बहुविवाह पर सख्त सरमा
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

बहुविवाह पर सख्त सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अगले वर्ष तक बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा से प्रदेश में बहुत हद तक संतोष का भाव है। अगर दिक्कत है तो बस मुस्लिम समुदाय को क्योंकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस समुदाय में बहुविवाह का प्रतिशत ज्यादा है

by अरविंद कुमार राय
May 26, 2023, 08:28 pm IST
in भारत, असम, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की घोषणा आजकल खूब चर्चा में है। इस घोषणा से यह विमर्श छिड़ा है कि वर्तमान समय में बहुविवाह प्रथा की स्थिति क्या है? किन समुदायों में इसका चलन है? क्या यह जायज है?

असम में बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाए जाने की मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की घोषणा आजकल खूब चर्चा में है। इस घोषणा से यह विमर्श छिड़ा है कि वर्तमान समय में बहुविवाह प्रथा की स्थिति क्या है? किन समुदायों में इसका चलन है? क्या यह जायज है? क्या इस घोषणा के पीछे मुख्यमंत्री के निशाने पर कोई खास वर्ग है?

दरअसल भाजपानीत गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल की दूसरी सालगिरह पर मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने 2024 तक बहुविवाह की प्रथा पर रोक लगाने की घोषणा की। सरमा राजनीतिक रूप से कड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। इस घोषणा के चंद दिनों बाद ही मुख्यमंत्री ने एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर दिया। यह कमेटी सरकार को सभी कानूनी पहलुओं के संबंध में एक रिपोर्ट सौंपेगी। उसके बाद सरकार इस पर रोक लगाएगी।

गुजरात उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रूमी फूकन इस विशेषज्ञ समिति की अध्यक्ष होंगी। अन्य सदस्यों में महाधिवक्ता देबजीत सैकिया, अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली और अधिवक्ता नकीबुर जमां शामिल हैं। समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है।

हिंदुओं की 1.3 प्रतिशत, मुसलमानों की 1.9 प्रतिशत और दूसरे पांथिक समूहों की 1.6 प्रतिशत आबादी में अब भी बहुविवाह की कुप्रथा जारी। सर्वेक्षण के अनुसार असम में हिंदुओं में 1.8 प्रतिशत, मुसलमानों में 3.6 प्रतिशत और अन्य मत-पंथों में 1.8 प्रतिशत बहुविवाह की प्रथा

मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति इन मामलों के जानकारों से बात कर सरकार को ये सुझाव देगी कि किस तरह इस कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बहुविवाह प्रथा केवल मुसलमानों में ही नहीं है, बल्कि कुछ जनजातियों में भी है। ऐसे में सभी पहलुओं पर विचार करते हुए आगे बढ़ा जाएगा।

दरअसल जब असम सरकार ने बाल विवाह पर शिकंजा कसा तो कई ऐसे मामले सामने आए, जिन्हें देखकर मुख्यमंत्री चौंक गए कि सभ्य समाज में यह सब भी चल रहा है कि 60-65 साल का बुजुर्ग मुसलमान 14-15 साल की बच्ची से दूसरी-तीसरी शादी रचा रहा है। यह कैसे होने दिया जा सकता था! जांच के दौरान इस तरह के कई मामले सामने आए। इसी के बाद बहुविवाह पर प्रतिबंध का विचार आया।

बहुविवाह का प्रचलन

भारत की 1961 में हुई जनगणना में विवाहों के एक लाख नमूने लिये गये। इस सर्वेक्षण में बताया गया था कि मुसलमानों में बहुविवाह का प्रतिशत महज 5.7 था, जो दूसरे पंथों के समुदायों में सबसे कम था। पर इस जनगणना के बाद इस मुद्दे पर आंकड़े नहीं जुटाए गए।
बीते साल आए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के 2019-2020 के आंकड़ों में बताया गया था कि हिंदुओं की 1.3 प्रतिशत, मुसलमानों की 1.9 प्रतिशत और दूसरे पांथिक समूहों की 1.6 प्रतिशत आबादी में अब भी बहुविवाह प्रथा जारी है। सर्वेक्षण के अनुसार असम में हिंदुओं में 1.8 प्रतिशत, मुसलमानों में 3.6 प्रतिशत और अन्य मत-पंथों में 1.8 प्रतिशत बहुविवाह की प्रथा थी।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2005-06 के 1.9 प्रतिशत के मुकाबले 2019-20 में बहुविवाह के मामले घट कर 1.4 प्रतिशत रह गए थे। पूर्वोत्तर राज्यों में, मिसाल के तौर पर मेघालय में यह 6.1 प्रतिशत और त्रिपुरा में दो प्रतिशत है। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी यह प्रथा जारी है। तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा बाकी जगह यह प्रथा हिंदुओं के मुकाबले मुसलमानों में ज्यादा प्रचलित है।

शरीयत की आड़

मुख्यमंत्री एक व्यक्ति के चार विवाह के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कई तो एक पत्नी के बाद घर में दूसरी महिला को बतौर पत्नी रखते हैं, जो और भी बड़ा अपराध है। हमें इन सब पर भी रोक लगानी है। डॉ. सरमा का मानना है कि इसमें कई कानूनी दांव-पेंच हैं, इसको लेकर पिछले दिनों में काफी विचार किया गया है। उन्होंने कहा कि बहुविवाह प्रथा इस्लाम को छोड़कर अन्य प्राय: सभी मतों में प्रतिबंधित है। मुसलमान इसे शरीयत की धारा 2 के तहत जायज मानते हैं। उन्होंने अध्ययन में यह पाया है कि पैगंबर मोहम्मद भी एक विवाह के पक्षधर थे, उन्होंने कभी भी बहुविवाह प्रथा को आगे नहीं बढ़ाया।

बहुविवाह पर प्रतिबंध पर बहस असम सरकार ने प्रारंभ नहीं की है। यह मामला तब ज्यादा चर्चा में आया जब दिल्ली में रेशमा नाम की एक विवाहिता के पति शोएब ने दूसरा निकाह करना चाहा था। रेशमा ने 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय में इसके विरुद्ध अर्जी डाली। इसके बाद अगस्त 2022 में सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका के जरिए बहुविवाह पर प्रतिबंध की मांग की गई। इस पर सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।

अजमल ने किया विरोध

मुख्यमंत्री की इस घोषणा को लेकर सबसे अधिक विरोध मुसलमानों की रहनुमाई का दावा करने वाली पार्टी आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने किया। इस मामले में आशा के अनुरूप एआईयूडीएफ के अध्यक्ष एवं सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि ‘बहुविवाह की प्रथा इस्लाम मजहब की अपेक्षा अन्य पंथों में अधिक है।’ उनके अनुसार, भारत में अन्य मत-पंथों की तुलना में इस्लाम में बहुविवाह काफी कम होता है। इस्लाम में शरीयत के अनुसार बहुविवाह होने के चलते इसके तथ्य उपलब्ध होते हैं। इस तरह की शादी के बारे में कोई जानकारी नहीं होने या कानूनी रूप से उपलब्ध नहीं होने के कारण महिलाएं प्रताड़ित होती हैं।

सांसद अजमल के बयान और राज्य के आंकड़े एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। इसकी सच्चाई का अगर पता लगाना हो तो असम के धुबरी, बरपेटा, मोरीगांव, नगांव, होजाई, दक्षिण सालमारा-मानकचार, करीमगंज, हैलाकांदी आदि जिलों में होने वाले विवाहों का अध्ययन करना होगा। राज्य सरकार द्वारा बाल विवाह को लेकर की गई कार्रवाई सांसद अजमल के बयानों को सीधे तौर पर आईना दिखाती है। बाल विवाह के मामलों में जितने लोगों की गिरफ्तारी हुई है, इनमें सबसे अधिक संख्या इन्हीं जिलों से सामने आई हैं। असम सरकार बाल विवाह के बाद बहुविवाह जैसी कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए जो कदम उठाने जा रही है, उसका मुस्लिम समाज की पढ़ी-लिखी महिलाओं ने स्वागत किया है।

Topics: डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ)Democratic Front (AIUDF)बिहारपश्चिम बंगाल और ओडिशाWest Bengal and Odishabiharराष्ट्रीय  परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)National Family Health Survey (NFHS)तेलंगानाआंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़Andhra Pradesh and ChhattisgarhतमिलनाडुअजमलAjmalTamil Naduसांसद अजमलMP AjmalPolygamyडॉ. सरमाDr. SarmaTelanganaराष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)National Family Health Survey (NFHS) Sarma tough on polygamyबहुविवाह की कुप्रथाBad Marriageबुजुर्ग मुसलमानElderly MuslimsJharkhandपार्टी आल इंडिया यूनाइटेडParty All India Unitedझारखंड
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर (मुस्लिम युवक ने हिंदू लड़की पर धर्म परिवर्तन और गोमांस खाने का बनाया दबाव)

हिंदू बनकर शमशाद ने युवती से बनाए संबंध, फिर बोला- धर्मांतरण करो, गोमांस खाओ तब करूंगा निकाह

Representational Image

Tamil Nadu: 21 मंदिरों का 1000 किलो सोना पिघलाकर बैंकों में जमा कराया हिन्दू विरोधी स्टालिन सरकार ने

प्रतीकात्मक चित्र

झारखंड: बोकारो में मुठभेड़, 1 करोड़ का इनामी विवेक मारा गया, 8 नक्सली ढेर, हथियार और विस्फोटक बरामद

चुनाव नहीं ‘मुस्लिम आयुक्त’ : एसवाई कुरैशी पर निशिकांत दुबे का तीखा हमला, कहा- अब बंटवारा नहीं होगा

Jharkhand 44 christian Adopted sanatan Dharma

घर वापसी: झारखंड में 44 ईसाइयों ने अपनाया सनातन धर्म, 9 साल पहले हुआ था धर्मान्तरण

झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन, दाईं ओर उपद्रवियों का दुस्साहस

“जब ‘सरकार’ ही कहेंगे संविधान के ऊपर शरिया, तो दंगाइयों का दुस्साहस बढ़ेगा ही! “

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies