कनाडा की सरकार ने आखिरकार फैसला कर लिया है कि वह अपने यहां विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों को उनके देश वापस भेजेगी जो फर्जी कागजों के आधार पर यहां पढ़ने आए हैं। इनमें करीब 700 छात्र भारत के हैं, और वह भी अधिकांशत: पंजाब के। कनाडा सरकार के इस फैसले के विरुद्ध अब ये भारतीय छात्र सीमा पर धरने पर बैठ गए हैं।
आखिर कनाडा की त्रूदो सरकार ने यह फैसला क्यों लिया है? दरअसल, कनाडा में भारत से बहुत बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने जाते हैं। विभिन्न माध्यमों से दाखिले के कागजात लेकर उनके आधार पर वे मोटा पैसा खर्च करके केैसे भी वहां के कालेजों, विश्वविद्यालयों में दाखिला ले लेते हैं। ऐसे अधिकांश मामले पंजाब में उन लोगों द्वारा किए जा रहे हैं जो मोटे कमीशन पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में संकोच नहीं करते।
फर्जी ‘कालेज एजेंटों’ के चक्कर में पड़कर पंजाब से वहां पढ़ने जाने वाले छात्र सबसे ज्यादा हैं। अब कनाडा की सरकार ने ऐसे 700 से ज्यादा भारतीय छात्रों की पहचान की है, जो फर्जी कागजों के आधार पर यहां दाखिला लेकर पढ़ रहे थे। अब ये छात्र मुश्किल में घिर गए हैं। कल आए सरकार के एक सख्त फैसले के बाद उन पर वापस भारत भेजने का खतरा आन खड़ा हुआ है।
We’re actively investigating recent reports of fraudulent acceptance letters.
To be clear: Our focus is on identifying culprits, not penalizing victims. Victims of fraud will have an opportunity to demonstrate their situation & present evidence to support their case.
— Sean Fraser (@SeanFraserMP) May 26, 2023
कनाडा के आप्रवासन मंत्री सीन फ्रेजर का ट्वीट
पंजाब सरकार पहले तो सोती रही जब ये फर्जी एजेंटों की बाढ़ आई थी और कनाडा जाने के इच्छुक छात्र उनके चंगुल में फंस रहे थे। अब जब पानी सिर पर आ गया है तब आम आदमी पार्टी की सरकार को होश आया है।
कनाडा सरकार के इस फैसले के विरुद्ध अब ये भारतीय छात्र वहां धरने—प्रदर्शन पर उतर आए हैं। मीडिया से मिले समाचारों के अनुसार, त्रूडो सरकार ने घोषणा कर दी है कि इन भारतीय छात्रों को भारत वापस भेजा जाएगा। इस घोषणा के बाद से ही, ये 700 से ज्यादा भारतीय छात्र वहां सीमा सेवा एजेंसी के दफ्तर के बाहर और मिसिसॉगा हवाई अड्डे पर धरने पर बैठे हैं। इनका 29 मई से धरना चल रहा है। फर्जी कागजातों के आधार पर दाखिला लेने वाले इन छात्रों का भविष्य अधर में है। कुछ को भारत वापस भेजा जा चुका है जबकि अगले जत्थे को भी लौटाने की तैयारी है।
इसमें संदेह नहीं है कि गत कुछ वर्षों से भारत के, विशेषकर पंजाब के छात्र कनाडा में पढ़ने में खास दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, हर वर्ष भारत से लगभग ढाई लाख छात्र पढ़ने के लिए कनाडा जाते हैं। वहां से डिपोर्ट की गई एक छात्रा लवप्रीत ने आहत होकर ट्वीट में एजेंटों की पोल खोली है, “अनेक ट्रेवल एजेंट भारतीय छात्रों को धोखाधड़ी का शिकार बना रहे हैं। वे उनके फर्जी कागज बनवा रहे हैं।” उसने अपनी आपबीती बताते हुए लिखा है, “एक एजेंट ने उसे कहा था कि वह कॉलेज से बात न करे, जहां उसे दाखिला मिला था। वहां से उस एजेंट ने कहा था, उसे किसी और कॉलेज में भेज दिया जाएगा।” लवप्रीत का इस बात पर शक तो हुआ था। फिर उसने देखा कि उसके फार्म वगैरह कॉलेज की साइट पर कहीं दिखने में नहीं आ रहे थे। पता चला उसके कागजात फर्जी थै। लवप्रीत 2017 में मिसीसौगा में पढ़ने गई थी। उसे भारत वापस भेजा जा चुका है।
मुसीबत में फंसे इन भारतीय छात्रों ने कनाडा के आप्रवासन मंत्री सीन फ्रेजर से बात की है। फ्रेजर ने भरोसा दिलाया है कि वह कुछ कर पाए तो अवश्य करेंगे। 700 छात्रों के दाखिले के ‘ऑफर लेटर’ फर्जी थे, इसके खुलासा मार्च, 2023 में हुआ था। उसके बाद ही इन छात्रों के कागजातों की पड़ताल शुरू हुई। सामने आया कि उनके तो सारे कागज ही फर्जी थे।
मामले के तूल पकड़ने पर त्रूदो सरकार ने अब छात्रों को वापस भारत भेजने का फैसला किया है। यह कार्रवाई शुरू हो चुकी है। उधर पंजाब के एनआरआई से जुड़े मामलों के प्रभारी मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने भारत के विदेश मंत्री से गुहार लगाई है कि इस मामले में मदद करें।
दरअसल पंजाब सरकार पहले तो सोती रही जब ये फर्जी एजेंटों की बाढ़ आई थी और कनाडा जाने के इच्छुक छात्र उनके चंगुल में फंस रहे थे। अब जब पानी सिर पर आ गया है तब आम आदमी पार्टी की सरकार को होश आया है।
लेकिन दुख की बात है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को तो अभी भी ओछी राजनीति से फुर्सत नहीं है। वे तो अपने आका अरविंद केजरीवाल के साथ विपक्षी नेताओं के दरवाजे खटखटाते हुए केन्द्र सरकार के विरुद्ध ‘फर्जी मोर्चा’ बनाने की जुगत में हैं। ऐसे भगवंत मान फर्जी एजेंटों के विरुद्ध सख्ती करेंगे, इसकी संभावना कम ही है।
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