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नासा की उच्च अधिकारी ने भारत को बताया वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति

अमेरिका के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नासा का मानना है कि भारत आज एक वैश्विक शक्ति है। आज भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है जिनकी अंतरिक्ष तक स्वतंत्र पहुंच बन चुकी है

by WEB DESK
Jun 17, 2023, 05:45 pm IST
in विश्व
नासा में प्रौद्योगिकी, नीति तथा रणनीति की सहायक प्रशासक भव्या लाल

नासा में प्रौद्योगिकी, नीति तथा रणनीति की सहायक प्रशासक भव्या लाल

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अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ की एक उच्च अधिकारी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के तेजी से बढ़ते कदमों की प्रशंसा करते हुए भारत को एक वैश्विक शक्ति बताया। उन्होंने कहा कि भारत अब अंतरिक्ष तक स्वतंत्र पहुंच रखने वाले देशों में से एक बन गया है। उल्लेखनीय है भारत ने बीते वर्षों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक के बाद एक रिकार्ड दर्ज कराए हैं और उपद्रह छोड़ने के मामले में वह आज किसी भी विकसित देश से पीछे नहीं है।

नासा की इस उच्च अधिकारी ने कहा है कि अब भारत का कद अंतरिक्ष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करने चाहिए। यह समझौता अंतरिक्ष के क्षेत्र में खोज को लेकर एक जैसी सोच वाले देशों को एक मंच पर लाता है।

अमेरिका के अंतरिक्ष संगठन नासा में प्रौद्योगिकी, नीति तथा रणनीति की बतौर सहायक प्रशासक कार्यरत भव्या लाल ने एक साक्षात्कार में कहा है कि गत मई माह तक आर्टेमिस समझौते पर 25 देशों के हस्ताक्षर हैं। भव्या को पूरी उम्मीद है कि समझौते में 26वां देश भारत ही होगा। भव्या ने कहा कि भारत का आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करना महत्वपूर्ण कदम होगा इसलिए उसे इस दिशा में सोचना चाहिए। नासा का बेशक मानना है कि भारत आज एक वैश्विक शक्ति है। आज भारत उन चंद देशों में से एक है जिनकी अंतरिक्ष तक स्वतंत्र पहुंच बन चुकी है। जिनका एक विकसित और संपन्न प्रक्षेपण उद्योग है। भारत चंद्रमा तक गया है, मंगल ग्रह तक गया है, इसलिए बेशक भारत को आर्टेमिस दल का भाग होना चाहिए।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इसरो’ विश्व के किसी भी अंतरिक्ष संगठन को टक्कर देता है (फाइल चित्र)

बाह्य अंतरिक्ष संधि (ओएसटी)-1967 पर आधारित आर्टेमिस समझौता असल में 21वीं सदी में नागरिक अंतरिक्ष अनुसंधान को दिशा दिखाने के लिए तैयार किए सिद्धांतों का एक अबाध्यकारी संच है। यह इंसान को 2025 तक चंद्रमा पर उतारने के अमेरिकी नेतृत्व वाले प्रोजेक्ट की ओर एक कोशिश है। इसका आखिरी उद्देश्य है अंतरिक्ष अनुसंधान को मंगल ग्रह तथा उससे भी आगे तक लेकर जाना।

नासा की इन उच्च अधिकारी का आगे कहना है कि यह हमारे इस चीज को सुनिश्चित करने का प्रयास है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए अंतरिक्ष ‘सस्टेनेबल’ बना रहे। इसलिए, उनका मानना है कि इसमें फायदे की बात यह है कि एक जैसी सोच के समान मूल्यों वाले विभिन्न देश एक साथ इस काम में जुटते हैं। भारत का इस समझौते से जुड़ना एक प्रकार से यह उद्घोष करने जैसा होगा कि वह एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति है। वह सतत खोज, अंतरिक्ष क्षेत्र के जिम्मेदारी भरे उपयोग, समन्वय, पारदर्शिता जैसी बातों को प्राथमिकता पर रखता है।

नासा की अधिकारी भव्या असल में उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में जन्मीं हैं और नई दिल्ली में पली-बढ़ी हैं। भव्या इससे पहले नासा के कार्यवाहक मुख्य प्रौद्योगिकीविद् की जिम्मेदारी उठा चुकी हैं। नासा के अब तक के 60 से ज्यादा साल के काम में वह इस पद पर आने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं।

आइए समझें आर्टेमिस समझौता
बाह्य अंतरिक्ष संधि (ओएसटी)-1967 पर आधारित आर्टेमिस समझौता असल में 21वीं सदी में नागरिक अंतरिक्ष अनुसंधान को दिशा दिखाने के लिए तैयार किए सिद्धांतों का एक अबाध्यकारी संच है। यह इंसान को 2025 तक चंद्रमा पर उतारने के अमेरिकी नेतृत्व वाले प्रोजेक्ट की ओर एक कोशिश है। इसका आखिरी उद्देश्य है अंतरिक्ष अनुसंधान को मंगल ग्रह तथा उससे भी आगे तक लेकर जाना।

Topics: americaresearchनासाagreementIndiaspaceNASAartemissignatoryभारतbhavyalalअमेरिकाmodi
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