भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा समाप्त हो गयी है। इस यात्रा के मध्य जहाँ ऐसे कई अवसर आए जहाँ पर भारत की आम जनता गौरवान्वित हुई तो वहीं भारत का कथित लिबरल वर्ग एक बार फिर से उसी एजेंडे पर दुःख में डूब गया कि अमेरिकी सरकार भारत में डरे हुए मुसलमान पर प्रधानमंत्री मोदी को क्यों नहीं घेर रही है। इसकी बाकायदा योजना भी बनाई गयी थी।
अमेरिका की सोमालिया मूल की सांसद इलहान उमर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी घृणा एवं अपनी कट्टरपंथी सोच का प्रदर्शन करते हुए ट्वीट किया कि वह प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में सम्मिलित नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने धार्मिक अल्पसंख्यकों का शोषण किया है और हिंसक हिन्दू राष्ट्रवादी समूहों के प्रति समर्थन दिया है, इसके साथ ही उन्होंने पत्रकारों/मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया है।
हालांकि इल्हान के इस ट्वीट के बाद भारत के ही कई मुस्लिमों ने उनका विरोध आरम्भ कर दिया था। एक यूजर ने लिखा था कि वह एक भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय से हैं या कहें कि वह दूसरे सबसे बड़े बहुसंख्यक समुदाय से हैं। भारत में समानाधिकारों और अवसरों के साथ सुरक्षित!
इल्हान का हिन्दू बाहुल्य भारत से विरोध नया नहीं है, बल्कि गाहे बगाहे यह सामने आता ही रहता है। वह सोमालिया मूल की नेता हैं, और कट्टरपंथी इस्लामिक देशों की हिमायती हैं। उनका सारा ध्यान इसी पर है कि हिन्दू क्या कर रहे हैं, जबकि वह अफगानिस्तान, ईरान में मुस्लिम महिलाओं की दुर्दशा पर बात नहीं करती हैं। वह उन देशों में मुस्लिम शरणार्थियों द्वारा किए गए अपराधों पर बात नहीं करती हैं, जिसमें वह स्थानीय लड़कियों को निशाना बना रहे हैं।
इल्हान उमर इस सीमा तक भारत से घृणा करती हैं कि मार्च 2023 में वह यह तक कह चुकी हैं कि भारत में 200 मिलियन मुस्लिमों का जीनोसाइड होगा अर्थात नरसंहार होगा! जबकि यह वही इल्हान हैं जिन्होंने 9 सितम्बर 2011 को अमेरिका पर हुए कट्टरपंथी हमले को लेकर यह कहा था कि चूंकि कुछ लोगों ने कुछ कर दिया तो अमेरिका में मुस्लिमों के नागरिक अधिकारों पर नकारात्मक असर पड़ा है।
इल्हान वही हैं जिन्होंने कश्मीर के उस हिस्से की यात्रा की थी जिसपर पाकिस्तान ने जबरन कब्जा किया हुआ है और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से मदद की थी। इल्हान ने इजरायल के खिलाफ इस सीमा तक विषवमन किया था कि उन्हें हाउस फोरेन अफेयर्स कमिटी से अलग कर दिया था। मोदी सरकार के प्रति इल्हान उमर इस सीमा तक घृणा से भरी हुई हैं कि वह बाइडेन सरकार की इस कारण आलोचना कर चुकी हैं कि वह “मुस्लिम विरोधी” मोदी सरकार के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाए हुए हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति केवल इल्हान ही घृणा से नहीं भरी हैं, इस बार ऐसे व्यक्ति ने मोदी सरकार को मुस्लिम विरोधी ठहराने का प्रयास किया, जिन्होंने अपने पूरे शासनकाल में तमाम मुस्लिम देशों पर हमले किए और न जाने कितने निर्दोष मुस्लिमों को मौत की नींद सुलाया। वह हैं पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा! उन्होंने भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के प्रधानमंत्री से मिलते हैं तो हिन्दू बाहुल्य भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिमों की रक्षा की बात की जानी चाहिए।
बराक ओबामा ने यह तक दावा कर दिया कि अगर मेरी बात भारत के प्रधानमंत्री से होती है तो हमारी बातचीत में यह बात होती कि अगर भारत के अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं की गयी तो भारत पीछे चला जाएगा, और भारत के हितों के विपरीत होगा।
खास बात यह है कि जिस व्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्धों के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए था, उसे नोबल शांति से सम्मानित किया गया है। बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल में कई मुस्लिम देशों पर बमबारी की थी और हजारों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा था। वर्ष 2016 में ही अमेरिका ने 26,171 बम गिराए थे। बराक ओबामा का कार्यकाल ड्रोन द्वारा किए गए हमलों का भी रहा था। एक रिपोर्ट के अनुसार बराक ओबामा के कार्यकाल में 542 ड्रोन हमले किए गए थे जिनमें 3,797 लोग मारे गए थे, और जिनमें 324 नागरिक भी थे। जिन देशों पर हमले किए गए थे उनमें पाकिस्तान, यमन और सोमालिया जैसे देश सम्मिलित थे।
वहीं ओबामा पर ही यह आरोप लगते रहे कि यह बराक ही थे जिनके कारण मुस्लिम ब्रदरहुड जैसा कट्टरपंथी संगठन मजबूत हो सका। एक पुस्तक में रोसोमंड़ो ने बराक प्रशासन एवं मुस्लिम ब्रदरहुड के बीच कई लिंक बताए हैं। इस पुस्तक के अनुसार “ओबामा प्रशासन का यह मानना था कि मुस्लिम ब्रदरहुड और अलकायदा को अलग करना है। ओबामा के अनुसार मुस्लिम ब्रदरहुड को सशक्त करने से अलकायदा कमजोर हो जाएगा।
ऐसे कई मामले हैं जिनसे यह पता चलता है कि कैसे बराक ओबामा ने मुस्लिम देशों में बमबारी करके लोगों को मारा। लीबिया को नष्ट किया और विशेषज्ञों का यही मानना है कि अरब स्प्रिंग्स के मध्य आईएसआईएस को अपनी शक्ति बढाने का अवसर मिला। भारत को कथित रूप से यह सीख देने वाले कि भारत को अल्पसंख्यकों के साथ सही व्यवहार किया जाना चाहिए, कभी भी मुस्लिम देशों में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों पर बात नहीं करते हैं, बराक ओबामा से लेकर इल्हान ओमर तक ऐसे तमाम नेता हैं, जो समय समय पर उस भारत के खिलाफ खड़े हो जाते हैं, जहां पर हिन्दू अभी भी अपनी उस संस्कृति के साथ जीवित है जिसमें सर्वे भवन्तु सुखिन: का भाव है। विदेशियों का और कट्टरपंथियों का हिन्दू चेतना वाले भारत के प्रति यह दुर्भाव समझ में आता है, परन्तु इनकी आड़ में जिस प्रकार भारत के लिब्रल्स शोर मचाने लगते हैं, वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
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