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शिवाजी के राज्याभिषेक के व्यापक प्रभाव

शिवाजी के 1674 में राज्यारोहण से कर्नाटक के विजयनगर साम्राज्य के पतन के करीब दो सौ वर्ष बाद भारत में पुन: एक बार हिंदू साम्राज्य की स्थापना से धर्म-संस्कृति को महान सम्बल प्राप्त हुआ। गांव-गांव में समर्थ गुरू रामदास के सत्संगों में अपार जनसमूह एकत्रित हो धर्म संस्थापन के लिए सन्नद्ध होने की प्रेरणा प्राप्त करने लगा।

by WEB DESK
Jun 2, 2023, 06:56 pm IST
in भारत, कर्नाटक
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राज्यारोहण से कर्नाटक के विजयनगर साम्राज्य के पतन के करीब दो सौ वर्ष बाद भारत में पुन: एक बार हिंदू साम्राज्य की स्थापना से धर्म-संस्कृति को महान सम्बल प्राप्त हुआ।

शिवाजी के 1674 में राज्यारोहण से कर्नाटक के विजयनगर साम्राज्य के पतन के करीब दो सौ वर्ष बाद भारत में पुन: एक बार हिंदू साम्राज्य की स्थापना से धर्म-संस्कृति को महान सम्बल प्राप्त हुआ। गांव-गांव में समर्थ गुरू रामदास के सत्संगों में अपार जनसमूह एकत्रित हो धर्म संस्थापन के लिए सन्नद्ध होने की प्रेरणा प्राप्त करने लगा।

‘‘धर्मसाठी मरावे, मरोनि अवध्यांस मारावे
मारिता मारिता ध्यावें, राज्य आपुले।।’’
समर्थ रामदास का यह उद्घोष शिवाजी के राज्याभिषेक से लेकर 1857 के महासमर के क्रांतिकारियों, वीर सावरकर के ‘‘अभिनव भारत’’ के सदस्यों के हृदय में मां भारती की स्वतंत्रता के लिए प्रेरणामंत्र की तरह गूंजने लगा। शिवाजी के राज्यभिषेक से सुप्त हिन्दू शौर्य का ऐसा व्यापक जागरण हुआ कि दिल्ली का मुगल ताज कुछ ही वर्षों में उसके सामने मिमियाने लगा।

शिवाजी के राज्याभिषेक से लेकर 1857 के महासमर के क्रांतिकारियों, वीर सावरकर के ‘‘अभिनव भारत’’ के सदस्यों के हृदय में मां भारती की स्वतंत्रता के लिए प्रेरणामंत्र की तरह गूंजने लगा। शिवाजी के राज्यभिषेक से सुप्त हिन्दू शौर्य का ऐसा व्यापक जागरण हुआ कि दिल्ली का मुगल ताज कुछ ही वर्षों में उसके सामने मिमियाने लगा।

अंग्रेजों को भगाने में क्रांतिकारियों के लिए शिवाजी का जीवन वृत्त और राज्यभिषेक एक श्रेष्ठ प्रेरणा स्रोत की तरह प्रयुक्त हुआ। लोकमान्य तिलक ने 1895 में शिवाजी उत्सव का प्रारंभ किया जिससे देशभर में देशभक्ति का ज्वार उठा।

रवीन्द्रनाथ टैगोर ‘‘प्रतिनिधि’’ नामक कविता में बंगाल के अंग्रेजभक्त जागीरदारों को शिवाजी के माध्यम से कड़ी फटकार लगाते हैं कि राज्याभिषेक के बाद समर्थ रामदास शिवाजी से कहते हैं कि यह हिन्दू पद-पादशाही भगवान शिव का राज्य है। तुम शिव के ‘‘प्रतिनिधि’’ के रूप में सज्जनों का प्रतिपालन और दुष्टों, विधर्मियों, आक्रांताओं का निर्दलन करो।

1897 में ‘‘शिवाजी उत्सव’’ बंगाल में भी शुरू होने पर टैगोर लिखते हैं कि यह बड़े शर्म की बात है कि जब शिवाजी ने महाराष्ट्र से स्वतंत्रता का आह्वान किया था, तब बंगाल ने उसका प्रत्युतर नहीं दिया। लेकिन अब शिवाजी से प्रेरणा लेकर बंगाल को स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभानी है। इसके बाद सशस्त्र क्रांति में बंगाल ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

इस प्रकार शिवाजी के राज्याभिषेक ने भारतीय स्वांतत्र्य संग्राम में एक मशाल का काम किया और वर्तमान परिस्थितियों में भी शिवाजी की हिन्दू पद-पादशाही ही भारत की समस्त समस्याओं का समाधान और उसके विश्व गुरू पद संस्थापन का आदर्श प्रतिमान और प्रेरणा स्रोत हो सकती है।

Topics: धर्म-संस्कृतिHindu Post-Padshahiभारतीय स्वांतत्र्य संग्रामCall for Independence from Maharashtraमुगल ताजशिवाजी के राज्याभिषेक ने भारतीय स्वांतत्र्य संग्राम में एक मशाल का कामहिन्दू पद-पादशाहीमहाराष्ट्र से स्वतंत्रता का आह्वानWidespread effects of Shivaji's coronationAscension of ShivajiInnovative IndiaReligion-Cultureशिवाजी का राज्यारोहणIndian Freedom Struggleअभिनव भारतMughal Crown
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