अब व्यास घाटी से होंगे कैलास दर्शन
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम धर्म-संस्कृति

अब व्यास घाटी से होंगे कैलास दर्शन

उत्तराखंड स्थित व्यास घाटी से कैलास पर्वत के दर्शन की सुविधा जल्दी ही मिल सकती है। यानी अब श्रद्धालुओं को तिब्बत जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए तीन किलोमीटर लंबे मार्ग को ठीक कर दिया गया है। रक्षा मंत्रालय की अनुमति मिलने के बाद शिवभक्त इस पर्वत के दर्शन कर सकते हैं

by दिनेश मानसेरा
Jul 13, 2023, 12:47 pm IST
in धर्म-संस्कृति
कैलाश पर्वत का विहंगम दृश्य

कैलाश पर्वत का विहंगम दृश्य

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले कैलास पर्वत के दर्शन करने के लिए तीर्थयात्रियों को अब तिब्बत जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उत्तराखंड की व्यास घाटी से ही पावन कैलास पर्वत के दर्शन हो सकते हैं। बता दें कि कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पुराने लीपू दर्रे की एक चोटी से कैलास पर्वत दिखाई देता है और एक अन्य स्थान आदि कैलास के पास की लिपियाधूरा चोटी से भी कैलास पर्वत के दर्शन हो रहे हैं।

हाल ही में शिवभक्तों के लिए एक शुभ समाचार आया है। भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले कैलास पर्वत के दर्शन करने के लिए तीर्थयात्रियों को अब तिब्बत जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उत्तराखंड की व्यास घाटी से ही पावन कैलास पर्वत के दर्शन हो सकते हैं। बता दें कि कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पुराने लीपू दर्रे की एक चोटी से कैलास पर्वत दिखाई देता है और एक अन्य स्थान आदि कैलास के पास की लिपियाधूरा चोटी से भी कैलास पर्वत के दर्शन हो रहे हैं।

उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने इन स्थानों का सर्वेक्षण कर शासन को अपनी रपट दे दी है। जानकारी के अनुसार व्यास घाटी में रहने वाली ‘रं’ जनजाति ने बहुत साल पहले ही ऐसे मार्ग खोज लिए थे, जहां भारत की सीमा से कैलास के दर्शन हो रहे थे। ‘रं’ जनजाति संस्था के अध्यक्ष दीपक रौंकली बताते हैं, ‘‘हमारे बुजुर्ग पहले से ये मार्ग जानते थे, क्योंकि वे तिब्बत के व्यापारियों के साथ कारोबार करते थे।’’ उन्होंने यह भी बताया कि लीपू दर्रे के अलावा एक और भारतीय सीमा बिन्दु से कैलास के दर्शन होते हैं।

हमने 2015 में सरकार को इस बात की जानकारी दे दी थी कि यहां से कैलास दर्शन करवाए जा सकते हैं, किंतु उस समय से अब तक सेना की पाबंदियों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो रहा था। उन्होंने यह भी बताया कि आदि कैलास पर्वत के पास से करीब बीस किमी की ट्रैकिंग के बाद लिपियाधुरा चोटी से भी कैलास के दर्शन होते हैं। इस चोटी से भी कैलास की दूरी करीब 25 किमी होगी, लेकिन यहां जाना इसलिए आसान नहीं है, क्योंकि आईटीबीपी और सेना इसकी इजाजत नहीं देती। ‘रं’ जनजाति संस्था के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण गर्ब्याल बताते हैं कि व्यास घाटी बाबा भोले की घाटी है, यह देवभूमि है। अब यहां सड़क बन गई है। इसलिए यहां तीर्थाटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, कैलास दर्शन के लिए दोनों रास्ते खोलने चाहिए।

कैलास मानसरोवर पैदल यात्रा में भी पहले नाभिढांग से ॐ पर्वत के दर्शन होते हैं। यहां से नौ किमी की चढ़ाई करके लीपू दर्रे को पार करके ही तिब्बत का तकलाकोट कस्बा आता है, जहां से वाहनों में बैठकर शेष यात्रा तय होती रही है। भारत सरकार ने लीपू दर्रे तक सड़क तैयार कर ली है। यहीं से तीन किमी पैदल चढ़ाई करके दाई तरफ एक चोटी से शिवभक्त अपने आराध्य देव शिव के निवास के दर्शन कर सकेंगे।

पहले यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। अब स्थानीय लोगों की मदद से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने करीब तीन किमी के इस कठिन पैदल मार्ग को तैयार कर लिया है। इसके माध्यम से चोटी तक पहुंच कर श्रद्धालु तिब्बत स्थित कैलास पर्वत के दर्शन लगभग 25 किलोमीटर दूर से कर सकते हैं। हालांकि इस स्थान से पवित्र मानसरोवर के दर्शन नहीं हो रहे हैं, लेकिन शिव निवास कैलास के दर्शन आसानी से हो रहे हैं। फिलहाल आईटीबीपी अपनी गश्त के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल कर रही है।

कोविड के बाद से चीन ने कैलास मानसरोवर यात्रा पर पाबंदी लगाई हुई है। हालांकि नेपाल के रास्ते यह यात्रा चल रही है, लेकिन यह महंगी पड़ती है। इस रास्ते से यात्रा करने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को लगभग 2,00,000 रु. खर्च करने पड़ते हैं। इधर भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार ने व्यास घाटी में ॐ पर्वत और आदि कैलास यात्रा को जारी रखा है। अब कैलास दर्शन यात्रा भी शुरू होने जा रही है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय की हरी झंडी मिलनी अभी बाकी है। आदि कैलास और ॐ पर्वत यात्रा अब जीपों से हो रही है। तिब्बत सीमा पर लीपू दर्रे तक जीप जा रही है।

तैयार किया गया पैदल मार्ग

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार व्यास घाटी के गुंजी ग्राम को पीएम वाईब्रेंट योजना में शामिल किया गया है। यहां से आदि कैलास ॐ पर्वत, पार्वती सरोवर, व्यास गुफा, कुंती के गांव कुटी, काली मंदिर के दर्शन के लिए तीर्थाटन शुरू हो चुका है। व्यास घाटी के ‘रं’ समुदाय ने अपने सीमा क्षेत्र से कैलास पर्वत दर्शन के मार्ग खोज लिए हैं। कैलास दर्शन स्थल के लिए पर्यटन विभाग ने अवलोकन कर लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस दर्शन स्थल को तीर्थयात्रियों के लिए खोले जाने के लिए अभी रक्षा मंत्रालय की अनुमति की जरूरत है, क्योंकि यह सीमांत क्षेत्र है। हमारा सौभाग्य है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस पुनीत कार्य को पूरा करवाने में सहयोग कर रहे हैं। इस बारे में पीएमओ से भी निवेदन किया गया है। हमें पूरी उम्मीद है कि शिवभक्तों को शिव कृपा से कैलास दर्शन की अनुमति अवश्य मिलेगी।

कैलास मानसरोवर पैदल यात्रा में भी पहले नाभिढांग से ॐ पर्वत के दर्शन होते हैं। यहां से नौ किमी की चढ़ाई करके लीपू दर्रे को पार करके ही तिब्बत का तकलाकोट कस्बा आता है, जहां से वाहनों में बैठकर शेष यात्रा तय होती रही है। भारत सरकार ने लीपू दर्रे तक सड़क तैयार कर ली है। यहीं से तीन किमी पैदल चढ़ाई करके दाई तरफ एक चोटी से शिवभक्त अपने आराध्य देव शिव के निवास के दर्शन कर सकेंगे।

भारतीय सीमा के जिस स्थान से कैलास पर्वत के दर्शन हो रहे हैं उस स्थान की ऊंचाई करीब 18,000 फीट है। यहां दिन में तेज हवाएं चलती हैं, जहां सीधे खड़े रहना भी मुश्किल होता है। इसलिए यहां सुबह पांच बजे से आठ बजे तक ही कैलास पर्वत के दर्शन हो सकेंगे। कैलास मानसरोवर पैदल यात्री भी लीपू दर्रे को तेज हवाओं के कारण सुबह चार से सात बजे तक पार करते रहे हैं।

बहरहाल, जो लोग आर्थिक कारणों से तिब्बत जाकर कैलास पर्वत के दर्शन नहीं कर पाते हैं, वे यहां से उसके दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।

Topics: Chief Minister Pushkar Singh DhamiOm Parvatमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामीभगवान शिवLord Shivaitbpआईटीबीपीभारतीय सीमाIndian Borderॐ पर्वतकैलास मानसरोवर यात्राKailas Mansarovar Yatra
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर

12 साल बाद आ रही है हिमालय सनातन की नंदा देवी राजजात यात्रा

CM Dham green signal to the first batch of Kailas mansarovar pulgrims

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को टनकपुर से किया रवाना

आपदा केन्द्र पहुंचे सीएम धामी, अतिवृष्टि की समीक्षा कर दिए दिशा निर्देश

’24 घंटे अलर्ट पर रहें’ : आपदा केन्द्र पहुंचे सीएम धामी, अधिकारियों को दिए सतर्क रहने के निर्देश

हरिद्वार में भक्त गंगा स्नान करने पहुंचे। (फाइल फोटो)

कांवड़ यात्रा: हरिद्वार में 11 से 23 जुलाई के बीच उमड़ेगी भगवा आस्था

Pushkar Singh Dhami in BMS

हरिद्वार: CM धामी ने BMS सम्मेलन में की ऋषिकुल में शोध संस्थान की घोषणा, श्रमिकों के लिए योजनाएं गिनाईं

Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami Yoga

सीएम धामी ने योग दिवस पर भराड़ीसैंण में योग नीति शुरू की, स्पिरिचुअल ज़ोन की घोषणा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

हमले में मारी गई एक युवती के शव को लगभग नग्न करके गाड़ी में पीछे डालकर गाजा में जिस प्रकार प्रदर्शित किया जा रहा था और जिस प्रकार वहां के इस्लामवादी उस शव पर थूक रहे थे, उसने दुनिया को जिहादियों की पाशविकता की एक झलक मात्र दिखाई थी  (File Photo)

‘7 अक्तूबर को इस्राएली महिलाओं के शवों तक से बलात्कार किया इस्लामी हमासियों ने’, ‘द टाइम्स’ की हैरान करने वाली रिपोर्ट

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies