केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2022 पर बयान आया है। उन्होंने कहा है कि वह विधेयक को स्वीकृति नहीं देंगे क्योंकि यह संविधान की भावना के खिलाफ है।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘यहां हमें ये एहसास नहीं हो रहा है कि हम अपने बच्चों के भविष्य के साथ खेल रहे हैं। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में राज्यपाल को कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करने का उद्देश्य विश्विद्यालय को कार्यकारी इंटरफेस से बचाना था। यहां विश्वविद्यालयों को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। अभी आधे से अधिक विश्वविद्यालयों में कोई नियमित वाइस चांसलर नहीं है…मुझे नहीं पता कि क्या होने वाला है। लेकिन यह बिल जो उन्होंने प्रस्तावित किया है वो संविधान की भावना और कानून के खिलाफ जाता है। मैं उसे (विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक) स्वीकृति नहीं दूंगा।’
बता दें कि केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने पिछले साल 7 दिसंबर को विधानसभा में विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया था, जिसे 13 दिसंबर को विधानसभा पारित किया गया। इस विधेयक के तहत मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और अध्यक्ष की तीन सदस्यीय समिति नया चांसलर तय कर सकेगी। इस विधेयक के अनुसार सरकार कृषि और पशु चिकित्सा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान, मानविकी, साहित्य, कला सहित विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में उच्च ख्याति प्राप्त शिक्षाविद या प्रतिष्ठित व्यक्ति की नियुक्ति करेगी।
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