15 वर्ष की आयु में शिवाजी ने रोहिडेश्वर के शिव मंदिर में अपनी अंगुली के रक्त से भगवान का अभिषेक कर ‘हिंदवी स्वराज्य’ की स्थापना का संकल्प लिया।
गत दिनों जुलाई को इंदौर में डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा ‘शिवराज्याभिषेक का संदेश’ विषय पर एक गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत के इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे अपराजित योद्धा थे, जिन्होंने ‘हिंदवी-स्वराज्य’ की पुनर्स्थापना कर स्वदेशी व स्वधर्म आधारित लोक कल्याणकारी शासन तंत्र का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के अमृतकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का संदेश वर्तमान में अतिप्रासंगिक और अनुकरणीय प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह श्रीराम ने धरती को राक्षसविहीन करने का संकल्प लिया, श्रीकृष्ण ने धर्म संस्थापना का कार्य किया, उसी तरह शिवाजी महाराज हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए अवतारी पुरुष थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की घटना ऐतिहासिक घटना थी।
मोहम्मद कासिम से प्रारंभ हुए विदेशी आक्रमण सतत चलते रहे, पृथ्वीराज चौहान ने उन आक्रमणों का प्रतिरोध किया, किंतु उनके पश्चात् भारतीयों को लगने लगा कि वे केवल पराधीन होने के लिए ही हैं। संपूर्ण समाज में निराशा व्याप्त थी।
स्वतंत्रता प्राप्ति के अमृतकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का संदेश वर्तमान में अतिप्रासंगिक और अनुकरणीय प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह श्रीराम ने धरती को राक्षसविहीन करने का संकल्प लिया, श्रीकृष्ण ने धर्म संस्थापना का कार्य किया, उसी तरह शिवाजी महाराज हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए अवतारी पुरुष थे।
ऐसे में मात्र 15 वर्ष की आयु में शिवाजी ने रोहिडेश्वर के शिव मंदिर में अपनी अंगुली के रक्त से भगवान का अभिषेक कर ‘हिंदवी स्वराज्य’ की स्थापना का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में ‘मालवा के बलिदानी’ लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। फिल्म में देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षमय जीवन का चित्रण किया गया है।
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