बालविवाह पर पश्चिम का दोहरा रवैया: अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांकता पश्चिम ?
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

बालविवाह पर पश्चिम का दोहरा रवैया: अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांकता पश्चिम ?

जब यह कहा जाता है कि अंग्रेजों ने भारत से बाल विवाह का अंत कराया तो वहीं यूके और अमेरिका में बाल विवाह के आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं।

by सोनाली मिश्रा
May 25, 2023, 11:34 am IST
in भारत, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत के कथित प्रगतिशीलों द्वारा और उन तमाम वर्गों द्वारा एक बात दोहराई जाती है कि भारत में बाल विवाह का अंत अंग्रेजों ने किया और कथित रूप से महिलाओं के मसीहा अंग्रेज ही हैं, क्योंकि हिंदू तो अपनी बेटियों को दस से चौदह वर्ष में ही ब्याह देते थे। यह बात कह-कहकर वह अंग्रेजों द्वारा किए गए तमाम अत्याचारों को अनदेखा करने का प्रयास करते हैं।

औपनिवेशिक सोच और मानसिक गुलामी इस सीमा तक उन पर हावी है कि वह भारत की समृद्ध परंपरा को भुलाकर केवल अंग्रेजों को और पश्चिम को अपना मसीहा मान बैठे हैं, जबकि पिछले ही दिनों बाल विवाह को लेकर पश्चिम का दोहरा रवैया सामने आया है।

जब यह कहा जाता है कि अंग्रेजों ने भारत से बाल विवाह का अंत कराया तो वहीं यूके और अमेरिका में बाल विवाह के आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं। जहां भारत में लड़कियों के लिए विवाह की आयु 18 वर्ष है तो वहीं इंग्लैंड और वेल्स में पिछले वर्ष यह आयु बढ़कर 18 वर्ष हुई है, नहीं तो यह 16 वर्ष थी।

वहां पर बाल विवाह आम था और स्कॉटलैंड में अभी भी विवाह की उम्र 16 वर्ष है, अर्थात यदि लड़की की उम्र 16 वर्ष है तो वह किसी भी व्यक्ति से मन से विवाह कर सकती है, उसके लिए उसे अभिभावकों की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

इंग्लैंड और वेल्स में पिछले वर्ष जब विवाह की उम्र को 18 वर्ष करने का कानून आया और वह इस वर्ष फरवरी में लागू हुआ तो इसका उद्देश्य यह बताया गया कि इससे बच्चियों के अधिकारों और जीवन की रक्षा होगी। क्योंकि जल्दी शादी करने से उनके पढ़ने एवं अच्छी जिंदगी के अधिकारों पर प्रभाव पड़ रहा था। इस कानून का उल्लंघन करने पर 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है।

UK Government Report

वहीं भारत में वर्ष 1978 में ही लड़कियों के लिए विवाह की उम्र को 18 वर्ष किया जा चुका है। भारत जैसे देश अपनी संस्कृति और समय की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन में विश्वास करते हैं। फिर भी ऐसा क्यों है कि भारत को ही निशाने पर लिया जाता है, और महिलाओं के लिए कथित उद्धारक की छवि लिए पश्चिमी देश अपने देशों में बेटियों के अधिकारों पर बात नहीं करते हैं?

वह तो नहीं ही करते हैं, परन्तु सबसे अधिक दुर्भाग्य की बात यही है कि वह मीडिया भी बाल विवाह और विशेषकर पश्चिम एवं अमेरिका में बालविवाह के प्रश्न पर मौन है। इंग्लैंड और वेल्स में तो इस वर्ष फरवरी से विवाह की न्यूनतम आयु 16 से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है, परन्तु स्कॉटलैंड एवं उत्तरी आयरलैंड में यह अभी 16 वर्ष की ही है।

वर्ष 2018 में डीडब्ल्यू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में 13 वर्ष तक की बच्चियों की भी शादी कर दी जाती थी। मगर बच्चियों के लिए काम करने वाले लोगों ने इस विषय में बात उठाना आरम्भ किया एवं यह प्रश्न भी आरम्भ किया कि पूरे विश्व में ज्ञान बांटने वाला ब्रिटेन आखिर अपने लिए वही मापदंड क्यों नहीं अपनाता ? और न ही यह प्रश्न मीडिया का वह कथित प्रगतिशील वर्ग पूछता है जो भारत पर लगातार पिछड़ा होने का आरोप लगाकर हमलावर होता रहता है।

इसी रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन सांसद पौलिन लाथाम ने इस विषय पर सहमति व्यक्त की थी कि ब्रिटेन ने 5 करोड़ डॉलर विकासशील देशों में बालविवाह को रोकने के लिए खर्च कर दिए, मगर वह खुद अपने यहां बालविवाह होने दे रहा है, यह कैसी सनक है ?

इंग्लैंड और वेल्स की बात तो छोड़ दी जाए तो मानवाधिकारों के सबसे बड़े ठेकेदार अमेरिका के भी कई देश ऐसे हैं जहां पर बाल विवाह धड़ल्ले से हो रहा है और अब आते हैं वर्ष 2021 की उस रिपोर्ट पर जिसमें यह प्रश्न किया गया था कि आखिर अमेरिका में बालविवाह पर शोर क्यों नहीं हो रहा है ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर सभी को सहमत होना चाहिए कि आखिर भारत जैसे देशों में बाल विवाह पर प्रश्न उठाने वाले कथित पश्चिमी या कहें अमेरिकी चिंतक, कार्यकर्ता एवं प्रोपोगैंडाकर्ता अमेरिका के उन देशों के आंकड़ों पर बात क्यों नहीं करते जो चीख चीखकर बाल विवाह की वहां पर हकीकत बताते हैं।

कई जर्नल्स ने कई वर्षों में ऐसे आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, जो उन दावों की पोल खोलते हैं कि भारत जैसे देशों में ही बालविवाह होते हैं अमेरिका में नहीं। वर्ष 2021 में Journal of Adolescent Health 69 (2021) S8eS10 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार अमेरिका में वर्ष 2000 से 2018 के बीच लगभग 300000 बालविवाह हुए थे।

इसमें यह लिखा है कि अमेरिकियों को ही यह नहीं पता है कि बालविवाह उनके अपने ही देश में हो रहे हैं। इस शोध में उन्होंने विवाह प्रमाणपत्रों और अन्य आंकड़ों को खंगाला था और फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे। वह लिखते हैं कि हमने पाया कि वर्ष 2000 से 2018 के बीच 297,033 बालविवाह हुए थे और कुछ तो ऐसे भी बच्चे थे, जिनके विवाह दस वर्ष की उम्र में ही हो गए थे।

हालांकि, अधिकांश संख्या उन बच्चों की थी जिनके विवाह 16 से 17 वर्ष की आयु में हुए थे। इस शोध में लिखा है कि भारत जैसे देश में जहाँ पर क़ानून होने के बावजूद भी यह समस्या बनी हुई है, अमेरिका में कानून ही समस्या है। 18 वर्ष से पहले आयु में विवाह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के 50 में से 44 देशों में वैध है और जिन 6 प्रान्तों ने प्रतिबन्ध भी लगाया है वह केवल पिछले तीन वर्षों में ही लगाया है। journals.plos.org में प्रकाशित एक शोध के अनुसार भी यह निश्चित है कि अमेरिका में नागरिकों को यह नहीं पता है कि वहां पर भी बालविवाह प्रचलित है।  इसमें उन्होंने लिखा है कि उन्होंने कुछ शोध कराए थे जिसमें पूछा गया कि अमेरिका के कितने राज्यों में वर्तमान में बालविवाह कानूनी है, जिसमें आधे के करीब लोगों ने यह बताया कि बाल विवाह सभी राज्यों में गैर कानूनी है और लगभग सभी प्रतिभागियों का कहना था कि यह केवल 5 या कम राज्यों में कानूनी है। मगर उस शोध के अनुसार उन्होंने जो सर्वे किया था, उस समय केवल दो ही राज्यों में बालविवाह प्रतिबंधित था।

मीडिया में प्रकाशित कई रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका के केवल 7 राज्यों में ही बालविवाह पर प्रतिबंध है, शेष 43 राज्यों में विवाह के लिए न्यूनतम उम्र नहीं है।

प्रश्न यह उठता है कि भारत जैसे देशों को अपराधबोध के तले दबाने का अमेरिका जैसे देश का क्या उद्देश्य है जब खुद वहां पर ही बालविवाह को लेकर कानून नहीं हैं ? यदि अमेरिका पूरे विश्व की महिलाओं को सशक्त बनाना चाहता है या फिर कहें सशक्तिकरण का ठेकेदार बनना चाहता है तो उसे यह आरम्भ अपने घर से करना चाहिए। क्या कारण है कि अमेरिका तमाम देशों पर बालविवाह को लेकर तमाम नियम और कानून बनाने की वकालत करता है और अपने यहां इसे लागू रखता है ? क्या अमेरिका पर यह समान मापदंड लागू नहीं होने चाहिए ?

और जब भारत में औपनिवेशिक गुलाम यह बात करते हैं कि यदि अंग्रेज या पश्चिम नहीं होता तो भारत में लड़कियों का विवाह 10 से 16 वर्ष की आयु में ही हो जाता, तो ऐसे में वह आज के उन मुख्य समाचारों को क्यों छोड़ देते हैं, जिसमें बाल विवाह की पश्चिम में जो स्थिति है, उस पर बात की जा रही है।

जैसे इंग्लैंड और वेल्स में इस वर्ष से ही विवाह की उम्र 18 वर्ष हुई है, उससे पहले 16 वर्ष थी। अमेरिका के कई राज्य अभी तक इस पर बात ही नहीं कर रहे हैं !

आखिर इतनी मानसिक गुलामी का कारण क्या है ? लड़कियों के मामले में ठेकेदार बने बैठे पश्चिमी देश आखिर अपने ही देश में पनप रहे कचड़े को कब देखेंगे ? क्या उन्हें बालविवाह के मामले पर अपने गिरेबान में झांककर नहीं देखना चाहिए कि उनके यहां के आंकड़े क्या कहते हैं ?

परन्तु उनसे भी अधिक बढ़कर भारत और विशेषकर हिन्दुओं को लड़कियों के मामले में कोसने वाले कथित प्रगतिशील एक्टिविस्टों को यह नहीं देखना चाहिए कि आखिर पश्चिम की स्थिति क्या है ? जो अंग्रेज एशिया के देशों को बालविवाह के मामलों को लेकर कोसते हैं, उनके अपने यहां क्या कानून हैं ? क्या वहां पर लड़कियों को अधिकार मिले हैं ?

आत्महीनता से भरे एक्टिविस्ट संभवतया भारत के ही भाग्य में हैं, जो भारत का निरंतर अपमान कर ही पश्चिम की दृष्टि में स्वयं को उपयोगी प्रमाणित करना चाहते हैं !

Topics: पश्चिम में बाल विवाहchild marriage in westWhy double attitude of West on child marriageभारत में शादी री उम्रबाल विवाहअमेरिका में शादी की उम्रस्कॉटलैंडस्कॉटलैंड में शादी की उम्रस्कॉटलैंड में विवाह की उम्र 16 वर्षइंग्लैंड और वेल्सपश्चिमअमेरिका में बालविवाहपश्चिम में विवाह की उम्र
Share12TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Pakistan passes Anti Child marriage bill

पाकिस्तान: मुस्लिमों के लिए बच्चों के निकाह के खिलाफ पारित हुआ विधेयक, लोगों ने कहा इस्लाम के खिलाफ

प्रतीकात्मक तस्वीर

संघ स्वयंसेवकों का कमाल : गांव-बस्तियों में क्रांति, बाल विवाह-छुआछूत का हुआ अंत, शिक्षा से बदली जिंदगी

Scotish Poet Robert burns

डाइवर्सिटी का शिकार बने स्कॉटलैंड के राष्ट्रीय कवि रॉबर्ट बर्न्स: आधुनिक डाइवर्स रचनाओं के चलते किया गया अनदेखा

प्रतीकात्मक चित्र

अब ‘बाल विवाह मुक्त भारत’, राष्ट्रीय अभियान आज से होगा शुरू

मौलाना मुफ्ती तारिक मसूद का विवादित बयान

मौलाना मुफ्ती तारिक मसूद का विवादित बयान: मुसलमानों को नाबालिग लड़कियों से शादी करने की इजाजत, वीडियो वायरल

बेबी बंप संभालती 9 साल की बच्ची का वीडियो वायरल

9 साल की बच्ची का बेबी बंप संभालते हुए वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर इराक की आलोचना कर रहे यूजर्स

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

Nepal Rasuwagadhi Flood

चीन ने नहीं दी बाढ़ की चेतावनी, तिब्बत के हिम ताल के टूटने से नेपाल में तबाही

Canada Khalistan Kapil Sharma cafe firing

खालिस्तानी आतंकी का कपिल शर्मा के कैफे पर हमला: कनाडा में कानून व्यवस्था की पोल खुली

Swami Dipankar

सावन, सनातन और शिव हमेशा जोड़ते हैं, कांवड़ में सब भोला, जीवन में सब हिंदू क्यों नहीं: स्वामी दीपांकर की अपील

Maulana chhangur

Maulana Chhangur: 40 बैंक खातों में 106 करोड़ रुपए, सामने आया विदेशी फंडिंग का काला खेल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies