देहरादून। उत्तराखंड में मानसून सक्रिय होते ही आफत की बारिश शुरू हो गई है। हरिद्वार में बीते दिन 155 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई, जिसके बाद गंगा खतरे के निशान पर बहने लगी। मानसून के बादलों के रुख को देखते हुए गढ़वाल मंडल के जिलों में मौसम विभाग में अलर्ट जारी किया है। रुद्रप्रयाग जिले में मौसम ज्यादा खराब होने की वजह से केदारनाथ पैदल यात्रा पर जिला अधिकारी ने रोक लगाई है। पैदल मार्ग पर जगह-जगह ऊपरी पहाड़ियों से जल प्रपात फूट पड़े हैं, जिस कारण यात्रा मार्ग में बाधा उत्पन्न हो रही है। हालांकि रुक-रुककर बारिश होने के दौरान आसमान साफ होते समय हेलीकॉप्टर की उड़ानें जारी हैं।
चमोली जिले में श्री हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी और उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री धाम की यात्रा भी बारिश की वजह से बाधित हुई है। जिला प्रशासन के आपदा नियंत्रण केंद्रों की सलाह पर ही यात्री आगे बढ़ रहे हैं। पुलिस नाकों पर भी यात्रा के विषय में सलाह दी जा रही है। अगले पांच दिनों में पौड़ी, टिहरी में भी भारी वर्षा की संभावना है। कुमायूं क्षेत्र में पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा, नैनीताल जिलों में मानसून सक्रिय रहने की बात मौसम विभाग ने कही है।
तीर्थ नगरी हरिद्वार में चंडी घाट के पास एनएच पर बोल्डर गिरे हैं। रविवार को जब बारिश हो रही थी तो शहर की सड़कों पर दो से तीन फीट पानी बह रहा था। एक दिन में 155 मिमी रिकॉर्ड बारिश दर्ज हुई। गंगा का पानी भी खतरे के निशान 293 मीटर के आसपास बह रहा था। एक समय गंगा का जल स्तर 292.20 मीटर तक पहुंच गया। दोपहर तक ये थोड़ा घटा और 291 मीटर पर बह रहा था। अभी अगले पांच दिन पहाड़ों पर भारी बारिश होने की संभावना है, जिसको देखते हुए गंगा के पठार के निचले हिस्सों में गंगा से दूर रहने की चेतवानी जारी की गई है। हरिद्वार में आज मानसून हल्का हुआ है, लेकिन आकाश में बादल अब भी छाए हुए हैं।
उत्तराखंड में टोंस, यमुना, कालसी, शारदा, गौला, कोसी आदि नदियों का जल स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। नदी किनारे बसे लोगों को दूर जाने की सलाह दी गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिन खुद आपदा नियंत्रण के मुख्यालय जाकर मानसून की तैयारियों को परखा और सभी जिलों में अधिकारियों को किसी भी आपदा के लिए तैयार रहने को कहा है। भारी बारिश के चलते आपदा नियंत्रण कक्ष को 24 घंटे सक्रिय किया गया है। जानकारी के मुताबिक भारी बारिश की वजह से अब तक एक व्यक्ति की मौत हुई है, जबकि 4 सौ से ज्यादा भेड़-बकरियों की बिजली गिरने से मौत हो चुकी है।
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