हमारे खाने में लौह तत्व और खून व लाल कोशिकाओं को बनाने में लगने वाले पोषक तत्वों को अच्छी मात्रा में लेना आवश्यक होता है। हम जो भोजन ग्रहण कर रहे हैं, वह कैसे पकाया जा रहा है या कैसे उसे ग्रहण किया जा रहा है, ये भी बहुत अहम बात है।
एाीमिया में शरीर के रक्त में हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कोशिकाएं कम हो जाती हैं। इसे बीमारी न कहकर एक स्थिति या किसी बीमारी का लक्षण कह सकते हैं। शरीर में खून बनाने के लिए कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिनमें लौह तत्व, प्रोटीन, विटामिन बी-12, बी-6, फॉलिक एसिड, विटामिन सी, तांबा, विटामिन ई, कैल्शियम मुख्य हैं। इनमें किसी एक की भी कमी से एनीमिया हो सकता है। इन सभी में लौह तत्व के कारण होने वाला एनीमिया सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।
एनीमिया की स्थिति खानपान से जुड़ी है। अगर कोई व्यक्ति ठीक से खाना नहीं खाता है, या खाने में लौह तत्व व रक्त बनाने के लिए जिम्मेदार अन्य तत्वों की कमी होती है, या चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक्स का ज्यादा सेवन करता है तो उसे एनीमिया का खतरा हो सकता है। इसके अलावा महिलाओं में माहवारी में ज्यादा खून निकलने, दुर्घटना में ज्यादा खून निकलने, मलेरिया, हुकवॉर्म संक्रमण और सिस्टोसोमियॉसिस से भी शरीर में खून की कमी हो जाती है। एनीमिया माइल्ड, मॉडरेट एवं सीवियर प्रकार का होता है। एनीमिया होने पर सिर में दर्द रहना, भूख न लगना, कमजोरी रहना या उदासी रहना, हल्का बुखार रहना, नाखून व त्वचा का रंग हल्का होना, बालों का झड़ना, मांसपेशियों में दर्द रहना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
आजकल एल्युमीनियम तथा नॉन स्टिक बर्तनों का चलन ज्यादा बढ़ गया है। सभी घरों में मुख्यत: इन्हीं बर्तनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। परंतु ये हमारे स्वास्थ्य के लिए सही नहीं हैं। इसके विपरीत लोहा, पीतल, स्टील के बर्तनों का उपयोग शरीर के लिए, मुख्यत: हीमोग्लोबिन की दृष्टि से ज्यादा अच्छा है।
एनीमिया से बचने के लिए या इसे ठीक करने के लिए हमारे खाने में लौह तत्व और खून व लाल कोशिकाओं को बनाने में लगने वाले पोषक तत्वों को अच्छी मात्रा में लेना आवश्यक होता है। हम जो भोजन ग्रहण कर रहे हैं, वह कैसे पकाया जा रहा है या कैसे उसे ग्रहण किया जा रहा है, ये भी बहुत अहम बात है। सामान्यत: हमें खाने में लौह तत्व युक्त पदार्थों का सेवन बढ़ाना चाहिए। इनमे हरे पत्ते वाली सब्जियां, मौसमी फल, अंकुरित अनाज, सोयाबीन से बना पनीर (टोफू), खारिक, किशमिश, अंजीर, अंकुरित रागी का आटा, सीताफल के बीज तथा हलीम के बीज/ आलिव शामिल हैं।
हलीम के बीज में तो बहुत अच्छी मात्रा में लौह तत्व होता है। इसके साथ ही फॉलिक एसिड भी अच्छा पाया जाता है। इसके साथ ही हमें अपने खाना बनाने वाले बर्तनों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। आजकल एल्युमीनियम तथा नॉन स्टिक बर्तनों का चलन ज्यादा बढ़ गया है। सभी घरों में मुख्यत: इन्हीं बर्तनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। परंतु ये हमारे स्वास्थ्य के लिए सही नहीं हैं। इसके विपरीत लोहा, पीतल, स्टील के बर्तनों का उपयोग शरीर के लिए, मुख्यत: हीमोग्लोबिन की दृष्टि से ज्यादा अच्छा है।
यदि आपको खून की कमी है तो आपको तली चीजों, ब्रेड व बिस्किट, बाहर के पदार्थों तथा मुख्यत: चाय व कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। चाय में ऐसे पदार्थ हैं जो हमारे शरीर में लौह तत्व के अवशोषण में बाधा डालते हैं जिससे खून की कमी हो सकती है। इसी के साथ हमें फायटेट का सेवन भी नहीं करना चाहिए। फायटेट एक ऐसा पदार्थ है, जो पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालता है।
मुख्यत: ये फायटेट हमारी दालों, अनाज, फलों तथा मेवों में होते हैं। इन पदार्थों में उपस्थित लौह तत्व व सभी पोषक तत्वों का उपयोग करने ले लिए पकाने के पहले इन्हें कुछ देर के लिए पानी में अवश्य भिगोकर रखना चाहिए, जिससे इसमें उपस्थित ये पदार्थ बाहर निकल जाएं और उपयोग में आने वाले भोजन में से पोषक तत्व अच्छी मात्रा में शरीर को मिल सकें। इस तरह अपने भोजन में पौष्टिक पदार्थों को बढ़ाकर, खाना बनाने में लोहे के बर्तनों का उपयोग कर हम एनीमिया से छुटकारा पा सकते हैं।
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