तुलनात्मक रूप से नया विषय होने के कारण छात्रों और अभिभावकों को इससे जुड़ी संभावनाओं के बारे में पता नहीं है। यहां हम अध्ययन के इस उभरते क्षेत्र के विभिन्न पक्षों, जैसे विषय, पाठ्यक्रम और यह पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों के साथ ही इससे जुड़ी करिअर संभावनाओं से परिचित कराने का प्रयास करेंगे।
सैन्सैय विज्ञान का संबंध सैन्य प्रक्रियाओं, संस्थानों और व्यवहार के साथ-साथ युद्ध के अध्ययन और संगठित बल प्रयोग के सिद्धांतों और अनुप्रयोगों के अध्ययन से है। यह मुख्य रूप से राष्ट्रीय रक्षा नीति के अनुरूप सिद्धांतों, पद्धतियों और सैन्य क्षमता के ज्ञान पर केंद्रित विषय है। विदेशों में इस विषय की व्यापक स्वीकृति और अनुप्रयोग है, लेकिन भारत में यह अपेक्षाकृत उपेक्षित रहा है। तुलनात्मक रूप से नया विषय होने के कारण छात्रों और अभिभावकों को इससे जुड़ी संभावनाओं के बारे में पता नहीं है। यहां हम अध्ययन के इस उभरते क्षेत्र के विभिन्न पक्षों, जैसे विषय, पाठ्यक्रम और यह पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों के साथ ही इससे जुड़ी करिअर संभावनाओं से परिचित कराने का प्रयास करेंगे।
एक विषय के रूप में रक्षा अध्ययन में भू-राजनीति, सैन्य भूगोल, रक्षा, अर्थशास्त्र और परमाणु नीतियों का अध्ययन शामिल होता है। इसमें हमारे राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा हितों के लिए घरेलू और रणनीतिक चुनौतियों का अध्ययन भी शामिल होता है। इसके अलावा इसमें सैद्धांतिक और अनुभवजन्य दृष्टिकोण से समकालीन रक्षा मुद्दों और विकासमान युद्धों का अध्ययन भी शामिल होता है, ताकि वैचारिक, रणनीतिक और परिचालन चुनौतियों का सामना करने में सशस्त्र बलों के व्यवहार से संबंधित ज्ञान अर्जित किया जा सके। यह सैन्य विज्ञान, राजनीति विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय संबंध, अर्थशास्त्र, इतिहास, नृवंश विज्ञान और समाजशास्त्र से जुड़े व्यापक पद्धतिगत दृष्टिकोणों के माध्यम से संघर्ष, युद्ध, सुरक्षा और रक्षा को समझने पर केंद्रित एक अंतरानुशासनिक (इंटरडिसिप्लिनरी) विषय भी है।
रक्षा अध्ययन सबसे अधिक उन युवाओं में लोकप्रिय है जो देश की सुरक्षा और सैन्य सेवाओं के लिए काम करना चाहते हैं। रक्षा अध्ययन में करिअर बनाने के इच्छुक छात्रों के लिए स्नातक/स्नातकोत्तर/अनुसंधान स्तर पर चुनने के लिए बहुत सारे विकल्प उपलब्ध होते हैं।
पढ़ाई पूरी करने के बाद ये छात्र आगे यूपीएससी/ सीडीएस/ एसएसबी परीक्षा का विकल्प चुन सकते हैं। इन माध्यमों से छात्रों के लिए कई करिअर विकल्प उपलब्ध होते हैं। इन विकल्पों में भारतीय सेना में अधिकारी, सैन्य ग्राउंड ड्यूटी अधिकारी, भारतीय आयुध सेवा अधिकारी, अनुसंधान अधिकारी, अनुसंधान सहयोगी, सैन्य आसूचना विशेषज्ञ, सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख, प्रोफेसर और सैन्य पत्रकार जैसी नौकरियां शामिल हैं।
रक्षा अनुसंधान की भूमिका प्रासंगिक विश्लेषण, डेटा संग्रह और खुफिया रिपोर्टिंग आयोजित करके निर्णय लेने में सरकार की मदद करना है। भारतीय विश्वविद्यालयों में सबसे पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने तत्कालीन कुलपति डॉ. ए.एन. झा की पहल पर 1940 में रक्षा अध्ययन को एक विषय के रूप में शुरू किया था। विवि ने 1965 में स्नातकोत्तर और अनुसंधान स्तर पर इस विषय को पढ़ाना शुरू किया। एक अन्य प्रमुख संस्थान मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस है, जिसे पहले इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के नाम से जाना जाता था। रक्षा, सामरिक तथा सुरक्षा मुद्दों पर उन्नत अनुसंधान का यह भारत का अग्रणी थिंक टैंक है और भारत सरकार के नागरिक, सैन्य और अर्धसैनिक अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित होने पर भी यह तटस्थ स्वायत्त निकाय के रूप में कार्यरत है।
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