नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों के दौरान हुई हिंसा को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करते हुए इसे “राज्य प्रायोजित” हिंसा बताया। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि बंगाल में पंचायत चुनाव के नामांकन से लेकर अबतक कुल 45 लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय सुरक्षा बल होने के बावजूद बंगाल में 45 लोगों की हत्या होना ये दिखाता है कि प्रदेश सरकार किस प्रकार प्रायोजित तरीके से इन हत्याओं को अंजाम दे रही थी। चुनाव और हिंसा आज बंगाल में पर्यायवाची बन चुके हैं।
ये संस्थागत हत्याएं हैं
संबित पात्रा ने कहा कि ये ‘हत्याएं’ ‘संस्थागत हत्याएं’ हैं।”पश्चिम बंगाल में चुनाव और हिंसा पर्यायवाची बन गए हैं…जहां तक पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों का सवाल है, लगभग 45 लोग मारे गए हैं। पंचायत चुनावों के लिए गोलीबारी, बमबारी, हत्या और वोट में धांधली जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह आकस्मिक नहीं है, यह लोकतंत्र की राज्य प्रायोजित हत्या है। यह एक संस्थागत हत्या है, यानी इसमें पुलिस प्रशासन से लेकर जिला अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी तक सब शामिल हैं। जिस भूमि से कभी वन्दे मातरम् के शब्द उपजे थे, आज उसी भूमि पर जिस प्रकार की हिंसा हो रही है वह अपने आप में अप्रत्याशित है। इससे पहले इस प्रकार की हिंसा न हमने सुनी थी और न ही देखी थी।
कहां हैं मोहब्बत की दुकान खोलने वाले
संबित पात्रा ने देश की विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर यही दृश्य किसी भाजपा शासित राज्य से आ रहा होता तो हाहाकार मच गया होता। ये सारे नेता, जो हाथ पकड़-पकड़ कर राज्यों में खड़े होते हैं, कहां हैं ये सारे नेता? कहां हैं लालू प्रसाद यादव, कहां हैं नीतीश कुमार और कहां हैं ‘मोहब्बत की दुकान’ खोलने वाले राहुल गांधी?
दादागीरी की राजनीति चल रही
भाजपा पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा और “लोकतंत्र की हत्या” की कड़ी निंदा करती है। उन्होंने कहा, “निर्मम बंद्योपाध्याय (ममता बनर्जी), जो ‘मां, माटी, मानुष’ की बात करती थीं, मूकदर्शक बनी हुई हैं।” टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी पर कड़ा प्रहार करते हुए पात्रा ने कहा, “यह डायमंड हार्बर मॉडल है जहां अभिषेक बनर्जी अपने संविधान के लिए लड़ रहे हैं। वहां दादागीरी की राजनीति चल रही है। उस काउंटिंग एजेंट, भारतीय जनता पार्टी और अन्य काउंटिंग एजेंटों को बख्शा नहीं जा रहा है। बंगाल में चारों तरफ यही चल रहा है।”
ये है हत्याओं का आंकड़ा
संबित पात्रा ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव 2021 में करीब 52 लोगों की हत्या हुई थी। 2018 के पंचायत चुनाव में 23 लोगों की हत्या हुई थी और उससे पहले 2013 के पंचायत चुनाव में बंगाल में 15 लोगों की हत्या हुई थी। 2013 में 15, 2018 में 23 लोगों की हत्या हुई थी लोग और 2023 में, वर्तमान पंचायत चुनावों में, 45 लोग मारे गए।
मतदान के दिन भारी हिंसा हुई
पंचायत चुनाव 8 जुलाई को कड़ी सुरक्षा के बीच हुए थे, जिसमें लगभग 5.67 करोड़ मतदाताओं ने भाग लिया और पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में 73,887 सीटों के लिए 2.06 लाख उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला किया। मतदान के दिन व्यापक हिंसा, मतपत्रों की लूट और धांधली हुई। मुर्शिदाबाद, कूच बिहार, मालदा, दक्षिण 24 परगना, उत्तरी दिनाजपुर और नादिया जैसे कई जिलों से बूथ कैप्चरिंग, मतपेटियों को नुकसान पहुंचाने और पीठासीन अधिकारियों पर हमले की खबरें आईं। मतपेटियों में आग लगाई गई। मतपेटियां नाले में पड़ी मिलीं। परिणामस्वरूप, राज्य के 19 जिलों की 22 जिला परिषदों, 9,730 पंचायत समितियों और 63,239 ग्राम पंचायत सीटों के 697 बूथों पर पुनर्मतदान कराया गया। पुनर्मतदान प्रक्रिया केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की देखरेख में बिना किसी हिंसा की रिपोर्ट के हुई।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने असम में ली शरण
पश्चिम बंगाल में मंगलवार को मतगणना के दौरान भारी हिंसा को देखते हुए भाजपा के 133 परिवार बंगाल की सीमा पार कर असम पहुंचे हैं। वहां असम सरकार ने उनके रहने खाने और चिकित्सा की व्यवस्थाएं की है। इसकी जानकारी असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने ट्वीट कर दी है। उन्होंने बताया है कि एक दिन पहले सोमवार को 133 लोग पंचायत इलेक्शन में विपक्ष के लिए काम करने के बाद अपनी जान के खतरे को देखते हुए असम के धुबरी जिले में आए हैं। सरकार ने उनके खाने, रहने और चिकित्सा की व्यवस्था की है। इधर वरिष्ठ भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने असम के मुख्यमंत्री को इसके लिए धन्यवाद दिया है। अधिकारी ने ट्विटर पर लिखा है कि मैं असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा को धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने पश्चिम बंगाल के डरे सहमें विपक्षी कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से भाजपा से जुड़े लोगों को राहत प्रदान करने के लिए जो पहल की है वह सराहनीय है। हकीकत यह है कि बंगाल में विपक्ष हर बार चुनाव के बाद हिंसा का शिकार होता है और जान का खतरा रहता है।
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