पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तगड़ा झटका लगा है। उनकी पीटीआई पार्टी के वे नेता जो कभी उनके नजदीकी और हमराज माने जाते थे आज बागी हो चुके हैं। 9 मई के हिंसात्मक उत्पात और उसके बाद सेना की धरपकड़ से बिलबिलाए पार्टी नेताओं ने इमरान ही नहीं, पीटीआई से भी किनारा कर लिया था। अब उन्हीं बागियों में से एक ने नई पार्टी बना ली है। इतना ही नहीं, उस नेता ने अपने साथ 57 से ज्यादा पूर्व सांसदों के साथ का बड़ा दावा किया है।
पेशावर में कल पूर्व पीटीआई नेता परवेज खट्टक ने एक समारोह में अपनी नई पार्टी के गठन की मुनादी की। हैरानी की बात कि कई पूर्व सांसदों के उनके साथ होने के दावे की पुष्टि करते हुए अनेक पूर्व सांसद भी कार्यक्रम में पहुंचे थे। ये सभी पहले पीटीआई के ‘स्तम्भ’ कहे जाते थे। 73 साल के परवेज खट्टक का कहना था कि पीटीआई के पूर्व सांसद ही नहीं, अनेक पूर्व विधायकों ने ‘9 मई की घटना की वजह से’ पार्टी छोड़ी है। जबकि पूरा पाकिस्तान और दुनिया जानती है कि सेना की नकेल कसने और धरपकड़ से बचने के लिए कट्टर पीटीआई नेता और मंत्री रहे फवाद चौधरी अदालत परिसर में पुलिस को देखते ही डर से कांप गए थे और भीड़ को चीरते हुए भागने लगे थे।
पूर्व रक्षा मंत्री खट्टक कभी इमरान के इतने करीबी माने जाते थे कि पार्टी के कई विषयों पर उनकी सलाह ली जाती थी। इन्हीं के द्वारा बनाई इस नई पार्टी का नाम भी पहले वाली पार्टी के वोटों को रिझाने की कथित गरज से ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्लियामेंटेरियन्स’ रखा गया है। खुद खट्टक इमरान की पार्टी पीटीआई के सत्ता में होने के वक्त उस पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के महासचिव तथा खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री भी रहे थे। वे पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष हुआ करते थे।
खट्टक ने कल पेशावर के कार्यक्रम में अपने साथ जिन पूर्व सांसदों के होने का दावा किया, उनमें कभी खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री रहे महमूद खान भी शामिल थे। महमूद खान के अलावा शौकत अली यूसुफजई भी नई पार्टी में आए हैं तो उस प्रांत के और बहुत से मंत्री रहे विधायक भी खट्टक की पार्टी में दिख रहे हैं।
खट्टक करीब पांच साल उस प्रांत के मुख्यमंत्री बने रहे थे। तब पीटीआई ने 2013 के चुनावों के साथ हुए प्रांत के चुनावों में बहुमत पाया था। वही एक प्रांत था जहां उस चुनाव में पीटीआई के हाथ सत्ता आई थी।
इस मौके पर खट्टक ने जो कहा उसके पीछे एक बार फिर सेना के सख्त रवैए से उपजे भय की झलक मिली। उन्होंने जहां ये कहा कि 9 मई की अफसोसनाक घटना की वजह से उन्होंने और दूसरे बहुत से नेताओं ने पार्टी छोड़ी है, वहीं लगे हाथ उन ‘घटनाओं की कड़ी निंदा’ भी कर दी। उस दिन इमरान की गिरफ्तारी के विरोध में पीटीआई के समर्थकों ने सेना की दफ्तरों और निवासों पर ही हमला बोल दिया था। भयंकर तोड़फोड़ और आगजनी की गई। खट्टर की बातों में इमरान के लिए खटास थी जब उन्होंने यह कहा कि पीटीआई अध्यक्ष की देश-विरोधी भावनाओं की वजह से पार्टी को उस खैबर-पख्तूनख्वा में नुकसान पहुंचा जहां उसका बोलबाला था।
विश्लेषकों का कहना है कि खट्टक ने जो नई पार्टी ‘पीटीआई पार्लियामेंटेरियन्स’ बनाई है उससे इमरान की पार्टी उस प्रांत में पीछे हो जाएगी। लेकिन कुछ अन्य कहते हैं कि वहां इमरान का ऐसा जोर है कि असली पीटीआई को नई पार्टी से कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी।
खुद खट्टक करीब पांच साल उस प्रांत के मुख्यमंत्री बने रहे थे। तब पीटीआई ने 2013 के चुनावों के साथ हुए प्रांत के चुनावों में बहुमत पाया था। वही एक प्रांत था जहां उस चुनाव में पीटीआई के हाथ सत्ता आई थी।
अब प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की घोषणा के अनुसार, अक्तूबर-नवंबर में पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं। पीटीआई पार्लियामेंटेरियन्स संभवत: इसी को ध्यान में रखकर और पीटीआई के वोटों में सेंध लगाने के सपने पाले है। दिलचस्प बात है कि इन दिनों पीटीआई के सितारे गर्दिश में हैं। इमरान अदालतों के चक्क्र काट रहे हैं। शायद वे चुनाव भी न लड़ पाएं।
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