अब अपने लिए समय निकालना, अपनी दिनचर्या तथा स्वास्थ्य की तरफ ध्यान देना हमें व्यर्थ का काम लगने लगा है। दिनभर बस मोबाइल या कम्प्यूटर के सामने लगे रहते हैं और भूख लगने पर जंक या फास्ट फूड का सेवन।
आज मनुष्य ने बहुत प्रगति कर ली है। हर क्षेत्र में तेज रफ्तार से हो रही प्रगति के साथ कदमताल करने के लिए मनुष्य अपना अधिकांश समय काम पर खर्च कर रहा है। इस आगे बढ़ने तथा नया सीखने की होड़ में आज हम अपनी तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे। अब अपने लिए समय निकालना, अपनी दिनचर्या तथा स्वास्थ्य की तरफ ध्यान देना हमें व्यर्थ का काम लगने लगा है।
दिनभर बस मोबाइल या कम्प्यूटर के सामने लगे रहते हैं और भूख लगने पर जंक या फास्ट फूड का सेवन। इसी के चलते आज 10 में से 9 लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, चाहे वह मधुमेह हो, मोटापा हो, उच्च रक्तचाप हो या पोषक तत्वों की कमी ही हो।
बच्चों तथा तरुणों में तो जैसे होड़ लगी रहती है कि बाजार में कौन-सा जंक फूड आया है जिसे आज हमें लेना है। इनकी बढ़ती खपत को देखते हुए बाजार में इनका उत्पादन भी बढ़ता जा रहा है। भारत जैसी प्राचीन सभ्यता वाले देशों में, खानपान भी हमारी प्राचीन सभ्यता से जुड़ा है। हम लोग आज इस सभ्यता को भूलते जा रहे हैं और पाश्चात्य जगत से आई खानपान की नयी सभ्यता को अंगीकार करते जा रहे हैं। इसी का परिणाम आज शारीरिक समस्याओं के तौर पर देखने को मिल रहा है।
क्या है जंक या फास्ट फूड
क्या है विकल्प
अब चूंकि ये पदार्थ हमारे लिए इतने हानिकारक हैं, तो इनकी जगह खाने के लिए कुछ सेहतमंद पदार्थों का चयन करना चाहिए। इस सूची में भुने चने, उबले चने, भेल, खाकरा, भुने मखाने, सूखे बीज, मेवे, फल, सलाद, अंकुरित सब्जियों की चाट, पोहा, उपमा, इडली, आप्पे, चिल्ला, दलिया आदि बहुत सारे पदार्थों को रखा जा सकता है।
कोल्डड्रिंक जंक फूड में सबसे अव्वल स्थान पर हैं जिनका सेवन शायद आधे से ज्यादा घरों में हो रहा है। गर्मी में यदि ठंडा पीने का मन है तो मट्ठा, नारियल पानी, नींबू पानी, बेल का शरबत, कोकम शरबत, गन्ने का रस जैसे पदार्थ लिये जा सकते हैं।
खाने में पदार्थों का चयन हमेशा सोच-समझ कर तथा स्थानीय आधार पर करना चाहिए। हम आज जो सेवन कर रहे हैं, उसका परिणाम हमें कल देखने को मिलेगा। इसी पर हमारा शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ निर्भर करता है।
(लेखिका वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ हैं)
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