नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। इससे पहले ही इस पर विपक्ष की राजनीति शुरू हो गई है। नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे और विपक्ष इस बात पर अड़ा हुआ है कि उद्घाटन राष्ट्रपति या फिर लोकसभा अध्यक्ष के हाथों हो। विपक्ष इसके उद्घाटन कार्यक्रम का विरोध कर रहा है। विपक्ष के नेताओं ने इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की चेतावनी दी है। लेकिन यही नेता उस समय शांत हो जाते हैं, जब उनके राज्य का मामला होता है। नियम तो राज्यों पर भी लागू होता है। लेकिन मुख्यमंत्री राज्यपाल को सूचना देना तक उचित नहीं समझते हैं। इस तरह की घटना कांग्रेस साशित राज्य छत्तीसगढ़ में हुई है। कार्यक्रम में कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बुलाया गया था लेकिन राज्यपाल को सूचना तक नहीं दी गई थी। मामला छत्तीसगढ़ के नए विधानसभा भवन से जुड़ा है।
छत्तीसगढ़ में नए विधानसभा भवन का उद्घाटन हुआ था। छत्तीसगढ़ में नए विधान सभा भवन उद्घाटन के समय राज्यपाल अनुसुइया उईके थीं। वह जनजातीय समाज से छिन्दवाड़ा मध्य प्रदेश से आती हैं। उनका नाम शिलापट्ट पर नहीं है अपितु सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम अंकित है। विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उस समय कार्यक्रम की सूचना तक उन्हें नहीं दी थी। औपचारिक/अनौपचारिक कोई भी सूचना नहीं दी गई थी।
नए संसद भवन को लेकर विपक्ष की केवल विरोध की राजनीति दिख रही है। जिस समय नए संसद भवन का उद्घाटन होगा उस समय पूरी दुनिया की नजरें भारत पर होंगी। विपक्ष के नेता लोकतंत्र के मंदिर के उत्सव में शामिल नहीं होकर आखिर क्या जताना चाहते हैं? वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि विपक्ष की ये हरकत से संवैधानिक मूल्यों का अपमान हो रहा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के 19 राजनीतिक दलों के निर्णय की स्पष्ट रूप से निंदा की। NDA के बयान में कहा गया कि यह केवल अपमानजनक नहीं है, यह हमारे महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है। वहीं, बीजू जनता दल ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कार्यक्रम में हिस्सा लेगा।
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