अपने को मानवाधिकार की रक्षा का ‘ठेकेदार’ मानने वाली विदेशी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बार फिर से दुस्साहस दिखाया है। उसने कर्नाटक की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार से कहा है कि वह भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए गोहत्या विरोधी कानून के साथ—साथ धर्मान्तरण विरोधी कानून को भी खत्म करे। इस संस्था ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार कर्नाटक के विद्यालयों में हिजाब पर लगी रोक को भी हटाए। यही नहीं, इसने यह भी मांग की है कि राज्य में जो लोग मुसलमान दुकानदारों के बहिष्कार की बात करते हैं, उनके विरुद्ध भी कार्रवाई हो।
इस संस्था का मानना है कि उपरोक्त सभी कानून मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों यानी मुसलमानों के विरुद्ध हैं। इसी से पता चलता है कि यह संस्था क्या करना चाहती है।
बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल की गतिविधियों को देखते हुए भारत सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बाद से ही इस संस्था के पदाधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और संघ विचार परिवार के विरुद्ध बयानबाजी करते रहते हैं। भाजपा का विरोध करने के लिए ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व महासचिव सलिल शेट्टी भी शामिल हुए थे।
यह भी बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल को अमरीकी खरबपति जॉर्ज सोरोस की संस्था आर्थिक मदद करती है। ये वही सोरोस हैं, जिनकी पहचान मोदी विरोध की है। वे किसी भी सूरत में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद से हटाना चाहते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सोरोस की इच्छा को पूरा करने के लिए ही एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत में कार्य कर रहा है।
ऐसा लगता है कि एमनेस्टी को कांग्रेस की तरह केवल मुसलमानों की चिंता है। इसलिए वह राज्य सरकार को निर्देश दे रहा है कि मुसलमानों की रक्षा करके ही सरकार अपने दायित्व का निर्वहन कर सकती है।
कुछ लोग कह रहे हैं कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इतना साहस कहां से लाता है! उन्हें पता होना चाहिए कि इसी एमनेस्टी इंटरनेशनल की सलाह पर सोनिया गांधी के नेतृत्व में राष्टीय सलाहकार परिषद बनाई गई थी। इसमें तीस्ता सीतलवाड, हर्ष मंदर जैसे सेकुलर शामिल थे। ये लोग हिंदुओं को कमजोर करने वाली नीतियां बना रहे थे। इसी परिषद ने दंगा विरोधी एक कानून की रूपरेखा बनाई थी। इसमें एक बहुत ही खतरनाक प्रावधान था कि कहीं भी दंगा होगा, उसके लिए हिंदुओं को दोषी ठहराया जाएगा। यदि 2014 में फिर से कांग्रेस की सरकार बनती तो यकीन मानिए कि यह कानून बन गया होता। और फिर आज देश में हिंदुओं की क्या स्थिति होती, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
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