एक और हैरान करने वाली खबर एक बार फिर चीन से आई है। चीन किस हद तक अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में लगा है उसका एक बार फिर खुलासा हुआ है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सेना और वुहान लैब के वैज्ञानिकों की एक बड़ी चूक की वजह से दुनियाभर में कोरोना महामारी फैली थी जिसमें लाखों को जान गंवानी पड़ी थी। पता चला है कि चीन की सेना वुहान के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किसी घातक जैविक हथियार पर काम कर रही थी, लेकिन उस प्रयोग में कहीं कोई चूक हो गई और कोरोना वायरस लैब से रिस कर इंसानी जगत में जा पहुंचा।
वैसे कोरोना वायरस कैसे फैला, इसको लेकर अब तक कई सोच, समाचार, अध्ययन, रिपोर्ट सामने आई तो हैं, लेकिन किसी से भी यह सौ फीसदी स्पष्ट नहीं हुआ कि आखिर कोविड वायरस कहां से और कैसे फैलना शुरू हुआ था। इसी कड़ी में अब यह एक और सनसनीखेज रिपोर्ट सामने आई है और एक बार फिर यह चालाक चीन को दोषी दिखा रही है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद, एक बार फिर चीन की मंशा पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं। जनवरी 2020 में इस महामारी के सामने आने के बाद से, गत तीन वर्ष से हर सभ्य देश में यह बहस छिड़ी है कि कोरोना वायरस किस वजह से फैला और अगर यह चीन से फैला तो उस पर अंतरराष्ट्रीय संगठन क्या कार्रवाई कर रहे हैं! लेकिन इस बहस का अभी तक कोई छोर नजर नहीं आया है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद, एक बार फिर चीन की मंशा पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं। जनवरी 2020 में इस महामारी के सामने आने के बाद से, गत तीन वर्ष से हर सभ्य देश में यह बहस छिड़ी है कि कोरोना वायरस किस वजह से फैला और अगर यह चीन से फैला तो उस पर अंतरराष्ट्रीय संगठन क्या कार्रवाई कर रहे हैं!
अधिकांश अध्ययनों और दावों के केन्द्र में दोषी वुहान लैब ही रही है। वहां जिस प्रकार के जिंदा जानवरों पर प्रयोग किए जाते रहे हैं, उनसे संदेह पुख्ता होता गया है कि किसी प्रयोग में गड़बड़ या चूक के चलते कोविड वायरस रिस गया था। वैज्ञानिकों के पास उसका कोई तोड़ नहीं था। इस बीच चीन ने प्रयोग से जुड़े सारे डाटा को कथित रूप से छुपा या बर्बाद कर दिया जिससे उसकी शैतानी पकड़ में न आए। चीन ने इस पर उठे हर सवाल से खुद को बचाने की चाल ही चली। डब्ल्यूएचओ के जांच दल को भी लैब में सीमित स्थान ही दिखाए गए इसलिए उस संगठन की जांच भी कमोबेश आधी—अधूरी ही रही।
लेकिन इस नई रिपोर्ट के आने के बाद एक बार फिर चीन की तरफ उंगलियां उठी हैं। इस रिपोर्ट को लेकर ‘द संडे टाइम्स’ ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में एक प्रकार से चीन सरकार और कम्युनिस्ट फौज पीएलए की घातक मंशाओं की तरफ संकेत है। बताया गया है कि विश्व में कोरोना महामारी फैलाने के पीछे चीन ही दोषी है। चीनी वैज्ञानिक एक गोपनीय प्रयोग कर रहे थे। इसमें सेना का भी साथ था। इसी दौरान वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से वायरस रिस गया।
दस्तावेजों के आधार पर बताया गया है कि इसमें पहले सामने आईं गोपनीय रिपोर्ट, प्रपत्र, वैज्ञानिक शोधों के आंकड़े तथा ईमेल आदि शामिल हैं। इस रिपोर्ट को लिखने वाले एक जांचकर्ता का तो यहां तक कहना है कि अब कोई शक नहीं रहा है। यह वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ही है जहां से कोरोना महामारी शुरू हुई थी। यही लैब है जहां से जानलेवा वायरस रिसा था और दुनियाभर में भारी तबाही मचा गया था।
इस रिपोर्ट पर काम करने वाले अमेरिका के शोधकर्ताओं को उद्धृत करते हुए रिपोर्ट बताती है कि असल में इसमें चीनी सेना के शोधकर्ताओं का हाथ है। सेना ने ही पूरे प्रोग्राम में पैसा लगाया था। यह सारा खतरनाक खेल चीनी सेना द्वारा रचा गया था। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि वुहान इंस्टीट्यूट में शोध के लिए चीनी सेना के अधिकारियों को बड़े पदों पर बिठाया गया था। एक जांचकर्ता का दावा है कि चीन की सेना असल में वायरस की मदद से कोई बेहद मारक जैविक हथियार बना रही थी। कथित तौर पर वह दुश्मन देशों पर जैविक हथियारों का इस्तेमाल करना चाह रही थी।
पता यह भी चला है कि वुहान लैब चमगादड़ों पर खतरनाक प्रयोग कर रही थी। जब दुनिया भर के अनेक वैज्ञानिकों ने इस चमगादड़ वाली बात को सामने रखा तब भी चीन यह कहकर कन्नी काट गया कि ‘वह तो वैक्सीन बनाने के लिए किया जा रहा था’। लेकिन अब इस रिपोर्ट ने यह खुलासा भी किया है कि चीन असल में उन जैविक हथियारों से अपने बचाव के लिए वैक्सीन तैयार कर रहा था।
चीन की इस कथित शैतानी की वजह से कोरोना से दुनिया में हाहाकार मच गया था। लाखों लोग असमय मौत के मुंह में समा गए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस कोरोना महामारी से दुनिया में 6,941,095 लोगों की मृत्यु हुई थी।
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