28 मई को, जब इसका उद्घाटन हुआ, उसी दिन स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर की 140वीं जयंती भी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। 64,500 वर्ग मीटर भूखंड पर इसका निर्माण 15 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ था।
नया संसद भवन। इसे 28 माह में तैयार किया गया है। 28 मई को, जब इसका उद्घाटन हुआ, उसी दिन स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर की 140वीं जयंती भी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। 64,500 वर्ग मीटर भूखंड पर इसका निर्माण 15 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ था।
केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में संसद में कहा था कि मौजूदा संसद भवन का आवश्यकता से अधिक उपयोग किया जा चुका है। अब न तो इसका और उपयोग किया जा सकता है और न ही इसमें नई संरचना की गुंजाइश बची है। लोकसभा सीटों के लिए नए सिरे से परिसीमन होगा तो सीटें भी बढ़ेंगी। ऐसी स्थिति में मौजूदा संसद भवन में सांसदों की बढ़ने वाली संख्या के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए नए संसद भवन का निर्माण जरूरी है। दरअसल, 1971 में परिसी मन के आधार पर लोकसभा सीटों की संख्या 545 तय की गई थी, जिसमें अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है।
नए संसद भवन का वास्तुशिल्प बिमल पटेल ने तैयार किया है। विहंगम दृष्टि से देखें तो यह नाचते हुए मोर जैसा दिखता है, जबकि राज्यसभा की थीम कमल है। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत गोलाकार मौजूदा संसद भवन के दोनों ओर दो त्रिभुजाकार इमारतें बनाई गई हैं। नए और पुराने संसद भवन को एक साथ देखने पर यह किसी हीरे की तरह दिखाई देता है।
नए संसद भवन के निर्माण में प्रयुक्त बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट राजस्थान के धौलपुर और जैसलमेर से मंगाए गए हैं। इसमें प्रयुक्त लकड़ियों पर नक्काशी मुंबई के कारीगरों ने की है, जबकि फर्श पर भदोही (उत्तर प्रदेश) में हाथ से बुने कालीन बिछे हैं। ‘कर्तव्य पथ’ (राजपथ) सेंट्रल विस्टा परियोजना का ही एक हिस्सा है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री 8 सितंबर, 2022 को कर चुके हैं।
नया संसद भवन चार मंजिला, भूकंपरोधी और क्षेत्रफल में पुराने भवन से 17,000 वर्ग मीटर बड़ा है। इसमें सभी कार्यालय, कैफेटेरिया और भोजन का स्थान तक उच्च तकनीक से युक्त है।
नए संसद भवन की जरूरत क्यों?
मौजूदा संसद भवन लगभग 100 वर्ष पुराना है। यह 1927 से प्रयोग में है। इसका डिजाइन ब्रिटिश काल की जरूरतों के अनुसार किया गया था। देश आजाद हुआ तो संसद के रूप में इसका प्रयोग होने लगा। लेकिन जैसे-जैसे सांसदों, संसदीय कार्यों और कर्मचारियों की संख्या बढ़ी, तो जगह छोटी पड़ती गई। इसलिए गलियारों में कार्यालय बना दिए गए, जिससे जगह संकरी होती गई। इसी तरह, भवन में असंवेदनशील तरीके से कई बदलाव किए गए, जिससे इसकी संरचना को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है। जैसे-1956 में इसके बाहरी गोलाकार हिस्से में दो नई मंजिलें बनाने से केंद्रीय कक्ष का गुंबद छिप गया। बाद में सुरक्षा कारणों से खिड़कियों पर लोहे की जालियां लगाई गर्इं, जिससे दोनों सदनों के कक्ष में अंधेरा हो गया।
अभी लोकसभा में अधिकतम 552 और केंद्रीय कक्ष में अधिकतम 436 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। इसमें इतनी जगह नहीं है कि दोनों सदनों के सदस्य साथ बैठ सकें या बैठने की जगह का विस्तार किया जा सके। संयुक्त सत्र के दौरान गलियारों में कम से कम 200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था करनी पड़ती है, जो न तो गरिमा के अनुरूप है और न ही सुरक्षित। कारण, आवाजाही के लिए पर्याप्त जगह नहीं बचती है। भवन भूकंपरोधी भी नहीं है। जब इसका निर्माण हुआ था, उस समय दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-2 में थी, अब यह उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र-4 में पड़ती है।
इसकी अग्नि शमन प्रणाली भी पुरानी है। आपात स्थिति में निकासी की व्यवस्था अपर्याप्त व असुरक्षित है। मंत्रियों के कार्यालय और बैठक कक्ष, भोजन सुविधाएं, प्रेस कक्ष जैसी सुविधाएं भी पर्याप्त नहीं हैं। बिजली, यांत्रिक, वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था, आॅडियो, दृश्य-श्रव्य, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली और सुरक्षा अवसंरचना बहुत पुरानी है, जिसका आधुनिकीकरण जरूरी था।
ऐसा है नया संसद भवन
नए संसद भवन की सबसे बड़ी विशेषता संविधान हॉल है, जिसमें संविधान की प्रति रखी जाएगी। संसद भवन के बीचोंबीच बने संविधान हॉल के ऊपर अशोक स्तंभ लगा है। इस हॉल में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस व देश के प्रधानमंत्रियों की बड़ी तस्वीरें भी लगाई गई हैं। इस हॉल के एक ओर लोकसभा, दूसरी ओर राज्यसभा और तीसरी तरफ सेंट्रल लाउंज है, जहां खुली जगह भी है।
नया संसद भवन चार मंजिला, भूकंपरोधी और क्षेत्रफल में पुराने भवन से 17,000 वर्ग मीटर बड़ा है। मौजूदा संसद भवन का क्षेत्रफल 47,500 वर्ग मीटर है। नए भवन में 3 द्वार हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और वीआईपी के लिए अलग प्रवेश की व्यवस्था है। इसके अलावा, सांसदों, महिलाओं व वीआईपी के लिए लाउंज, पुस्तकालय और पर्याप्त पार्किंग स्थल भी हैं। संसदीय कार्यों, अधिकारियों-कर्मचारियों के कार्यालय, कैफेटेरिया और भोजन का स्थान तक उच्च तकनीक से युक्त है।
मौजूदा संसद में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 (238 निर्वाचित और 12 मनोनित) सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है, जबकि नई लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सीटें हैं। यानी संयुक्त सत्र के दौरान लोकसभा में 1272 सांसद बैठ सकेंगे। आगंतुक गलियारे में 336 से अधिक लोग बैठ सकते हैं।
कोरोना से पहले बना खाका
सरकार ने सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान के पुनर्विकास का खाका मार्च 2020 में कोरोना महामारी फैलने से पहले सितंबर 2019 में तैयार कर लिया था। इसमें छोटी-बड़ी अनेक परियोजनाएं हैं, जिन्हें 6 वर्ष में (2026 तक) पूरा किया जाना है। 20,000 करोड़ की लागत वाले सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान में नए संसद भवन सहित, कर्तव्य पथ, कॉमन केंद्रीय सचिवालय के 10 भवन, केंद्रीय सम्मेलन स्थल, राष्ट्रीय अभिलेखागार के लिए अतिरिक्त भवन (विरासत भवन के अलावा), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) व सुरक्षा अधिकारियों के लिए नए भवन तथा उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास, पीएमओ, कार्यकारी एन्क्लेव, मंत्रिमंडल सचिवालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में राष्ट्रीय संग्रहालय का स्थानांतरण आदि शामिल हैं। इसमें लगभग 90 एकड़ में नवनिर्मित स्थानों पर हटमेंट की पुनर्स्थापना और स्थानांतरण भी शामिल है। सेंट्रल विस्टा विकास/पुनर्विकास मास्टर प्लान की अन्य परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
जैसा कि पहले कहा जा चुका है, मौजूदा संसद भवन औपनिवेशिक काल में निर्मित हुआ था, जिसे वायसराय के ‘काउंसिल हाउस’ के रूप में डिजाइन किया गया था। सेंट्रल विस्टा विकास/पुनर्विकास योजना के विपरीत इसे पूर्ण विकसित लोकतंत्र के लिए द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया था। विभिन्न संवैधानिक संशोधन अधिनियमों के अनुसार 1976 से लोकसभा की मौजूदा संख्या 552 पर स्थिर बनी हुई है।
इस हिसाब से आज प्रत्येक लोकसभा सदस्य औसतन 25 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। यह संख्या आजादी के समय लगभग 5 लाख थी, जो विश्व के अन्य लोकतंत्रों की तुलना में बहुत अधिक है। इसलिए संसद में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए मांगें उठी हैं। इस संबंध में पूर्व लोकसभा अध्यक्षों, मीरा कुमार ने 13.07.2012, सुमित्रा महाजन ने 09.12.2015 और वर्तमान स्पीकर ओम बिरला ने 02.08.2019 को सरकार को पत्र लिखकर नया संसद भवन बनाने का अनुरोध किया था।
लोकसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन किया जाना है, तो सुनिश्चित करना जरूरी भी था कि में कार्य करने के लिए व्यापक व्यवस्था हो। मौजूदा संरचना का व्यापक अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकला कि संसद की क्षमता बढ़ाने, बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करने और भूकंप से सुरक्षा के लिए नया संसद भवन आवश्यक है।
पर्यावरण अनुरूप निर्माण
सेंट्रल विस्टा परियोजना में पेड़ नहीं काटे जाएंगे, बल्कि हरित क्षेत्र और बढ़ाया जाएगा। निर्माण में इसका भी ख्याल रखा जा रहा है कि पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। सेंट्रल विस्टा क्षेत्र के 3,230 पेड़ों को बदरपुर में एनटीपीसी द्वारा विकसित इको पार्क में स्थानांतरित किया गया है, जिन्हें इस क्षेत्र में दोबारा प्रतिरोपित किया जाएगा। साथ ही, परियोजना स्थलों, सेंट्रल विस्टा क्षेत्र सहित दिल्ली में कुल 36,083 पेड़ लगाए जाएंगे, जिससे हरित क्षेत्र काफी बढ़ जाएगा। क्षतिपूर्ति के तौर पर बदरपुर इको पार्क में 32,330 लगाए जाने वाले पेड़ भी इसमें शामिल हैं।
सुरक्षित रहेगी विरासत
सेंट्रल विस्टा में सूचीबद्ध किसी भी विरासत भवन जैसे- इंडिया गेट, संसद भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक, राष्ट्रीय अभिलेखागार या अन्य इमारत को तोड़ा नहीं जाएगा, बल्कि इनका नवीनीकरण किया जाएगा। अभी राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रीय अभिलेखागार और आईजीएनसीए में रखी गईं पेंटिंग, मूर्तियां, पांडुलिपियां, संग्रह व अन्य विरासत और सांस्कृतिक कलाकृतियों को संरक्षित किया गया है।
परियोजना पूरी होने के बाद कर्तव्य पथ में अतिरिक्त सार्वजनिक व हरित स्थल जुड़ने पर न केवल क्षेत्र में खुलापन आएगा, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र का दायरा भी बढ़ जाएगा। साथ ही कर्तव्य पथ, राष्ट्रीय संग्रहालय, आईजीएनसीए, इंडिया गेट, इसके प्लाजा और लॉन जनता के लिए उपलब्ध होंगे। नार्थ और साउथ ब्लॉक के लगभग 80,000 वर्गमीटर हिस्से को राष्ट्रीय संग्रहालय में बदला जाएगा, जहां आम लोग भी जा सकेंगे। इसके अलावा, सरकार द्वारा उपयोग में लाई जा रही 2.25 हेक्टेयर से अधिक सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक भूमि को हरित क्षेत्र में बदला जाएगा।
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