नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को अमेरिका से 31 प्रीडेटर (एमक्यू-9 रीपर) ड्रोन हासिल करने के सौदे को मंजूरी दे दी। अंतिम फैसला सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) करेगी।
चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने और निगरानी को बढ़ावा देने के लिए सेना, नौसेना और वायुसेना ने एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की जरूरत बताई है। इस ड्रोन के आने के बाद हिंद महासागर में चीन के खिलाफ घेराबंदी और मजबूत हो सकेगी। भारतीय नौसेना इस सौदे के लिए प्रमुख एजेंसी है, जिसमें 15 ड्रोन समुद्री बल में जाएंगे। थल सेना और वायुसेना की भी 8-8 ड्रोन बेड़े में शामिल करने की योजना है।
ये है खासियत
- एमक्यू-9 रीपर ड्रोन को सैन डिएगो स्थित जनरल एटॉमिक्स ने बनाया, जो लगातार 48 घंटे उड़ सकता है
- यह 6,000 समुद्री मील से अधिक दूरी तक लगभग 1,700 किलोग्राम (3,700 पाउंड) का पेलोड ले जा सकता है
- यह नौ हार्ड-पॉइंट्स के साथ आता है, जो हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों के अलावा सेंसर और लेजर-निर्देशित बम ले जाने में सक्षम है
- अधिकतम दो टन का पेलोड है
- हथियारबंद ड्रोन से भारतीय सेना उस तरह के मिशन को अंजाम दे सकती है, जिस तरह का ऑपरेशन नाटो बलों ने अफगानिस्तान में किया था।
- इसका इस्तेमाल अधिक्रांत कश्मीर में आतंकवादियों के ठिकाने पर रिमोट कंट्रोल ऑपरेशन, सर्जिकल स्ट्राइक और हिमालय की सीमाओं पर लक्ष्य को टारगेट बनाने में किया जा सकता है
- इसी ड्रोन से ओसामा बिन लादेन की निगरानी हुई थी
- जवाहिरी को भी इसी ड्रोन के जरिये किया गया था ढेर
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