अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब यह खबर आई थी कि उत्तराखंड से सटी एलएसी पर चीन अपने ‘गांव’ बसा रहा है। ये ‘गांव’ चीन की एक बड़ी साजिश का हिस्सा ही हैं जिसके तहत ऐसे करीब 400 गांव बसाए जाएंगे। इन गांवों में ‘गांव वाले’ नहीं बल्कि खबर है कि फौजियों की चौकियां होंगी जो किसी भी ‘आपात स्थिति’ में फौरन हरकत में आ जाएंगे। अब ऐसी ही एक और चौंकाने वाली खबर अक्साई चिन से आई है। यहां भी चीन विवादित क्षेत्रों में तेजी से चौकियां, सड़कें आदि बना रहा है। यहां तक कि उसके द्वारा हैलीकॉप्टर सहेजने का अड्डा भी बनाया गया है। यह खुलासा ब्रिटेन के एक थिंक टैंक ने किया है।
2020 में लद्दाख सीमा पर चीन के भारत के हाथों पिटने के बाद, दोनों देशों के बीच कमांडरों के स्तर पर शांति वार्ता के कई दौर हो चुके हैं। हर दौर के बाद चालाक चीन ‘भारत के साथ स्वस्थ और मजबूत रिश्ते बनाए रखने’ का रटा—रटाया बयान जारी करता रहा है। लेकिन बातचीत करने पर मुद्दों को लटकाए रखने की मानसिकता में ही रहा है।
दूसरी तरफ सीमा पर उसकी चालाकियां और सैन्य हलचलें बढ़ती ही गई हैं। इनसे कम्युनिस्ट ड्रैगन की असली मंशाएं जाहिर होती रही हैं। यूं तो भारत ने भी चीन के साथ हुए अपने अनुभवों को ध्यान में रखते हुए सीमाओं की सुरक्षा कहीं ज्यादा चौकस की हुई है, लेकिन तो भी हमारे विशेषज्ञ निगरानी बनाए रखते हैं। इसलिए अक्साई चिन पर चीनी फौज की ताजा हरकतों की पोल खुली है। ब्रिटिश थिंक टैंक चैथम हाउस की रिपोर्ट ने भी इस बात की पुष्टि की है कि चीन विवादित अक्साई चिन क्षेत्र में फौज से जुड़े निर्माण कार्य कर रहा है। वहां उसने सड़कें, चौकियां और कैंप बनाने शुरू कर दिए हैं, एक हवाई अड्डा भी बन रहा है।
2020 में गलवान में हुए संघर्ष के बाद तो विशेषरूप से चीन का दूसरों के इलाकों पर हावी होते जाने की मंशा खुलकर सामने आई है। तिब्बत, अरुणाचल, लद्दाख से सटी सीमाओं पर चीन ने बुनियादी ढांचे के निर्माण में गुपचुप काम करना जारी रखा हुआ है। भारत को घेरने के लिए वह जितनी चालें चल सकता है, चल रहा है।
लंदन के इस थिंक टैंक की रिपोर्ट का आधार गत छह माह में मिले उपग्रह डाटा हैं। पता चला है कि पिछले साल अक्तूबर महीने से ही सैटेलाइट के माध्यम से इस क्षेत्र में चीन की हरकतों पर नजर बनी रही थी। इससे मिली तस्वीरों की बारीकी से जांच करने के बाद सामने आया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन ने बड़ी संख्या में बुनियादी ढांचे खड़े कर लिए हैं।
एलएसी के पास चीन ने न सिर्फ सड़कों को चौड़ा कर लिया है, उन्हें और बढ़ा लिया है, बल्कि सैन्य चौकियां और ऐसे कैंप बना लिए हैं जिन पर पानी का असर नहीं होता। तस्वीरों से इस निर्माण में पार्किंग की जगह, सोलर पैनल तथा हैलीपैड भी तैयार दिखे हैं।
थिंक टैंक की रिपोर्ट बताती है कि विवादित इलाके में अग्रिममोर्चे से कुछ हटकर अक्साई चिन की झील के पास हेलीकॉप्टर के लिए एक पोर्ट बन रहा है। हेलीकॉप्टर ही नहीं, इसमें ड्रोन भी रखे जा सकेंगे। वहीं पास में एक छोटी सी हवाई पट्टी भी है। इनके बन जाने से विवादित और साल में अधिकांश समय बर्फ से ढके रहने वाले अक्साई चिन तथा आसपास के इलाकों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की उपस्थिति और संचालन क्षमता बढ़ जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन कोई पहली बार एलएसी के पास ऐसे निर्माण नहीं करा रहा है। 2020 में गलवान में हुए संघर्ष के बाद तो विशेषरूप से चीन का दूसरों के इलाकों पर हावी होते जाने की मंशा खुलकर सामने आई है। तिब्बत, अरुणाचल, लद्दाख से सटी सीमाओं पर चीन ने बुनियादी ढांचे के निर्माण में गुपचुप काम करना जारी रखा हुआ है। भारत को घेरने के लिए वह जितनी चालें चल सकता है, चल रहा है।
भारत के सैन्य अधिकारियों ने भी हर सीमा पर अपनी तैयारी पूरी रखी हुई है। उनके वहां लगातार दौरे होते हैं। एक से एक हथियारों की वहां तैनाती की जा रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समय समय पर सीमाओं पर जाकर जवानों का हौंसला बढ़ाते हैं।
टिप्पणियाँ