पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पिछले दिनों सिखों पर एक के बाद एक हुए जानलेवा हमलों और उसमें एक सिख की मौत पर भारत सरकार ने तीन दिन पहले पाकिस्तान को फटकार लगाई थी। भारत सरकार ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी को बुलाकर सिख विरोधी हिंसा पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, इस पर लगाम लगाने और पूरी जांच करने की मांग की थी।
संभवत: भारत की इसी सख्ती के बाद खैबर पख्तूनख्वा की सरकार ने पीड़ित सिख परिवारों को मुआवजा देने का फैसला किया है। वहां से आए समाचार के अनुसार प्रांत की सरकार ने मृतक सिखों के परिवारों के अलावा, एक अन्य घटना में जख्मी हुए तरलोक सिंह के परिवार को भी मुआवजे की राशि दी है।
पड़ोसी इस्लामी देश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिन्दुओं को जानबूझकर हिंसा का शिकार बनाया जाता रहा है। कभी उन पर ईशनिंदा का आरोप लगाया जाता है तो कभी छोटे—मोटे फर्जी आरोप लगाकर हिंसा की जाती है। हिन्दुओं की बच्चियां उठा ली जाती हैं और उनका जबरन कन्वर्जन करा कर किसी अधेड़ मुस्लिम से निकाह करा दिया जाता है। सिख समुदाय भी लगातार मजहबी उन्मादियों की हिंसा के निशाने पर रहा है।
गत शनिवार को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मनमोहन सिंह नाम के एक सिख कारोबारी की हत्या कर दी गई थी। उससे पहले एक घटना में दयाल सिंह भी मारे गए थे। अब वहां की सरकार ने दोनों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि सौंपी है। कल वहां के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मुहम्मद आजम खान ने परिवारों को चेक प्रदान कर यह राशि दी।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में सिखों की हत्या पर अफसोस जताया और कहा कि सिख शांति से रहने वाले देशभक्त लोग हैं। देश की तरक्की में उनका बड़ा हाथ है। आजम ने आगे यह भी कहा कि अल्पसंख्यक वर्गों के लोगों को हिंसा का निशाना बनाने अर्थ है पाकिस्तान में मजहबी अमनचैन को नुकसान पहुंचाना। आजम ने हिंसक तत्वों को सावधान करते हुए कहा कि उनके हिंसक इरादे कामयाब नहीं होने दिए जाएंगे।
खैबर पख्तूनख्वा में 35 साल के कारोबारी मनमोहन सिंह पर उस वक्त हथियारबंद बदमाशों ने हमला बोला था जब वे कारोबार के सिलसिले में शहर जा रहे थे। मनमोहन सिंह को गोलियों से छलनी कर दिया गया था, जिनकी बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। यह छह दिन पहले की घटना है। इससे पूर्व एक घटना में तकलोक सिंह मारे गए थे।
इतना ही नहीं, भारत की शायद इस तरफ बढ़ती गंभीरता तो देखते हुए ही, कार्यवाहक मुख्यमंत्री मुहम्मद आजम खान ने स्थानीय पुलिस को अल्पसंख्यक वर्गों के लोगों के विरुद्ध बढ़ते हिंसा के मामलों के संदर्भ में विस्तृत कार्ययोजना बनाने को कहा है। उन्होंने सिखों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं।
हैरानी की बात है उस प्रांत के मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में सिखों की हत्या पर अफसोस जताया और कहा कि सिख शांति से रहने वाले देशभक्त लोग हैं। देश की तरक्की में उनका बड़ा हाथ है। आजम ने आगे यह भी कहा कि अल्पसंख्यक वर्गों के लोगों को हिंसा का निशाना बनाने अर्थ है पाकिस्तान में मजहबी अमनचैन को नुकसान पहुंचाना। आजम ने हिंसक तत्वों को सावधान करते हुए कहा कि उनके हिंसक इरादे कामयाब नहीं होने दिए जाएंगे।
बताया गया है कि सिखों पर हमलों की कुछ घटनाओं की जिम्मेदारी जिहादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है। आजम खान ने यहां तक कहा कि खैबर पख्तूनख्वा सूबे की सरकार अल्पसंख्यक लोगों की जान—माल की सुरक्षा करने के लिए जो भी संभव होगा, वह करेगी।
कल मुआवजा राशि देने के अवसर पर हुए इस कार्यक्रम में पाकिस्तान में ‘श्राइन्स इवेक्यूइज प्रोपर्टी ट्रस्ट बोर्ड’ के अतिरिक्त सचिव राणा शाहिद सलीम और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान भी उपस्थित थे। मनमोहन सिंह और दयाल सिंह के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये का चेक दिया गया है तो, तरलोक सिंह के परिवार को तीन लाख रुपये प्रदान किए गए हैं।
पाकिस्तान के इस प्रांत में विशेष रूप से सिख समुदाय पर हमले होते आए हैं। गत अप्रैल से जून के मध्य सिख समुदाय पर चार बड़े हमले हुए हैं। इसी को लेकर भारत सरकार ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए पड़ोसी इस्लामी देश को सख्त संदेश दिया था।
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