शुभेन कर्मणा सौख्यं दु:खं पापेन कर्मणा।
कृतं फलति सर्वत्र नाकृतं भुज्यते क्वचित्।।
शुभ कर्म से सुख तथा पाप कर्म से दु:ख प्राप्त होता है, सर्वत्र कर्म ही फल देता है। बिना किए हुए कर्म का फल कहीं नहीं भोगा जाता।
-वेदव्यास
शुभेन कर्मणा सौख्यं दु:खं पापेन कर्मणा।
कृतं फलति सर्वत्र नाकृतं भुज्यते क्वचित्।।
शुभ कर्म से सुख तथा पाप कर्म से दु:ख प्राप्त होता है, सर्वत्र कर्म ही फल देता है। बिना किए हुए कर्म का फल कहीं नहीं भोगा जाता।
-वेदव्यास
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