माथेरान भारत का सबसे छोटा पहाड़ी पर्यटन स्थल है। वैसे तो यहां पूरे साल लोग आते रहते हैं परन्तु बरसात में माथेरान के पर्वत हरियाली की चादर ओढ़ लेते हैं और वहां बनते-मंडराते बादल एक रहस्यमय और खूबसूरत वातावरण बना देते हैं।
मुंबई से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर रायगढ़ जिले की करजत तहसील में स्थित माथेरान भारत का सबसे छोटा पहाड़ी पर्यटन स्थल है। वैसे तो यहां पूरे साल लोग आते रहते हैं परन्तु बरसात में माथेरान के पर्वत हरियाली की चादर ओढ़ लेते हैं और वहां बनते-मंडराते बादल एक रहस्यमय और खूबसूरत वातावरण बना देते हैं।
माथेरान जाने के लिए मुंबई से नेरल तक ट्रेन या टैक्सी से जाना पड़ता है। नेरल से एक छोटी टॉय ट्रेन चलती है जो माथेरान तक जाती है। इसका रास्ता बेहद खूबसूरत पर्वतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है। नेरल से यदि यह ट्रेन नहीं चल रही हो तो वहां से अमन लॉज तक टैक्सी से जाना पड़ता है और अमन लाज से दो-ढाई किलोमीटर की यात्रा पैदल, घोड़े या हाथरिक्शा से करनी पड़ती है। यहां पर काफी संख्या में होटल हैं और सस्ते भी हैं। एक हजार से शुरू होकर दो-तीन हजार रुपये प्रतिदिन में अच्छे होटल मिल जाते हैं।
माथेरान कस्बे के अलावा यहां पर्वत, हरियाली, झील और जंगल पाये जाते हैं। माथेरान के जंगलों से बाहर प्राकृतिक दृश्यों को देखने के लिए सिलिया, लुइसा, ईको, हनीमून, एलेक्जेन्डर, रामबाग, वन ट्री हिल, हार्ट, लार्ड्स, सेसिल, पैनोरमा, चौक, लिटिल चौक, मंकी नाम के कई प्वाइंट बनाए गए हैं जहां से लोग दूर-दूर तक फैले प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते हैं। यहां पर पैदल जाने-आने में बहुत समय लग जाता है। यहां एक विशेष प्रकार के रिक्शे चलते हैं जिसे तीन आदमी मिलकर चलाते हैं।
शारलाट लेक से पहाड़ों का दृश्य पर्यटकों को बेहद लुभाता है। हिमालय पर्वत के शिखर त्रिभुजाकार में ही मिलते हैं पर माथेरान के पर्वत कुछ अलग तरह के होते हैं। लगता है कि एक शिखर पर किसी ने पत्थरों का एक विशाल किला बना दिया हो। ट्रेन सेवा बन्द हो तो लोग रेलवे की पटरियों के सहारे पैदल ही माथेरान जाते दिखाई दे जाते हैं। पटरियों पर पैदल चलते रहने का भी एक अलग सुख है।
दो आगे और एक पीछे से रिक्शे को संभालता है। इन रिक्शों में पैडल या चेन नहीं होती। घूमने के लिए घोड़े भी उपलब्ध हैं। शारलाट लेक से पहाड़ों का दृश्य पर्यटकों को बेहद लुभाता है। हिमालय पर्वत के शिखर त्रिभुजाकार में ही मिलते हैं पर माथेरान के पर्वत कुछ अलग तरह के होते हैं। लगता है कि एक शिखर पर किसी ने पत्थरों का एक विशाल किला बना दिया हो। ट्रेन सेवा बन्द हो तो लोग रेलवे की पटरियों के सहारे पैदल ही माथेरान जाते दिखाई दे जाते हैं। पटरियों पर पैदल चलते रहने का भी एक अलग सुख है।
माथेरान में दर्शनीय स्थलों में मुख्य रूप से 17 प्वाइंट हैं जहां से प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। मुख्य प्वाइंट से जुड़े कहीं 7 तो कहीं 10 प्वाइंट हैं जहां से लोग वहां के दृश्य देख सकते हैं। लोग एक-एक करके हर पॉइन्ट पर रुकते और वहां से आगे बढ़ जाते हैं। माथेरान का बाजार किसी वनवासी स्थल के बाजार की तरह लगता है। बाजार यहां के स्थानीय किसानों द्वारा उपजाई गई तरह-तरह की सब्जियों, फलों आदि से भरा रहता है। सच, माथेरान से लौटने का मन नहीं करेगा, ऐसा रमणीक स्थल है यह।
(लेखक-यायावर, साहित्यकार एवं फोटोग्राफर हैं)
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