भोपाल। मध्यप्रदेश की अमूल्य जनजातीय विरासत से समृद्ध कोल जनजाति के महत्व को रेखांकित करने के लिये मुख्यमंत्री निवास परिसर में आयोजित कोल जनजाति सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ”कोल समाज के अपने भले और भोले भाइयों-बहनों को मैं शीश झुकाकर प्रणाम करता हूँ।… त्योंथर में 9 जून को भगवान बिरसा के बलिदान दिवस पर कोल गढ़ी के पुनर्निर्माण के लिए शिलान्यास किया जाएगा। केवल कोल गढ़ी नहीं बनेगी, हम कोल समाज का सम्मान वापस लौटने का काम कर रहे हैं।”
भगवान बिरसा मुंडा हैं हम सभी के यशस्वी पूर्वज
उन्होंने कहा कि ”भगवान बिरसा हमारे कुल पुरुष हैं, उनके चरणों में प्रणाम करते हैं। हमारी भारतीय जनता पार्टी और आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी तय किया कि हर वर्ष भगवान बिरसा की जयंती को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाया जाएगा।” सीएम शिवराज ने कहा, कोल समाज को भगवान श्रीराम के वन गमन के दौरान पर्णकुटी बनाने का गौरव प्राप्त है। मां शबरी के प्रेमवश जूठे किए बेर भगवान श्रीराम ने खाए। इस समाज ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया। भगवान बिरसा मुंडा के डर से अंग्रेज कांपते थे। उनके नेतृत्व में और भी अनकों कोल योद्धाओं ने संघर्ष किया, हम सभी के यशस्वी पूर्वज हैं। जून में कोल गढ़ी का पुनर्निर्माण कर शिलान्यास कर दिया जाएगा। तारीख तय कर लो। अब भगवान बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि नौ जून को कोल गढ़ी के जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ किया जाएगा। हम कोल समाज का सम्मान वापस लौटाने का काम करेंगे।
कोल समाज के निर्धनों को आवासीय जमीन उपलब्ध कराएगी शिवराज सरकार
मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा है कि भाजपा और शिवराज सिंह की सरकार सबसे पहले गरीबों के लिए है, इसलिए कोल समाज के निर्धन भाइयों के घर की जरूरत पूरी करने के लिए एक सर्वे के बाद हम भूअधिकार अधिनियम के तहत सबको आवासीय जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। कोल समाज के जनप्रतिनिधि सूची बनाएं उसके आधार पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने में सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा, जरूरत पड़ी तो आवास के लिए अलग से योजना बनाएंगे।
पढ़ाई के लिए कोचिंग से लेकर कॉलेज की पूरी फीस भरेगी सरकार, उद्योग में भी मिलेगी पूरी सहायता
कोल समाज के बच्चों की पढ़ाई के लिए और सरकारी नौकरियों में और इंजीनियरिंग एवं मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग स्थापित किए जाने की घोषणा भी सीएम शिवराज द्वारा की गई। साथ ही कहा कि समाज के बच्चों के मेडिकल समेत इंजीनियरिंग की फीस भी सरकार भरेगी। उनके रहने को अगर हॉस्टल में जगह नहीं मिलेगी तो किराये के घर के लिए भी किराया सरकार के माध्यम से दिया जाएगा। समाज के बच्चे-बच्चे उद्योग व्यवसायों में आएंगे तो सरकार उनको भी सहायता देगी।
गंभीर रूप से बीमारों के इलाज की जिम्मेदारी अब सरकार की
शिवराज ने कहा कि हम चाहते हैं कि कोल समाज के युवक नौकरी तलाशने वाले नहीं देने वाले बनें, सीखो कमाओ योजना का लाभ लें, यहां व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ ही इस दौरान आठ हजार रुपए का स्टायपेंड भी दिया जाएगा। कोल समाज की बहनों के खातों में भी 10 जून से लाड़ली बहना योजना के माध्यम से हर माह एक हजार रुपए पहुंचाए जाएंगे। गंभीर रूप से बीमारों के इलाज की जिम्मेदारी भी सरकार उठाएगी। इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री ने समाज से भी सहयोग की अपेक्षा की और कहा कि इसके लिए सरकारी तंत्र के साथ समाज के प्रतिनिधि भी सहयोग के लिए आगे आएं।
कोल गढ़ी के जीर्णोद्धार के लिए 3.12 करोड़ रुपये स्वीकृत
इस दौरान मुख्यमंत्री ने त्योंथर की कोल गढ़ी के जीर्णोद्धार के लिए 3.12 करोड़ रुपये की स्वीकृत भी प्रदान की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोल जनजाति के हितग्राहियों को योजनाओं के हितलाभ वितरित किए। सम्मेलन में जनजातीय जन-प्रतिनिधि बड़ी संख्या में सहभागी बने। उल्लेखनीय है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी कोल जनजाति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस जनजाति ने अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार के विरुद्ध वर्ष 1831 में कोल विद्रोह किया था। विद्रोह का नेतृत्व बुधू भगत और मदारा महतो ने किया था। यह विद्रोह असमानता, शोषण और अत्याचार के विरूद्ध जनजातियों के लिये प्रेरणा का स्रोत बना। इसके बाद अन्य कई जनजातियों ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की।
मध्यप्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति है कोल
कोल जनजाति मुख्य रूप से वनोपज-संग्रहण, कृषि और मजदूरी से जीविकोपार्जन करते हैं। सरकार द्वारा जनजातियों के विकास के लिये संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलने से और औद्योगीकरण बढ़ने से कोल जनजाति का भी विकास हुआ है। अब इनके बच्चे भी उच्च शिक्षा में आगे आ रहे हैं। यह कोल जनजाति मध्यप्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति है। इनका देश की संस्कृति, गौरवशाली परम्परा और स्वंतत्रता आन्दोलन में अहम् योगदान है।
प्रदेश में कोल जनजाति की 10 लाख से भी ज्यादा जनसंख्या मुख्य रूप से रीवा, सतना, शहडोल, सीधी, पन्ना एवं सिंगरौली जिलों में निवास करती है। कोल जनजाति उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, असम, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्य में भी निवास करती है। यह खरवार समूह की एक प्राचीन जनजाति है। यह अपना संबंध राम भक्त शबरी माता से मानते हैं। महर्षि पाणिनी के अनुसार कोल शब्द ‘कुल’ से निकला है, जो ‘समस्त’ का भाव-बोधक है।
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