अयोध्या में बाल रूप में भगवान श्रीराम विराजमान हैं। एक पांच वर्षीय बालक के रूप में बनाई जानी है। इसके लिए तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार उपयुक्त पत्थरों से मूर्ति तराशने का कार्य प्रारंभ कर चुके हैं।
भगवान श्रीराम अयोध्या में बाल रूप में विराजमान हैं। इसलिए, उनकी मूर्ति एक पांच वर्षीय बालक के रूप में बनाई जानी है। इसके लिए तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार उपयुक्त पत्थरों से मूर्ति तराशने का कार्य प्रारंभ कर चुके हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने ट्वीट के जरिये बताया कि ‘कर्नाटक के मूर्तिकार डॉ. गणेश भट्ट, जयपुर के मूर्तिकार सत्य नारायण पांडेय और कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज तीन अलग-अलग पत्थरों पर तीन अलग-अलग मूर्तियां बना रहे हैं। अन्य प्रतिमाओं पर अभी विचार नहीं हुआ है।’ ये तीनों प्रतिमाएं अलग भाव-भंगिमाओं के साथ तैयार की जाएंगी। इसमें श्रीराम मंदिर ट्रस्ट जिस प्रतिमा को फाइनल करेगा, वही गर्भगृह में स्थापित होगी। इन प्रतिमाओं को तैयार करने में लगभग चार महीने का समय लगेगा।
डॉ. गणेश भट्ट अपने शिष्य विपिन भदौरिया के साथ मिलकर कर्नाटक के मैसूर की कृष्ण शिला से प्रतिमा बनाएंगे। कार्य शुरू करने से पहले मूर्तिकार भट्ट और उनकी टीम ने कृष्ण शिला की पूजा की। अरुण योगीराज अपनी पसन्द का पत्थर मैसूर से लाए हैं। राजस्थान के जयपुर निवासी मूर्तिकार सत्य नारायण पांडेय और उनके बेटे मकराना के विशिष्ट पत्थर से मूर्ति तराशने का कार्य कर रहे हैं। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में बन रहे मंदिर के सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए भी पत्थरों पर कई खूबसूरत मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। हमारे शास्त्रों की कहानियों के आधार पर मूर्तियों को तराशा जा रहा है। निर्माण कार्यक्रम के अनुसार श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रतिमाओं को खंभे, आधार और अन्य निर्दिष्ट स्थानों से जोड़ने की संभावना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान रामलला विराजमान को टेंट में बने गर्भगृह से उठाकर अपनी गोद में लिया और पूरे विधि-विधान से चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया। रामलला को साढ़े नौ किलोग्राम चांदी से निर्मित सिंहासन पर स्थापित किया गया। यह सिंहासन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी बिमलेंद्र मोहन मिश्र ने ट्रस्टी चंपत राय को सौंपा था। चांदी का सिंहासन जयपुर में बनवाया गया।
श्री चंपत राय ने बताया कि मूर्तियों का निर्माण प्रारंभ हो गया है। अलग-अलग प्रकार के पत्थरों से मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। अनुमान है कि निर्धारित समय के अंदर प्रतिमाएं तैयार हो जाएंगी। अन्य प्रतिमाओं के बारे में अभी विचार नहीं किया गया है।’ परकोटे के बाहर दक्षिण दिशा में 7 अन्य मंदिर बनने हैं। इनके बारे में अभी विचार-विमर्श चल रहा है। पूरा विश्वास है कि दिसंबर के महीने में मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचने के लिए 34 सीढ़ियां होंगी। वृद्ध श्रद्धालुओं के लिए लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध होगी।
श्रीराम मंदिर का विरोध करने वाले राम मंदिर बनने की तिथि पर सवाल उठाते थे। उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद विगत 25 मार्च, 2020 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान रामलला विराजमान को टेंट में बने गर्भगृह से उठाकर अपनी गोद में लिया और पूरे विधि-विधान से चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया। रामलला को साढ़े नौ किलोग्राम चांदी से निर्मित सिंहासन पर स्थापित किया गया। यह सिंहासन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी बिमलेंद्र मोहन मिश्र ने ट्रस्टी चंपत राय को सौंपा था। चांदी का सिंहासन जयपुर में बनवाया गया।
इस सिंहासन के पृष्ठ पर सूर्यदेव की आकृति बनाया गई है। इसके साथ ही इस पर दो मोर भी बने हैं। उसके बाद 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर शिलान्यास पूजन किया। इसके बाद मंदिर निर्माण की औपचारिक शुरुआत हो गई। वर्तमान में श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। बाहर से मंदिर का स्वरूप दिखाई पड़ने लगा है। भूतल पर लगभग 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। यहीं पर जनवरी, 2024 में भगवान रामलला विराजमान की मूर्ति स्थापित की जाएगी। 71 एकड़ में तैयार हो रहे भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की सहायता ली जा रही है।
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