जिन देशों में चलता है यूरो, क्या उन देशों को मंदी कर देगी चलता? कारोबार पर संकट, महंगाई आसमान पर
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जिन देशों में चलता है यूरो, क्या उन देशों को मंदी कर देगी चलता? कारोबार पर संकट, महंगाई आसमान पर

विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी बड़ी वजह रही पिछले साल के ईंधन मूल्य के कारण उपभोक्ता पर तेजी से आया बोझ। यूरो क्षेत्र में मंदी और गहराने वाली है। ऐसा तब होगा जब यूरोप का सेंट्रल बैंक ब्याज दरों को तय करने के लिए बैठक करेगा

by WEB DESK
Jun 9, 2023, 12:45 pm IST
in विश्व
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यूरो में कारोबारी व्यवहार करने वाले देशों पर जबरदस्त खतरा मंडरा रहा है। ऐसे करीब 20 देशों फिलहाल तो मंदी का असर कुछ हल्का है, लेकिन वहां रोज बढ़ती महंगाई और कारोबार के ठप होने के खतरे ने लोगों की नींद उड़ाई हुई है।

जिन भी देशों में यूरो व्यवहार में है यानी जो यूरो क्षेत्र के अंतर्गत हैं, उनमें महंगाई संभाले नहीं संभल रही है। आर्थिक जगत के विशेषज्ञ ऐसे देशों की संख्या फिलहाल 20 बता रहे हैं जो आंशिक तौर पर मंदी की चपेट महसूस कर रहे हैं। उन देशों में तेजी से बढ़ रही महंगाई की वजह से उपभोक्ता कम खर्चे कर रहे हैं। उधर वहां की सरकारों ने भी अपने नियमों को और कड़ा कर दिया है। ऐसे में महंगाई आसमान छूती जा रही है और अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचने के साथ आर्थिक मंदी धीरे धीरे हावी होती जा रही है। कल सामने आए आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो साल के शुरुआती तीन महीनों में यूरो क्षेत्र में आर्थिक उत्पादन में गत तिमाही की अपेक्षा 0.1% गिरावट दर्ज की गई है।

आखिर यूरो क्षेत्र में ऐसे हालात पैदा कैसे हुए। दरअसल इस क्षेत्र में गत वर्ष मुद्रास्फीति बढ़ गई थी। यह रूस के यूक्रेन पर जबरदस्त आक्रमण के बाद हुआ था। इससे ईंधन की कीमतें तेजी से बढ़ी थीं। इस बार मई में कुल उपभोक्ता मूल्यों में एक साल ​पहले के मुकाबले 6.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। सरकारी खर्च में तेजी से आई गिरावट 2023 की शुरुआत में जीडीपी में गिरावट की एक और प्रमुख वजह रही थी।

असल में, अर्थतंत्र में यदि लगातार दो तिमाहियों में सिकुड़न हो तो यह मंदी की परिभाषा में आता है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2022 की चौथी तिमाही में यूरो क्षेत्र में आर्थिक निस्तारण 0.1% नीचे गया था। इस वर्ष पहली तिमाही में पिछली तिमाही के मुकाबले 0.1% गिरावट दर्ज की गई है। इसके बावजूद, यूरोप की अर्थव्यवस्था मोटे तौर पर मंदी से बची रही थी। यूरोपीय संघ में सकल घरेलू उत्पाद गत वर्ष के अंत में 0.2% गिरकर पहली तिमाही में 0.1% के स्तर पर पहुंच गया ​था।

यूरो क्षेत्र के डाटा को लेकर यूरोप के मशहूर अर्थशास्त्री एंड्रयू केनिंघम कहते हैं कि बढ़ी कीमतों और बढ़ती ब्याज दरों की वजह से परिवारों की खर्च करने की ताकत पर बुरा असर पड़ा है। इस पर पिक्टेट वेल्थ मैनेजमेंट में मैक्रोइकॉनॉमिक अनुसंधान प्रमुख फ्रेडरिक डुक्रोज़ेट अपने ट्वीट में कहते हैं, ”मुद्रास्फीति के लिए समायोजित होने के बाद आय में हैरतअंगेज हालात का सामना करना पड़ सकता है।”

आखिर यूरो क्षेत्र में ऐसे हालात पैदा कैसे हुए। दरअसल इस क्षेत्र में गत वर्ष मुद्रास्फीति बढ़ गई थी। यह रूस के यूक्रेन पर जबरदस्त आक्रमण के बाद हुआ था। इससे ईंधन की कीमतें तेजी से बढ़ी थीं। इस बार मई में कुल उपभोक्ता मूल्यों में एक साल ​पहले के मुकाबले 6.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। सरकारी खर्च में तेजी से आई गिरावट 2023 की शुरुआत में जीडीपी में गिरावट की एक और प्रमुख वजह रही थी।

पैंथियॉन मैक्रोइकॉनॉमिक्स में यूरोजोन के प्रमुख अर्थविद क्लॉस विस्टेसन का कहना है कि यूरोप में इस गिरावट के पीछे खासकर जर्मनी तथा आयरलैंड में देखी जा रही गिरावट है। जर्मनी का जीडीपी 2023 के शुरू के तीन महीनों में जीरो बढ़त के पूर्वानुमान की तुलना में 0.3% गिरा। इसकी बड़ी वजह रही पिछले साल के ईंधन मूल्य के कारण उपभोक्ता पर तेजी से आया बोझ। यूरो क्षेत्र में मंदी और गहराने वाली है। ऐसा तब होगा जब यूरोप का सेंट्रल बैंक ब्याज दरों को तय करने के लिए बैठक करेगा। हो सकता है यह बैठक अगले ही सप्ताह हो। लेकिन मुद्रास्फीति तो आज भी बैंक के लक्ष्य से तीन गुना ज्यादा ही है। इस दर को नीचे लाने के लिए अगर दाम बढ़ाए जाते हैं तो अर्थव्यवस्था की हालत और पतली हो सकती है।

समग्र यूरोपीय संघ और यूरो क्षेत्र आज अमेरिकी अर्थव्यवस्था से पीछे चल रहे हैं। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के डाटा को देखें तो पता चलता है कि गत वर्ष के आखिर में 0.6% की वृद्धि के बाद शुरू की तिमाही में अटलांटिक की जीडीपी में 0.3% की वृद्धि हुई थी। सालाना आधार पर, अमेरिका की अर्थव्यवस्था गत तिमाही के मुकाबले इस जनवरी-मार्च के दौरान सिर्फ 1.3% ही आगे बढ़ी थी।

Topics: economyयूरोपयूरोपीय संघcurrencyamericaeconomistrussiadownfallukraineurozonewarयूरोeuropeeuroeuGDPrecessionmarket
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