओं पर दृष्टि डालें, तो बहुत सी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जो मुस्लिम लड़कियों पर हुए अत्याचारों की कहानी कहती हैं।

Published by
सोनाली मिश्रा

भारत में इन दिनों हिजाब को लेकर ग्लोरिफिकेशन का दौर चालू है और यह कहा जा रहा है कि मुस्लिम लड़कियां खुद ही इसे पहचान के नाम पर पहनना चाहती हैं। मगर जब मुस्लिम देशों में घट रही घटनाओं पर दृष्टि डाली जाए तो एक ऐसी दुनिया दिखाई देती है, जिसमें घुटन है, शर्म है और इज्जत के नाम पर हत्या है। पिछले दिनों पूरे इस्लामी जगत में हुई कुछ घटनाओं पर दृष्टि डालते हैं तो बहुत ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जो मुस्लिम लड़कियों पर हुए अत्याचारों की कहानी कहती हैं।

सबसे हैरत की बात यही है कि यह अत्याचार उन पर कोई बाहरी नहीं कर रहा, कोई दूसरे मजहब वाला नहीं कर रहा और कोई ऐसा व्यक्ति नहीं कर रहा है, जिस पर वह भरोसा नहीं करती। फिर यह सब कौन कर रहा है और विमर्श में यह सब क्यों नहीं आ रहा है ? क्यों जब भारत में मुस्लिम लड़कियों को यह कहते हुए सुना जाता है कि हिजाब उनके लिए चॉइस की बात है, तो उस चॉइस के खतरे क्या है, उस पर मुस्लिम जगत में बात नहीं होती। क्या यह चॉइस हमेशा के लिए उसके जीवन पर छा जाएगी ? इस प्रश्न और आशंका पर बात नहीं होती है।

17 जून को सोमालिया की एक महिला के साथ उसके भाई ने इस कारण जमकर मारपीट की कि उसने टिकटॉक पर हिजाब के बिना ही वीडियो बनाया था। मीडिया के अनुसार @hafsaqueendjibouti नाम से टिकटॉक पर वीडियो बनाने वाली महिला के अधिकांश वीडियो हिजाब में ही होते थे, परन्तु एक वीडियो में उसने हिजाब हटा दिया और उसके बाद उसने अपने सूजे हुए चेहरे के साथ वीडियो अपलोड किया था, उसके दो तीन दिनों के बाद उसने यह कहते हुए वीडियो अपलोड किया कि उसके भाई ने उसके साथ मारपीट की थी क्योंकि उसने हिजाब नहीं पहना था।

मीडिया के अनुसार उसके इस वीडियो पर लोगों ने उसके भाई की तारीफें की कि वह कितना अच्छा है। https://www.eviemagazine.com पर प्रकाशित इस समाचार में भी यही तथ्य उठाया गया है कि हालांकि पश्चिमी देशों में यह कहते हुए हिजाब को जस्टिफाई किया जाता है कि यह मजहबी पहचान के लिए है और यह महिलाओं की चॉइस पर निर्भर करता है, परन्तु ऐसी घटनाएं यह सोचने के लिए विवश करती है कि क्या यह वास्तव में चॉइस की बात है?

और इसमें यह भी प्रश्न किया गया है कि इस घटना पर, जो एक महिला की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और उसकी अस्मिता से जुड़ी घटना है, पश्चिम का वामपंथी मीडिया मौन क्यों है ? फिर लिखा गया है कि वह इसलिए मौन है क्योंकि उस खुद पर इस्लामोफोबिक का ठप्पा लगने का भय है।

परन्तु यह एकमात्र घटना नहीं है जिस पर वामपंथी मीडिया इस्लामोफोबिक का ठप्पा लगने के कारण मौन है, बल्कि एक और इससे भयानक घटना है। यास्मीन मोहम्मद नामक लेखिका ने एक ट्वीट किया कि ईराक में एक नौ साल की बच्ची की उसके अब्बा ने इस कारण हत्या कर दी क्योंकि उसने टिकटॉक पर वीडियो पोस्ट किया था।

मोहम्मद ने इसी पर्दे को लेकर एक किताब लिखी है unveiled और उन्होंने तमाम उन घटनाओं के विषय में लिखा है, जो उनके साथ हुई थीं। जैसे कुरआन की सूरा को याद न करने के चलते छह वर्ष की उम्र में उनकी डंडी से पिटाई होना आदि!

वह ट्विटर पर भी मुखर हैं एवं तमाम घटनाओं को लिखती रहती हैं। प्रश्न उठाती रहती हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में प्रदर्शन करती उन महिलाओं के विषय में भी लिखा है, जो लगातार अपने साथ होते हुए अन्याय के विरुद्ध आंदोलन कर रही हैं। हाल ही में तालिबान ने ब्यूटीपार्लर्स पर प्रतिबन्ध लगा दिया है और यह अफगान महिलाओं की आजीविका का बहुत बड़ा स्रोत थे और इस बात को लाकर महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया है।

एक और घटना लेबनान से आई है। इसमें एक छ वर्ष की बच्ची को उसके ही नाना ने अपनी हवस का शिकार बना लिया था और फिर जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गयी। स्थानीय मीडिया और एक्टिविस्ट के अनुसार छ वर्षीय बच्ची के माता पिता का तलाक हो चुका था और उसके बाद उसकी अम्मी अपने अम्मी-अब्बू के घर आकर रहने लगी थी।

एक दिन उसकी अम्मी उसे लेकर डॉक्टर के पास गयी थीं, उसे बहुत तेज बुखार होने के बाद भी उसकी अम्मी उसे वापस लेकर आ गयी थी। बाद में वह मृत पाई गयी। डॉक्टर्स के अनुसार उसकी मृत्यु अधिक रक्तस्राव के चलते हुई थी। उसकी अम्मी को अपराध को छिपाने के कारण गिरफ्तार किया गया था और अब उसके ग्रांडफादर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

लेबनान में उस बच्ची की हत्या हुई तो भारत के बगल में पाकिस्तान में ही अफगानिस्तान की एक गायिका, जिसने पाकिस्तान में शरण ली हुई थी, की हत्या अज्ञात लोगों ने कर दी। हसिबा नूरी, जो अफगानिस्तान की लोक गायिका थीं, उनकी हत्या पेशावर में अज्ञात हमलावरों ने कर दी।

यद्यपि पाकिस्तान में जिस प्रकार से हिन्दू महिलाओं और लड़कियों के साथ जो होता है, वह भी विमर्श में नहीं आ पाता। एक सीमा हैदर के मामले के चलते पाकिस्तान में सिंध में हिन्दुओं के प्रति अत्याचार बढ़ गए, मंदिर पर हमले हुए! मगर विमर्श में कुछ भी नहीं है!

हां, यदि भारत में शैक्षणिक संस्थानों में मात्र यूनिफॉर्म के आधार पर हिजाब से इंकार कर दिया जाता है, तो भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है, का विमर्श पूरी दुनिया में छा जाता है और मुस्लिम देशों में जब मुस्लिम लड़कियां अपनों का ही शिकार होती रहें, तो वह विमर्श से परे हो जाता है!

 

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