आपातकाल के समय करीब दर्जन भर लोग बचते-बचाते सत्याग्रह स्थान पर पहुंचे। पुलिस को विरोध प्रदर्शन की कोई पूर्व सूचना नहीं थी।
आपातकाल के समय मेरी उम्र 24 साल की थी। उस समय मैं संघ का प्रचारक था। जैसे ही देश में आपातकाल लगा तो निर्देश मिला कि अगले दिन कोटला मुबारकपुर से सत्याग्रह का नेतृत्व करना है। वहां पर लगभग 50 लोग होंगे।
जो भी माहौल होगा, उसको नियंत्रित करना है। करीब दर्जन भर लोग बचते-बचाते सत्याग्रह स्थान पर पहुंचे। पुलिस को विरोध प्रदर्शन की कोई पूर्व सूचना नहीं थी। लेकिन एकाएक देखा कि पुलिस आ धमकी। उसने हमें गिरफ्तार कर लिया। एक रात और एक दिन थाना एवं कोर्ट में रहने के बाद हमें तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
प्रधानमंत्री के नाम पर नीचे के लोग मनमानी करने पर तुले हुए थे। हम लोग कहीं भी आजाद नहीं थे। कोई भी व्यक्ति कांग्रेस या प्रधानमंत्री के विरोध में कुछ भी नहीं बोल सकता था। ‘नो वकील, नो दलील, नो अपील’ सीधे गिरफ्तारी।
24 घंटे भूखे ही गुजारे थे। कोर्ट के कहने के बाद भी हमें पुलिस वालों ने खाना नहीं खिलाया। आपातकाल के दौरान माहौल कुछ ऐसा था कि चिड़िया तक चूं नहीं कर सकती थी। लाखों लोगों को गिरफ्तार किया गया। किसी को 16 महीने तो किसी को 19 महीने कारावास में गुजारने पड़े। सारी राजनीतिक गतिविधियां समाप्त हो गईं।
प्रधानमंत्री के नाम पर नीचे के लोग मनमानी करने पर तुले हुए थे। हम लोग कहीं भी आजाद नहीं थे। कोई भी व्यक्ति कांग्रेस या प्रधानमंत्री के विरोध में कुछ भी नहीं बोल सकता था। ‘नो वकील, नो दलील, नो अपील’ सीधे गिरफ्तारी।
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