केंद्र सरकार सहकारी क्षेत्र के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना लेकर आई है। इसके तहत एक लाख करोड़ रुपये खर्च करके 700 लाख टन भंडारण क्षमता विकसित की जाएगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में इसके लिए एक अंतरमंत्रालयी समिति बनाए जाने को मंजूरी दी है। सहकारिता मंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से जुड़े और मंत्री और सचिव शामिल होंगे।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इससे कृषि क्षेत्र में भंडारण क्षमता की कमी को दूर किया जाएगा। वर्तमान में देश के पास उत्पादन के लिहाज से 47 प्रतिशत ही भंडारण क्षमता है। इस समय 310 लाख टन के मुकाबले कुल 1450 लाख टन की भंडारण क्षमता है। सहकारिता के माध्यम से इसमें 700 टन लाख टन भंडारण क्षमता का इजाफा किया जाएगा। यह भंडारण क्षमता विकेंद्रीकृत होगी और ब्लॉक स्तर पर 2000 लाख टन के भंडारण क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इससे किसानों को अपने कृषि उपज को भंडारण के अभाव में जल्दी से बेचना नहीं पड़ेगा। देश के अन्न भंडारण को होने वाला नुकसान कम होगा। ब्लॉक स्तर पर होने की वजह से स्थानीय स्तर पर भंडारण क्षमता से ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम होगा। इससे पंचायत स्तर पर रोजगार पैदा होंगे।
सरकार ने इसके लिए संबंधित मंत्रालयों की कई योजनाओं की पहचान की है, जिनका उपयोग इस योजना में किया जाएगा।
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