रांची। झारखंड में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) का मुखिया दिनेश गोप नेपाल से गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे रविवार को हवाई जहाज से रांची लाया गया। गुप्त स्थान पर ले जाकर उससे पूछताछ हो रही है। सुरक्षा दृष्टिकोण से पुलिस अधिकारी स्थान बताने से परहेज कर रहे हैं।
दिनेश गोप को शनिवार शाम नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को गिरफ्तारी की पुष्टि की। दिनेश पर झारखंड पुलिस ने जहां 25 लाख का इनाम घोषित किया था, वहीं एनआईए ने उसपर पांच लाख का इनाम घोषित कर रखा था। वह दो दशकों से फरार था।
झारखंड में खूंटी जिले के दिनेश गोप उर्फ कुलदीप यादव उर्फ बडकू के खिलाफ पहले एनआईए ने नोटबंदी की गई रुपये की बरामदगी से संबंधित मामले (आरसी-02/2018/एनआईए/डीएलआई) में चार्जशीट किया था। पीएलएफआई के कार्यकर्ताओं से 25.38 लाख रुपये के मामले में वह फरार था। पीएलएफआई के खिलाफ एनआईए रांची शाखा द्वारा जांच किए जा रहे दो मामलों में से एक था।
एनआईए की जांच के अनुसार, दिनेश गोप के खिलाफ झारखंड, बिहार और ओडिशा राज्यों में 102 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से अधिकांश मामले हत्या, अपहरण, धमकी, जबरन वसूली और पीएलएफआई के लिए धन जुटाने से संबंधित हैं। यह झारखंड में 2007 में गठित एक उग्रवादी माओवादी संगठन है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (सीपीआई-माओवादी) का एक अलग समूह भी है।
तीन फरवरी, 2022 को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदरी पुलिस थाने के वन क्षेत्र में दिनेश के नेतृत्व वाले पीएलएफआई दस्ते और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान कई राउंड फायरिंग हुई। दिनेश गोप यहां से भागने में सफल रहा और तब से ही फरार चल रहा था। साथ ही झारखंड में पीएलएफआई के गढ़ को फिर से स्थापित करने के लिए सक्रिय रहते हुए अलग-अलग जगहों पर शरण ले रहा था।
गोप व्यवसायियों, ठेकेदारों और जनता को बड़े पैमाने पर आतंकित करने के लिए अपनी पीएलएफआई टीम के सदस्यों के माध्यम से पैसे वसूलता और हमलों को अंजाम देता था। एनआईए की जांच से पता चला है कि वह सहयोगियों के साथ एक पेट्रोल पंप पर एक बैंक खाते में विमुद्रीकृत मुद्रा जमा करने में शामिल था, जिसे बाद में लेवी-जबरन वसूली के माध्यम से एकत्र किया जाना था। इसके बाद अवैध धन को दिनेश गोप के करीबी सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के नाम पर बैंकिंग चैनलों और संदिग्ध शेल कंपनियों के माध्यम से निवेश किया गया।
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