भोपाल : मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में तीन शावकों समेत छह चीतों की मौत से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। सरकार के सभी प्रयासों के बाद भी एक के बाद एक मौंते पिछले दिनों इन चीतों की हुई हैं, ऐसे में इन्हें अन्य नेशनल उद्यानों में स्थानांतरित करने का सुझाव भी सामने आ चुका है। फिर भी सरकार ने अभी अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी है। अब केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि चीतों की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन और प्रस्तावित चीता प्रोटेक्शन फोर्स के लिए केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय संसाधन सहित हर संभव सहयोग दिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो शीघ्र ही चीता परियोजना अंतर्गत चीता संरक्षण एवं प्रबंधन में संलग्न अधिकारी और कर्मचारियों को नामीबिया-दक्षिण अफ्रीका अध्ययन प्रवास के लिए चयनित कर भेजेंगे।
दरअसल, केन्द्रीय मंत्री यादव सोमवार को भोपाल प्रवास के दौरान यहां मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश के वन मंत्री डॉ. विजय शाह और राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस संबंध में उच्च स्तरीय बैठक में चर्चा कर रहे थे, उन्होंने कूनो राष्ट्रीय उद्यान के लिए अतिरिक्त वन रक्षक और वनपाल की व्यवस्था का आग्रह करते हुए कहा कि अधो-संरचना और मानव संसाधन दोनों आवश्यक हैं। परियोजना से संबंधित भ्रामक सूचनाएं प्राय: सामने आती हैं। आमजन को भी प्रामाणिक जानकारी मिलना चाहिए।
कूनो में सात खुले वन क्षेत्र में और दस चीते अनुकूलन बाड़ों में रह रहे
केन्द्रीय मंत्री यादव ने बताया कि वे आगामी छह जून को कूनो राष्ट्रीय उद्यान जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे। इसके साथ ही उनका कहना रहा कि वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में सात चीते खुले वन क्षेत्र और 10 चीते अनुकूलन बाड़ों में रह रहे हैं। आगामी नवम्बर तक चीतों के लिए वैकल्पिक रहवास के तौर पर गांधी सागर अभयारण्य को भी तैयार किया जा रहा है। कूनो में भी अनुमानित क्षमता के मुकाबले अभी चीते कम हैं। चीतों की देखभाल करने वाला स्टॉफ भी परिश्रमी है। परियोजना निश्चित ही सफल होगी। मध्यप्रदेश सरकार गंभीरता से परियोजना के क्रियान्वयन के लिए कार्य कर रही है। परियोजना में फारेन एक्सपर्ट की सेवाएं निरंतर मिल ही रही हैं।
मध्यप्रदेश सरकार चीता परियोजना की सफलता के लिए प्रतिबद्ध- शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में कहा कि मध्यप्रदेश चीता स्टेट है। यह प्रतिष्ठा की बात है। राज्य सरकार चीता परियोजना की सफलता के लिए प्रतिबद्ध है। प्रारंभ में ही चीता शावकों के जन्म के सर्वाइवल रेट की जानकारी दी गई थी। चीता परियोजना से जुड़ा सम्पूर्ण अमला, जज्बे के साथ कार्य कर रहा है। परियोजना की प्रगति संतोषजनक है। उन्होंने निर्देश दिए कि चीतों के लिए वैकल्पिक रहवास के लिए गांधी सागर अभयारण्य में आवश्यक व्यवस्थाएं युद्ध स्तर पर पूर्ण करवाएं। बैठक में परियोजना से पर्यटन विकास की गतिविधियों पर भी चर्चा हुई।
केंद्रीय मंत्री से की गई आधुनिक वाहन की मांग
वन मंत्री डॉ. शाह ने चीता की मॉनिटरिंग में तैनात कर्मचारियों को सुरक्षा की दृष्टि से आधुनिक वाहन भी उपलब्ध करवाने का सुझाव दिया। बैठक में केन्द्रीय वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव सीपी गोयल, मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव वन जेएन कांसोटिया, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. एसपी यादव, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला, प्रधान मुख्य वन संरक्षण वन्य-प्राणी जेएस चौहान, अपर सचिव वन विभाग अशोक कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
(सौजन्य सिंडीकेट फीड)
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