भोपाल। वह बच्ची थी जब उसके साथ गलत हुआ था, लेकिन समय बीतने के साथ उसने एक बच्चे को जन्म दिया और वह बच्चा अब तीन साल का हो गया है। कल की यह बच्ची बालिग हो चुकी है, लेकिन पॉक्सो कानून के तहत जो आर्थिक सहायता उसे मिलनी थी, वह कई वर्ष गुजर जाने के बाद भी इस पीड़िता को अब तक नहीं मिली। एक बच्चे का इमरजेंसी में हार्ट का ऑपरेशन होना है। कई बच्चे ऑटिज्म के शिकार हैं। दिल में छेद वाले बच्चों की तादात भी कुछ कम नहीं। किसी के होठ चिपके हुए हैं तो किसी के कोई और अंग, ऐसे भी बच्चे हैं, जिन्हें सुनाई नहीं देता।
दरअसल, यह कुछ मामले नहीं, मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में इस प्रकार के 700 से अधिक बच्चों से जुड़े प्रकरण सामने आए हैं, जिनका समाधान राष्ट्रीय बाल आयोग की भिण्ड जिले की गोहद तहसील में लगी एक दिन की बैंच में कर दिया गया। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो सहित मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के सदस्यगण डॉ. निवेदिता शर्मा, ओंकार सिंह शुक्रवार को एक दिन की बच्चों की बैंच लगाने यहां पहुंचे थे। जिसमें कि विभिन्न विभागों के जिला अधिकारी एवं विकास खंड गोहद के समस्त खंडस्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि बाल श्रम, बाल भिक्षावृति, बच्चों के साथ शोषण, शारीरिक दण्ड, विकलांगता संबंधी सहयोग, यौन शोषण, मुआवजा, चिकित्सा एवं अन्य प्रकार की सहायता तथा शिकायतों को इस बाल आयोग की बैंच के समक्ष निराकरण के लिए प्रस्तुत किया गया, जहां त्वरित समाधान देने का प्रयास इन सभी के द्वारा किया गया है। जो यहां आया वह समाधान पाकर मुस्कुराहट के साथ घर वापसी करता हुआ देखा जा रहा था। वर्षों से लंबित प्रकरणों को यहां इस बैंच के जरिए कुछ ही घण्टों में समाधान तक पहुंचा दिया गया।
इस संबंध में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो का कहना है कि आज़ादी के अमृत महोत्सव में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आकांक्षी ज़िले/ब्लॉक को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रारम्भ किए गए महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में अपना योगदान देने के निमित्त, बाल अधिकारों से सम्बंधित समस्याओं के समाधान के लिए बैंच लगाई जा रही हैं। इसी के अंतर्गत मध्यप्रदेश, भिंड जिले के गोहद ब्लॉक में एनसीपीसीआर की उपस्थिति में बाल अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित इस शिकायत निवारण पीठ का आयोजन किया गया था।
उन्होंने बताया कि यहां जोखिमग्रस्त परिवारों की मैपिंग के आधार पर बच्चों के अधिकारों से जुड़ी एनसीपीसीआर को व्यक्तिगत रूप से लगभग 400 और प्रतिनिधियों से 300 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुईं। इनके समाधान के लिए बच्चों और उनके परिवारों को भारत सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित किए जाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। साथ ही संबंधित अधिकारियों को शिकायतों के निवारण के लिए निर्देश दिए गए हैं।
मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा, ओंकार सिंह का कहना रहा कि इस एक दिन की बैंच में बच्चों से जुड़े सबसे अधिक दिव्यांगता के मामले सामने आए हैं। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष कानूनगो की पहल से अब जाकर यह संभव होगा कि एक बच्ची जोकि पॉक्सो पीड़िता है, उसे न्याय मिलेगा और इस कानून के तहत जो सहायता राशि उसे आज से वर्षों पूर्व मिल जानी चाहिए थी, वह अब उसे मिलना संभव हो पाएगी। इसके लिए जिला विधिक सहायता प्राधिकरण को लिखा गया है। एनसीपीसीआर अध्यक्ष की ओर से छह स्पेशल बच्चों को आवश्यक किट दी गई। वहीं, एक बच्चे का तुरंत हार्ट का ऑपरेशन होना है, उसके लिए सेंट फ्रांसिस अस्पताल और अनुसंधान केंद्र इंदौर, जहां हार्ट के इलाज की चिकित्सा संबंधी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, वहां से इस बच्चे का ऑपरेशन होना तय करवाया गया।
इसके साथ ही इन्होंने बताया कि जो बच्चे के ऑटिज्म और दिल में छेद होने की समस्या से पीड़ित मिले, उनके लिए सही इलाज की व्यवस्था के आवश्यक निर्देश एवं योजनाओं के माध्यम से उन्हें सहायता मिल सके इसका इस बैंच ने प्रयास किया। यहां कई बच्चों की आंख सफेद पाई गईं। कई बच्चों के दिव्यांगता सर्टिफिकेट नहीं बने हैं। भिण्ड की तहसील गोहद में ऐसे अनेक बच्चे मिले हैं, जिनमें बहरेपन की शिकायत है। इन सभी को केंद्र सरकार की ‘निरामय योजना’ में लिया गया, ताकि बच्चों को तत्काल इलाज के लिए एक लाख रुपए तक की सहायता मिल जाए। इनके अलावा भी अलग-अलग शिकायतें आईं थी, जिनका कि समाधान करने का प्रयास इस बैंच के माध्यम से हुआ है।
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