कर्नाटक चुनाव परिणाम आ गए हैं और जैसे ही कांग्रेस जीती, वैसे ही कांग्रेस के सामने कुछ मांगे आने लगी हैं। पहले तो वक्फ बोर्ड से यह मांग आई कि मुस्लिम को डिप्टी सीएम बनाया जाए, और पांच मंत्रियों की मांग की, परन्तु अब कथित कल्याणकारी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने वह मांगें रख दी हैं, या अपेक्षाएं व्यक्त की हैं जिन्हें सुनकर कोई भी भारत से प्रेम करने वाला स्तब्ध रह जाएगा। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने जो सबसे पहले मांग की है, वह ऐसी मांग है, जिससे उपजे दुष्परिणामों का विरोध ईरान में लड़कियां केवल कर ही नहीं हैं, बल्कि यह तक पता चला है कि वहां पर मृत्युदंड की संख्याओं में भी वृद्धि हो गई है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने निम्नलिखित मांगें की हैं
Amnesty officially asks Karnataka Govt to:
1. Remove Hijab ban
2. Legalize Cow slaughter
3. Enact revenge on Hindus who boycott Muslim shops.
The 1st curbs women's rights, 2nd promotes animal cruelty and 3rd is demanding payback on common Hindu citizens. pic.twitter.com/94Nc4TtFPT
— Hitesh Shankar (@hiteshshankar) May 24, 2023
पहली मांग महिला अधिकारों का हनन करती है। अनिवार्य हिजाब से उपजे दुष्परिणामों से लगातार ईरान की लड़कियां लड़ रही हैं। लगातार ही लड़कियां वहां पर मारी जा रही हैं। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब ईरान से इस मामले को लेकर मृत्युदंड की खबर न आए। अभी 21 मई को ही माजिद काजमी को मृत्युदंड दिया गया था, और इतना ही नहीं, उसके परिवार को भी पीटा गया था।
The problem with E.U. is they don't see true Nazi-like brutality of Iran's mullah regime. This is Majid Kazemi, a protestor who the regime just executed. That wasn't enough punishment for his family. Today they also beat his parents & arrested his siblings! #IranRevolution pic.twitter.com/HVQxmaj3lk
— Karmel Melamed (@KarmelMelamed) May 21, 2023
यह तो ईरान की बात है, भारत में भी एक ऐसा मामला आया था, जिसमें हिन्दू से मुस्लिम बनी एक महिला की उसके ही शौहर ने इस बात पर हत्या कर दी थी क्योंकि उसने बुर्के को पहनने में आनाकानी की थी। भारत में भी नित नए ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें मुस्लिम महिलाओं को बुर्का या हिजाब न पहनने को लेकर तंज कसा जाता है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि कथित प्रगतिशीलों की दृष्टि में मुस्लिमों का हिजाब पहनने पर जोर देना दरअसल अपनी मजहबी पहचान को बचाए रखने की एक कवायद भर है, वह ऐसे में उन लड़कियों के जीवन के अधिकारों को भी दांव पर लगा देते हैं। वह ईरान में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर बात नहीं करते हैं, परन्तु हां वह फ्रांस आदि देशों में बुर्के पर लगाए हुए प्रतिबंधों को लेकर इतने सजग होते हैं कि वह इसे पहचान का मामला बनाकर सुरक्षा के बिन्दुओं को एकदम दरकिनार कर देते हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल जितना मुखर होकर भारत में कर्नाटक में हिजाब पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की बात कर रही है, वह ईरान में केवल ”प्रोटेस्ट” तक ही सीमित है। वह यह तो लिख रहे हैं ईरान में मृत्युदंड का विरोध हो, परन्तु वह यह नहीं लिख रहे हैं कि आखिर यह प्रोटेस्ट किस विषय पर किए जा रहे हैं? लोगों का विरोध किन मुद्दों पर हैं, क्यों मारे जा रहे हैं?
मृत्युदंड की वजहों पर बात क्यों नहीं कर रही है एमनेस्टी इन्टरनेशनल? क्योंकि यदि उसने मुद्दे पर बात की तो उसका दोगला रूप दिखाई देगा क्योंकि हिजाब की अनिवार्यता जहां ईरान में लड़कियों की ही नहीं बल्कि लड़कों की जान ले रही है, तो वहीं भारत में एमनेस्टी का रुख हिजाब पर लगे प्रतिबन्ध को हटाना है।, और हिजाब कहीं और नहीं मात्र शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में प्रतिबंधित है।
कांग्रेस का नाता एनजीओ से बहुत पुराना है और कर्णाटक में भी कांग्रेस के नेता प्रियांक खड्गे ने इन सभी मामलों पर अपनी बात रखते हुए कहा है “भाजपा सरकार के समय बने हिजाब कानून, गो हत्या के खिलाफ कानून, धर्म परिवर्तन कानून जैसे लगभग दस कानून ऐसे हैं, जिन्हें वापस लिया जाएगा।”
कांग्रेस और एमनेस्टी जैसे एनजीओज की दृष्टि हिन्दू महिलाओं के लिए अलग हैं और मुस्लिम महिलाओं के लिए अलग। जहां हिन्दू महिलाओं के बीच किस ऑफ लव जैसे अभियानों को आगे बढ़ाते हैं, तो वहीं मुस्लिम लड़कियों के लिए वह हिजाब के अधिकार की बात करते हैं, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है !
इससे यह समझ आता है कि वोक एमनेस्टी को महिलाओं के अधिकारों की चिंता नहीं है और दूसरा जो बिंदु उठाया है वह पशुओं के प्रति क्रूरता की बात करता है। यह भारत का दुर्भाग्य है कि यहां पर और किसी भी पशु की बात करने वाले को एनीमल एक्टिविस्ट या एनीमल लवर कहा जाता है, परन्तु यदि प्रकृति के लिए आवश्यक गाय, जिसके साथ हिन्दुओं की सांस्कृतिक आस्था जुड़ी हुई है, उसके प्रति बात करने पर पिछड़ा, संघी आदि कहा जाता है। उसके वध को वैध ठहरने की निरंतर मांग की जाती है। क्या गाय का वध पशु क्रूरता से बाहर है या इस देश में हिन्दुओं की आस्था की बात करना वास्तव में अपराध है? वोक मानसिकता जहां गाय को मात्र एक पशु ही ठहराती है, वहीं भारत का लोक उसे गौमाता कहता है। भारत के लोक के सबसे चंचल एवं मनमोहना प्रभु श्री कृष्ण गाय के महत्व को स्थापित करते हैं।
वेदों में गाय और गाय के दूध की महत्ता किस प्रकार व्यक्त की गई है: जैसे ऋग्वेद के प्रथम मंडल में कई मन्त्र
ऋग्वेद संहिता, प्रथम मंडल, सूक्त 4, द्वितीय अनुवाक :: ऋषि :- मधुच्छन्दा वैश्वामित्र। देवता :- इन्द्र। छन्द :- गायत्री
सुरूपकृलुमूतये सुदुघामिव गोदुहे। जुहूमसि द्यविद्यवि॥
गो दोहन करने वाले के द्वारा, प्रतिदिन मधुर दूध प्रदान करने वाली गाय को जिस प्रकार बुलाया जाता है, उसी प्रकार हम अपने संरक्षण के लिए सौन्दर्य पूर्ण यज्ञ कर्म सम्पन्न करने वाले इन्द्र देव का आह्वान करते है।[ऋग्वेद 1। 4। 1]
दुहने हेतु गौ को पुकारने वाले के समान, अपनी सुरक्षा के लिए हम उत्तम कर्मा इन्द्रदेव का आह्वान करते हैं।
The manner in which a person who extract milk from the cow calls her, with affection & regard, we invite Indr Dev who perform excellent deeds, for the protector of our Yagy।
मनो न योऽध्वनः सद्य एत्येकः सत्रा सूरो वस्व ईशे।
राजाना मित्रावरुणा सुपाणी गोषु प्रियममृतं रक्षमाणा॥
मन की तरह शीघ्रगामी जो सूर्यदेव स्वर्गीय पद में अकेले जाते हैं, वे तुरन्त ही विविध धन प्राप्त करते हैं। शोभन और सुबाहु मित्र और वरुणदेव हमारी गौओं के प्रीतिकर और अमृत तुल्य दूध की रक्षा करते हुए अवस्थान करें।[ऋग्वेद 1।71। 9]
मन के समान द्रुतगति वाले, मेधावी लोगों को दाता सुन्दर भुजाओं वाले सखा और वरुण हमारी गौओं के श्रेष्ठ और अमृत तुल्य दूध की रक्षा करें।
Sury Dev who moves fast like the innerself-Man, becomes alone in his heavenly path and gets various kinds of wealth। Let Mitr & Varun Dev protect the excellent milk of our cows।
यह दोनों ही विषय जो एमनेस्टी ने उठाए हैं, कि कांग्रेस सरकार को हिजाब पर प्रतिबन्ध को समाप्त करना चाहिए और गौ वध को कानूनी बनाना चाहिए, दोनों ही मानवता पर प्रहार करते हुए हैं, क्योंकि यह महिलाओं के अधिकारों को संकुचित करने के साथ ही पशु क्रूरता को भी बढ़ावा देने वाले हैं, और वह भी उस पशु के प्रति, जो जिसके दूध को अमृत माना गया है और जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा आधार है
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