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शिव की भक्‍ति ले आई सनातन की ओर, रुबाना बनी रक्षा, प्रतीक बने जीवनसाथी, अब माता पार्वती मां और महादेव पिता

शिवभक्त प्रतीक सोलंकी से किया विवाह, पूरे सावन कर रहीं ओम् नम: शिवाय का जाप

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
Jul 19, 2023, 08:14 am IST
in मध्य प्रदेश
रक्षा और प्रतीक सोलंकी

रक्षा और प्रतीक सोलंकी

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खंडवा। शिव सत्‍य हैं, सुन्‍दर हैं और सनातन हैं। जब उनकी भक्‍ति किसी के अंतस में समाहित होती है तो वह शिव का ही हो जाता है। यह कहानी बुरहानपुर में जन्‍मी और बड़ी हुई रुबाना खान की है , जो अब सनातन धर्म में वापसी कर पुन: हिन्‍दू बन गई हैं। वह अब रक्षा के नाम जानी और पहचानी जाती हैं। सावन के पवित्र माह में वह भगवान शिव की आराधना में लगी हुई हैं। यह भी शिव इच्छा ही है कि उनकी जब शादी की उम्र हुई तो उन्‍हें जो वर पसंद आया वह भी शिवभक्‍त है। दोनों ने इसे ईश्‍वर की विशेष कृपा मानी और खुशी-खुशी विवाह बंधन मे बंध गए।

बुरहानपुर के रहनेवाले प्रतीक सोलंकी और रक्षा ने इसी सावन महीने में विवाह किया है। खंडवा के प्राचीन शिव मंदिर महादेवगढ़ में अपने आराध्‍य की पूजा-अर्चना करने ये दम्‍पत्‍त‍ि बुरहानपुर से चलकर खंडवा आए और यहां महादेवगढ़ में सावन के दूसरे सोमवार को इस नवयुगल ने भगवान भोलेनाथ की आरती कर उनकी विशेष अनुकंपा प्राप्‍त की।

शिव आराधना के लिए अपनाया हिन्‍दू धर्म

रक्षा कहती हैं कि उन्होंने सनातन धर्म इसलिए अपनाया क्योंकि उन्हें सनातन से लगाव है। भगवान शिव का चरित्र चित्रण अचंभित करता है। हिन्‍दू धर्म में विवाह करने के पीछे का उद्देश्‍य भी यही है कि वह भगवान शिव की आराधना कर सकें। प्रतीक भी शिवभक्‍त हैं।

सनातन हिन्‍दू धर्म में ईश्‍वर आराधना के हैं अनेक रूप

रक्षा कहती हैं कि हिन्‍दू धर्म में विराटता एवं मन की व्‍यापकता है, वह उसे हमेशा से आकर्ष‍ित करती रही है, जैसे कि आप किसी भी देवता को मानें, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। ईश्‍वर आराधना के अनेक रूप यहां हैं, इसमें कोई विवाद भी नहीं। जरूरी नहीं कि जो मुझे पसंद है, वह सामनेवाले को भी हो, इसलिए यहां किसी पर विचार थोपे नहीं जाते हैं। साल भर कुछ न कुछ उत्‍सव हिन्‍दू धर्म में होते हैं, खुशी के पल खोजने नहीं पड़ते, वह आपके जीवन में धर्म के साथ जुड़े हुए हैं। ऐसे में मैंने हिन्‍दू धर्म अपनाने का मन बना लिया था, फिर जब प्रतीक जीवन में आए तो लगा यह भगवान महादेव की मुझ पर विशेष कृपा हुई है।

महादेव की कृपा पाने महादेवगढ़ जाकर किया सावन में विवाह

महादेवगढ़ मंदिर के संरक्षक अशोक पालीवाल कहते हैं कि रक्षा का मन शुरू से ही सनातन के प्रति प्रेममय है, इसलिए वो यहां आईं। सनातन की कई परम्‍पराएं अच्‍छी लगती थीं, क्‍योंकि उनकी सहेलियां जिस प्रकार से तीज-त्‍यौहार मनाती थीं, लेकिन वह दूसरे मत की होने के कारण से उसे नहीं मना पाती थीं।

अब माता पार्वती उनकी मां और महादेव उनके पिता

रक्षा कहती हैं कि अब माता पार्वती उनकी मां हैं और महादेव उनके पिता हैं। उनकी इच्‍छा थी कि मां नर्मदा के दर्शन लाभ के बाद गंगा स्‍नान करें, इसलिए वह अभी हरिद्वार जाकर वापस आई हैं। उन्‍होंने सिर्फ सनातन के प्रति अपनी आस्‍था एवं समर्पण का भाव ही नहीं दिखाया है बल्‍कि पाकिस्‍तान में जो हिन्‍दू बहनों के साथ घट रहा है, उसका भी विरोध किया और पाकिस्‍तान का पुतला दहन किया है ।

महादेवगढ़ मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र

मध्‍य प्रदेश में खंडवा का महादेवगढ़ मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां सावन के शिव माह में विशेष धार्म‍िक आयोजन होते हैं। देश भर से और विदेश से भक्‍त आकर यहां अपनी कामना पूर्ति के लिए महादेव और मां पार्वती के समक्ष प्रार्थना करते हैं। यह मंदिर अति प्राचीन है, कब इसका निर्माण हुआ, कितना पुराना है, इसके बारे में सभी का कहना यही है कि हमारे बुजुर्ग यही बताते आ रहे हैं कि यह मंदिर बचपन से वे देखते आए हैं, उनकी पीढ़ियां भी इस मंदिर को इसी तरह से देखती रही हैं।

Topics: खंडवाSanatan Dharmaअपनाया हिंदू धर्मशिव की भक्‍तिरुबाना खान बनी रक्षामहादेवगढ़Devotion to ShivaRubana Khan became Rakshaadopted Hinduismसनातन धर्मMahadevgarhKhandwa
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