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समान नागरिक संहिता/मुस्लिम महिलाएं : आह नहीं, अधिकारों की लड़ाई

यूसीसी की जब से चर्चा चली है, तब से मुस्लिम महिलाओं में भी एक उम्मीद की किरण जगी है। वे अब अपने अधिकारों के प्रति मुखर होते हुए यूसीसी के समर्थन में उतर रही हैं

by अनुरोध भारद्वाज
Jul 11, 2023, 01:17 pm IST
in भारत, विश्लेषण
समान नागरिक संहिता के पक्ष में आवाज बुलंद करने वालीं निदा खान और फरहत नकवी (दाएं)

समान नागरिक संहिता के पक्ष में आवाज बुलंद करने वालीं निदा खान और फरहत नकवी (दाएं)

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समान नागरिक संहिता लागू करने करने की मांग की है। बरेली में ‘आला हजरत हैल्पिंग सोसाइटी’ संचालित कर रहीं निदा खान ने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं पर हमेशा तीन तलाक की तलवार लटकी रहती है। हमेशा डर सताता रहता है।

तीन तलाक पीड़िताओं के हक की बात मुस्लिम कट्टरपंथियों को भले ही रास न आती हो मगर देश में मुस्लिम महिलाएं खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करती नजर आ रही हैं। बरेली के आला हजरत परिवार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध किया है, लेकिन इसी खानदान की बहू रह चुकीं निदा खान अपनी जैसी तमाम तलाक पीड़िताओं के साथ पुरजोर तरीके से यूसीसी का समर्थन कर रही हैं। निदा खान ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भावुक बातें कही हैं और उनसे समान नागरिक संहिता लागू करने करने की मांग की है। बरेली में ‘आला हजरत हैल्पिंग सोसाइटी’ संचालित कर रहीं निदा खान ने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं पर हमेशा तीन तलाक की तलवार लटकी रहती है। हमेशा डर सताता रहता है।

समान नागरिक संहिता से मुस्लिम महिलाओं का भविष्य सुरक्षित होगा। पहली बीवी होते हुए भी शौहर जब चाहे दूसरी बीवी लाकर पहली बीवी के अधिकार छीन लेता है। पहली बीवी को घर से निकाल दिया जाता है और उसके बच्चों के सिर से छत छीन ली जाती है। खुद का जिक्र करते हुए निदा खान ने कहा कि उनके पति शीरान रजा खान ने भी इसी तरह उनके सारे अधिकार छीनकर दूसरी बीवी सहीना को दे दिए। पति के होते हुए भी मुस्लिम महिलाएं बेघर होकर मजबूरी में विधवा जैसा जीवन बिताने को मजबूर होती हैं। इसी वजह से देश की सभी मुस्लिम महिलाएं यूसीसी के पक्ष में हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि ‘जिस तरह आपने तीन तलाक पर कानून लाकर हमें सुरक्षित किया है, उसी तरह से इस संहिता को लागू कर मुस्लिम महिलाओं का भविष्य सुरक्षित करें।’

संघर्षमय जीवन

बता दें कि 2015 में निदा खान का निकाह दरगाह आला हजरत के प्रमुख सुब्हानी मियां के छोटे भाई अंजुम मियां के बेटे शीरान रजा खां से हुआ था। निकाह के एक साल बाद ही 2016 में शौहर शीरान रजा खां ने निदा खान को तलाक दे दिया था। इसके विरोध में निदा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के बाद अदालत ने शौहर की ओर से दिए गए तीन तलाक को अवैध घोषित कर दिया था। हालांकि, निदा खान को शौहर के परिवार में फिर जगह नहीं मिल सकी। उसके बाद निदा ने अपनी जैसी दूसरी तीन तलाक पीड़िताओं को न्याय दिलाने का बीड़ा उठा लिया। आज वे ‘आला हजरत हैल्पिंग सोसाइटी’ बनाकर तीन तलाक व हलाला पीड़ित महिलाओं की मदद में जुटी नजर आती हैं।

कट्टरपंथियों के निशाने पर

तीन तलाक और हलाला के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहीं निदा खान कट्टरपंथियों के निशाने पर रही हैं। मुखर होकर बुराइयों के खिलाफ लड़ रहीं निदा कट्टर मानसिकता वाले लोगों को बुरी लगने लगीं और सबने मिलकर निदा का विरोध शुरू कर दिया। एक वक्त तो हालात ऐसे बना दिए गए कि निदा अपने मायके वालों के साथ किसी शादी-कार्यक्रम में भी जाती थीं तो ‘काफिर-काफिर’ कहकर उन्हें अपमानित किया जाता था। अपनी बहन के निकाह समारोह से लौटते वक्त निदा खान पर धारदार हथियार से हमला भी किया गया था। रिश्तेदारों ने निदा को निकाह में जाने से मना किया था। इसके बाद भी जब वह कार्यक्रम में गईं तो कट्टरपंथियों ने उन्हें देखते ही आपा खो दिया और उन पर हमला कर दिया। हमले में निदा मुश्किल से बच सकी थीं। उन्हें चोटें भी आई थीं। इसके बाद भी निदा ने हिम्मत नहीं हारी और हमलावरों पर कानूनी कार्रवाई के साथ महिलाओं के हक की लड़ाई और तेज कर दी।

इस कानून के तहत तीन तलाक अपराध है और ऐसा करने पर तीन साल तक की जेल और जुर्माना लगाने का प्रावधान है। कानून बन जाने के बाद से तीन तलाक पीड़िताएं मुखर होकर इंसाफ की लड़ाई लड़ती देखी जा रही हैं और उन्हें कामयाबी भी हासिल हो रही है। यही वजह है कि मुस्लिम महिलाएं समान नागरिक संहिता को लेकर भी बहुत उम्मीद लगाए हैं। माना जा रहा है कि यूसीसी लागू होने के बाद महिलाओं को समाज में बराबरी का हक दिलाने में मदद मिलेगी और वे निडर होकर अपने अधिकार की बात कर सकेंगी। 

धमकी-फतवे से नहीं डरीं

केंद्र सरकार ने जब तीन तलाक कानून लागू किया तो विचारधारा से प्रभावित होकर निदा खान भाजपा से जुड़ गईं। उनके भाजपा समर्थक होने से इस्लामिक कट्टरपंथी और ज्यादा चिढ़ गए। इसके बाद तो जैसे धमकियों का लंबा सिलसिला शुरू हो गया। निदा खान के खिलाफ फतवे भी जारी किए गए मगर धमकी-फतवे निदा के कदम रोक नहीं सके। निदा खान ने फतवे के खिलाफ कानून का दरवाजा खटखटाया था। निदा की शिकायत पर बरेली की थाना बारादरी पुलिस ने उनके पूर्व शौहर शीरान रजा खां, शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम और मुफ्ती अफजाल रजवी के खिलाफ मजहबी भावनाओं का अपमान करने और धमकी देने के मामले में मुकदमा भी दर्ज किया था। निदा ने अपनी जान को खतरा बताते हुए कहा था कि तलाक दिए जाने के बाद से शौहर शीरान रजा को लेकर उनके मुकदमे चल रहे हैं। शीरान उनके खिलाफ मनचाहे फतवे जारी कराता रहता है। निदा तीन तलाक, गैर शरई हलाला और बहु विवाह के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ रही हैं। इसलिए, उन्हें बार-बार निशाना बनाने की साजिश हो रही है।

रुहेलखंड से उठा जबरदस्त शोर

निदा के अलावा दूसरे मुस्लिम महिला संगठन भी यूसीसी के पक्ष में जोरदार तरीके से बात रख रहे हैं। इनमें एक ‘मेरा हक फाउंडेशन’ की अध्यक्ष फरहत नकवी भी हैं। फरहत तीन तलाक पीड़िताओं के साथ खुले मंच से समान नागरिक संहिता का समर्थन कर रही हैं। उनका कहना है कि यूसीसी के आने से महिलाओं को पुरुषों की तरह ही बराबरी का दर्जा मिलेगा। देश की मुस्लिम महिलाओं को पूरा अधिकार मिलेगा। इसके लिए वह प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करती हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी को भी ससुराल में कई तरह की प्रताड़नाएं झेलनी पड़ी हैं। बता दें कि फरहत नकवी का विवाह 2005 में सैयद रेहान हैदर के साथ हुआ था। बेटी के जन्म के बाद ससुराल वालों के जुल्म और बढ़ गए। इसके बाद फरहत को घर से निकाल दिया गया। फरहत ने न्याय के लिए पुलिस से शिकायत की। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें न्याय मिला। फरहत की संस्था तीन तलाक, घरेलू हिंसा आदि से पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराती है। अब तक वे अनगिनत पीड़िताओं की मदद कर चुकी हैं। ऐसी मुस्लिम महिलाएं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रक्षाबंधन पर राखियां भेजती हैं।

समान नागरिक संहिता से मुस्लिम महिलाओं का भविष्य सुरक्षित होगा। पहली बीवी होते हुए भी शौहर जब चाहे दूसरी बीवी लाकर पहली बीवी के अधिकार छीन लेता है। पहली बीवी को घर से निकाल दिया जाता है और उसके बच्चों के सिर से छत छीन ली जाती है। खुद का जिक्र करते हुए निदा खान ने कहा कि उनके पति शीरान रजा खान ने भी इसी तरह उनके सारे अधिकार छीनकर दूसरी बीवी सहीना को दे दिए। पति के होते हुए भी मुस्लिम महिलाएं बेघर होकर मजबूरी में विधवा जैसा जीवन बिताने को मजबूर होती हैं। इसी वजह से देश की सभी मुस्लिम महिलाएं यूसीसी के पक्ष में हैं।

मिली काफी राहत

उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड भूभाग में आने वाले बरेली-मुरादाबाद मंडल में तीन तलाक के मामले सामने आते रहते हैं। हालांकि, देश में 19 सितंबर, 2018 को तीन तलाक कानून लागू होने के बाद इस तरह के मामलों की पीड़ित महिलाओं के लिए कानूनी राह आसान हो गई है। इस कानून के तहत तीन तलाक अपराध है और ऐसा करने पर तीन साल तक की जेल और जुर्माना लगाने का प्रावधान है। कानून बन जाने के बाद से तीन तलाक पीड़िताएं मुखर होकर इंसाफ की लड़ाई लड़ती देखी जा रही हैं और उन्हें कामयाबी भी हासिल हो रही है।
यही वजह है कि मुस्लिम महिलाएं समान नागरिक संहिता को लेकर भी बहुत उम्मीद लगाए हैं। माना जा रहा है कि यूसीसी लागू होने के बाद महिलाओं को समाज में बराबरी का हक दिलाने में मदद मिलेगी और वे निडर होकर अपने अधिकार की बात कर सकेंगी।

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