गुजरात उच्च न्यायालय ने मोदी सरनेम वाले मामले में राहुल गांधी की याचिका खारिज कर कहा कि उनको मिली सजा न्यायसंगत और उचित है। इसके विरोध में कुछ ही देर में अमदाबाद, दिल्ली, मुम्बई जैसे शहरों में कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। इनका कहना था, ”गुजरात में राहुल गांधी को न्याय नहीं मिलेगा, यह उन्हें पता था।” वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि निर्णय बेहद निराशाजनक है, लेकिन अप्रत्याशित नहीं।
एक तरह से इन कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गुजरात उच्च न्यायालय की अवमानना की है। यही नहीं, कांग्रेस यह विमर्श खड़ा करने का प्रयास कर रही है कि राहुल गांधी को केंद्र सरकार के खिलाफ बोलने के कारण सजा मिली है। देखा जाए तो यह भी अदालत की अवमानना है। लेकिन शायद कांग्रेसियों को लगता है कि राहुल गांधी किसी भी कानून से परे हैं, इसलिए उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए। इन कांग्रेसियों को वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने अच्छा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी आदतन अपराधी हैं। यदि वे यह समझते हैं कि उन्हें लोगों को अपमानित करने का अधिकार है, तो कानून को भी उन्हें सजा देने का अधिकार है। इसके साथ ही रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि राहुल की यह गति घमंड के कारण हुई है।
उल्लेखनीय है कि सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को सजा तब सुनाई, जब उन्होंने इस मामले में माफी मांगने से मना कर दिया था। बता दें कि सजा सुनाने से पहले अदालत ने राहुल गांधी से कहा था कि क्या वे इस मामले में माफी मांगेंगे! इसके उत्तर में राहुल गांधी ने एक अहंकारी बयान देते हुए कहा था, ”वे सावरकर नहीं हैं, इसलिए माफी नहीं मांगेंगे।” इसी अहंकार ने आज राहुल को वहां पहुंचा दिया है, जहां से उनका निकलना बहुत ही मुश्किल है। यदि सर्वोच्च न्यायालय ने भी राहुल की सजा को बरकरार रख दिया तो वे आठ साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि सभी चोरों के नाम मोदी ही क्यों होते हैं! उनके इस बयान को आपत्तिजनक मानते हुए भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने सूरत में आपराधिक मानहानि का एक मुकदमा किया था। इसी मामले में राहुल को दो साल की सजा हुई है। इस कारण उनकी संसद सदस्यता भी जा चुकी है। इस सजा पर रोक लगवाने के लिए राहुल गांधी गुजरात उच्च न्यायालय पहुंचे थे। इस पर निर्णय देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी पर बेहद गंभीर टिप्पणी भी की है। न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने 7 जुलाई, 2023 को निर्णय सुनाते हुए कहा कि सजा पर रोक नहीं लगाना राहुल गांधी के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ”राहुल गांधी के विरुद्ध लगभग 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। इस मामले के बाद भी उनके विरुद्ध कुछ और मुकदमे हुए हैं। एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दर्ज कराया है। इसलिए सजा पर रोक लगाने से मना करना उनके साथ कोई अन्याय नहीं होगा। उनकी दोषसिद्धि न्यायसंगत एवं उचित है। इस आदेश में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।”
अब यह देखना जरूरी है कि राहुल गांधी के विरुद्ध कितने और किस प्रकार के मामले न्यायालयों में चल रहे हैं।
पहला मामला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा है। मार्च, 2014 में ठाणे जिले में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था, ”संघ के लोगों ने महात्मा गांधी जी की हत्या कर दी थी।” उनके इस बयान से संघ के करोड़ों स्वयंसेवकों की भावना आहत हुई थी। एक ऐसे ही स्वयंसेवक राजेश कुंटे ने भिवंडी की एक अदालत में राहुल गांधी के विरुद्ध मुकदमा किया है। इस मामले में राहुल को जमानत मिली हुई है।
दूसरा मामला भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से ही संबंधित है। बता दें कि दिसंबर, 2015 में राहुल गांधी चुनाव प्रचार के दौरान असम गए थे। उन्हें वहां के बारपेटा सत्र में जाना था, लेकिन किसी कारण वे नहीं गए और बाद में कहा कि उन्हें संघ के लोगों ने मठ में प्रवेश नहीं करने दिया। इसके बाद संघ के कार्यकर्ता अंजन बोरा ने राहुल गांधी के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा किया है। इस मामले में भी राहुल जमानत पर हैं।
तीसरा मामला संघ के प्रति राहुल की घृणित सोच का दुष्परिणाम है। बता दें कि 5 सितंबर, 2017 को बेंगलूरू में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या हो गई थी। हत्या के कुछ ही समय बाद राहुल ने इस हत्याकांड से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जोड़ दिया। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा था, ”जो कोई आरएसएस और भाजपा की विचारधारा के विरुद्ध बोलता है उस पर दबाव डाला जाता है, पीटा जाता है, हमला किया जाता है और यहां तक कि उसकी हत्या कर दी जाती है।” इस बयान के बाद भी उन पर मुकदमा दर्ज हुआ है और इसमें भी वे जमानत ले चुके हैं।
चौथा मामला केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से जुड़ा है। बता दें कि राहुल गांधी ने अमित शाह पर आरोप लगाया था कि उनके निदेशक रहते हुए 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी के बाद अमदाबाद जिला सहकारी बैंक में पांच दिन में 745.58 करोड़ रुपए के पुराने नोट बदले गए थे। इसके बाद बैंक के निदेशक अजय पटेल ने राहुल गांधी के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में भी राहुल जमानत पर हैं।
पांचवां मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंध रखता है। सितंबर, 2018 में राफेल विमान सौदे से संबंधित एक रिपोर्ट को साझा करते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, ”भारत के कमांडर-इन-थीफ के बारे में दुखद सचाई।” इसमें राहुल ने रिलायंस को लाभ पहुंचाने के लिए सौदे में बदलाव करने का आरोप लगाया था। इसके बाद राहुल गांधी के खिलाफ गुरुग्राम में मानहानि का मामला दर्ज हुआ है।
छठा मामला अमित शाह के विरुद्ध टिप्पणी से जुड़ा है। बता दें कि 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले अमित शाह भाजपा के अध्यक्ष थे। राहुल गांधी ने जबलपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था, ”हत्यारोपित भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वाह, क्या शान है…”
सातवां मामला भी अमित शाह से संबंधित है। 2019 में राहुल गांधी ने झारखंड में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में अमित शाह पर हत्या का आरोपित होने का एक बार फिर आरोप लगाया था। इसके बाद चाईबासा और रांची में राहुल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया।
इस समय राहुल के विरुद्ध चल रहे सातवें मामले की बड़ी चर्चा है। इसी मामले में राहुल को दो वर्ष की सजा हुई है। 2019 में उन्होंने कहा था, ”सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है!” उनके इस बयान के विरुद्ध सूरत, पटना और रांची में मामले दर्ज हुए हैं। अभी सूरत के मामले में उन्हें सजा हुई है।
आठवां मामला वीर सावरकर के अपमान से जुड़ा है। 2022 में राहुल गांधी ने वीर सावरकर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को धोखा दिया है। उन्होंने यह भी कहा था कि वीर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी। इसलिए उन्हें अंदमान जेल से रिहा किया गया।
नौवां मामला बेहद गंभीर है। इस मामले में 2015 से राहुल गांधी और सोनिया गांधी जमानत पर बाहर हैं। यह मामला है नेशनल हेराल्ड से जुड़ा है। बता दें कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर आरोप लगाया है कि इन दोनों ने नेशनल हेराल्ड अखबार को प्रकाशित करने वाली कंपनी ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ के शेयर्स ‘यंग इंडियन’ नामक कंपनी को दे दिए हैं। इस कंपनी में राहुल और सोनिया भी हैं। यानी इन दोनों ने नेशनल हेराल्ड की करोड़ों की अचल संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। इस मामले को समाप्त कराने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी सर्वोच्च न्यायालय तक पहंचे थे, लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने इन दोनों को कोई राहत नहीं दी है। अभी भी यह मामला चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में दोनों को सजा हो सकती है।
अब आप ही तय करें कि राहुल के साथ न्यायालय जो कर रहा है, वह उचित है या अनुचित!
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