उत्तराखंड सरकार द्वारा सरकारी जमीनों पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए चलाए जा रहे अभियान का विरोध करने दिल्ली और अन्य शहरों से टूलकिट्स रामनगर पहुंचने लगे हैं। ढफली बजाकर जनहित गाकर ये टूलकिट्स सोशल मीडिया पर एकाएक सक्रिय हो गए है।
रामनगर वामपंथियों की प्रयोगशाला के रूप में जाना जाता है। पिछले दिनों यहां कोसी नदी खनन क्षेत्र किनारे सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने का अभियान चल रहा है। अरबों रुपए की सरकारी जमीन पर बाहरी प्रदेशों से लोगों ने आकर नदी श्रेणी की वन भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है। सरकार इसे जनसंख्या असंतुलन की बड़ी वजह मानते हुए यहां सर्वे कर अतिक्रमणकारियों को चिन्हित कर उन्हें हटाने का काम कर रही है। पूचड़ी, स्वाल्दे इलाके में इन दिनों वामपंथी युवाओं की टोली नुक्कड़ नाटक और ढफली बजाते दिख रही है। दिल्ली से आए ये टूलकिट्स स्थानीय चंद वामपंथी नेताओं को साथ लेकर सरकार विरोधी माहौल बना रहे हैं।
उल्लेखनीय है उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने स्पष्ट कहा है कि राज्य में जनसंख्या असंतुलन को रोकने के लिए अतिक्रमण हटाना जरूरी है। बीजेपी कहती है कि एक वर्ग विशेष के लोग योजनाबद्ध तरीके से उत्तराखंड के जंगलों में मजहबी चिन्हों की आड़ लेकर बस रहे हैं। नदी किनारे, सिंचाई विभाग, केंद्र सरकार की रेलवे जमीनों पर अवैध कब्जे कर बस रहे हैं इन्हें हटाना जरूरी है। बीजेपी के शहर अध्यक्ष मदन जोशी का कहना है कि वोट बैंक की लालच में कांग्रेस और वामपंथी उत्तराखंड की संस्कृति से खिलवाड़ कर रहे हैं। इनकी करतूतों से राम नगर एक दिन रहीम नगर बन जाएगा। विपक्ष दल इस कार्य में आतुर दिखाई देते हैं।
दूसरी ओर वामपंथी संगठन, विपक्षी दल कांग्रेस वोट बैंक की लालच में इन अवैध कब्जेदारों के समर्थन में आंदोलन चलाए जा रहे हैं। हल्द्वानी में रेलवे जमीन पर अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में भी यही टूलकिट्स सक्रिय हुए थे। अभी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
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