चंद्रयान पर गर्व के स्थान पर व्यवस्थागत विफलता का उपहास? क्यों कलात्मक स्वतंत्रता के नाम पर उपलब्धि का बार-बार उपहास?
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चंद्रयान पर गर्व के स्थान पर व्यवस्थागत विफलता का उपहास? क्यों कलात्मक स्वतंत्रता के नाम पर उपलब्धि का बार-बार उपहास?

भारत में हाल ही में दो घटनाएं महत्वपूर्ण हुई हैं, जिनमें एक गर्व से भरने वाली है तो दूसरी प्राकृतिक आपदा

by सोनाली मिश्रा
Jul 18, 2023, 04:25 pm IST
in भारत
टाइम्स ऑफ इंडिया के लाइन ऑफ नो कंट्रोल में प्रकाशित

टाइम्स ऑफ इंडिया के लाइन ऑफ नो कंट्रोल में प्रकाशित

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भारत में हाल ही में दो घटनाएं महत्वपूर्ण हुई हैं, जिनमें एक गर्व से भरने वाली है तो दूसरी प्राकृतिक आपदा। और प्राकृतिक आपदा अर्थात बाढ़ मात्र भारत में ही नहीं आई है, बल्कि पूरा विश्व इससे प्रभावित है। परन्तु इसकी आड़ लेकर अपने ही देश की उपलब्धियों का उपहास कहां तक उचित है?

भारत ने अंतरिक्ष में चंद्रयान 3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह ऐसा अभियान था, जिसने प्रत्येक देशवासी के हृदय में गर्व का भाव भर दिया। वह क्षण कि हम भी कथित विकसित देशों की आँखों में आँखें डालकर बहुत कुछ कह सकते हैं !

परन्तु भारत में कुछ कथित ऐसे बौद्धिक लोग हैं, या कहें रचनात्मक लोग हैं, जो अपने कलात्मक सहयोग के अभिनय के माध्यम से एक ऐसा अभियान संचालित करते हैं, जिसमें उपलब्धि को नीचा दिखा दिया जाता है। ऐसा प्राय: अंग्रेजी औपनिवेशिक सोच वाले मीडिया करते हैं, और ऐसा विदेशी मीडिया द्वारा किया जा रहा था, जैसा हमने मंगल मिशन के समय न्यूयॉर्क टाइम्स में देखा था कि उन्होंने उपहास उड़ाया था। मगर चंद्रयान 3 के समय अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करते समय टाइम्स ऑफ इंडिया के लाइन ऑफ नो कंट्रोल में ऐसे कार्टून प्रकाशित हुए हैं, जिनसे गौरवपूर्ण उपलब्धि एजेंडे तक सीमित हो गई। इसे लेकर दो कार्टून प्रकाशित हुए हैं। जिनको लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग गुस्सा हैं और पूछ रहे हैं कि ऐसा कार्टून उन्होंने क्यों बनाया?

इस कार्टून में उन्होंने राकेट साइंस की प्रशंसा करते हुए बाढ़ के समय ड्रेनेज प्रणाली की विफलता पर प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने लिखा –

“वाह, मगर वह फिर अपनी ड्रेनेज प्रणाली और शहरी नियोजन को ठीक क्यों नहीं कर सके?”
“क्योंकि यह राकेट साइंस नहीं था!”

यह सत्य है कि भारत इस समय बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है, परन्तु ऐसे समय में जब भारत चंद्रयान 3 की सफलता की ओर गौरवान्वित होना चाहता है, तो इस समय ऐसे कहना कि शहरी नियोजन विफल है, कहीं न कहीं उपलब्धि के प्रति हीनता का बोध विकसित करने का कदम है।
इसे लेकर यही बात आम लोगों ने twitter पर कही कि यह कैसा अपमानजनक कार्टून है?


परन्तु इसके बाद इसी उपलब्धि को लेकर एक बार फिर से राजनीतिक या कहें अजीब एजेंडा चलाने का असफल प्रयास किया गया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा के एक वक्तव्य को लेकर था, जिसमें वह कह रहे थे कि सब्जियों की महंगाई के लिए मियाँ व्यापारी ज़िम्मेदार हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि मियाँ व्यापारियों के चलते महंगाई बढ़ रही है। मियाँ व्यापारी गुवाहाटी में असमिया लोगों से सब्जियों की ज्यादा कीमत वसूल कर रहे हैं। गावों में सब्जियों के दाम कम हैं। और अगर असमिया व्यापारी व्यापार करेंगे तो दाम कम होंगे!”

असम में मियाँ समुदाय का अर्थ उन बांग्लादेशी मुस्लिमों से लिया जाता है जो घुसपैठ करके भारत में आए हैं। उन्होंने मुस्लिमों के विरुद्ध कुछ नहीं कहा था, उन्होंने मियाँ व्यापारियों को लेकर चिंता व्यक्त की थी। मगर कहीं न कहीं उनकी इसी बात को लेकर चंद्रयान 3 की उपलब्धि को घेरने का प्रयास किया।

यह चित्र एक ऐसी उपलब्धि को धूमिल करने का प्रयास है जिसे भारत के वैज्ञानिकों ने कड़े श्रम के बाद प्राप्त किया है। साथ ही यह भारत की राजनीति को भी अपमानित करने का प्रयास है क्योंकि हाल ही में भारत को लेकर सऊदी अरब के मशहूर इस्लामिक विद्वान और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव मोहम्मद क्रीम अल इस्सा ने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा था कि भारत हमेशा से ही अनेकता में एकता वाला देश रहा है और भारत सह अस्तित्व का एक मॉडल है।

राजनीति और राष्ट्रीय गर्व को अलग-अलग रखा जाता है और रखा गया है, फिर भी ऐसी क्या विवशता है कि कलात्मक स्वतंत्रता के नाम पर उपलब्धि को ही प्रश्नचिह्नों से भर दिया जाता है।

Topics: टाइम्स ऑफ इंडियालाइन ऑफ नो कंट्रोलtimes of indialine of no control
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