अडानी-हिंडनबर्ग मामले की का जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट आज सार्वजनिक हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह ने सभी लाभकारी मालिकों का खुलासा किया है। सेबी ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया कि वे अडानी के लाभकारी मालिकों की घोषणा को खारिज कर रहे हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी की रिटेल हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया के स्तर पर मौजूदा नियमों का किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं पाया गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सेबी के पास अभी 13 विदेशी संस्थाओं और प्रबंधन के तहत संपत्ति के लिए 42 योगदानकर्ताओं के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। सेबी इस पर निर्णय ले। इधर सेबी ने ईडी के मामले का उल्लेख करते रिपोर्ट में कोई आरोप नहीं लगाया है। रिपोर्ट में पाया गया कि भारतीय बाजारों को अस्थिर किए बिना नई कीमत पर अडानी के शेयर स्थिर हो गए। साथ ही रिपोर्ट में स्टॉक को स्थिर करने के लिए अडानी के प्रयासों को स्वीकार किया गया है।
विशेष समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सभी जांचों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की जरूरत है। साथ ही यह भी कहा गया है कि पैनल वर्तमान में यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकता है कि कीमतों में हेरफेर के आरोप में नियामक की विफलता रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी के शेयरों में अस्थिरता वास्तव में बहुत अधिक थी, जिसकी वजह हिंडनबर्ग की रिपोर्ट है।
गौरतलब है कि 24 जनवरी को 2023 को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसमें अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया था और अकाउंट्स में हेरफेर का आरोप भी लगाया था। इधर इन आरोपों को अडानी ग्रुप ने खारिज कर दिया था। इसके बाद विपक्ष ने इसको मुद्दा बनाया, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की थी।
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