नई दिल्ली। ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग व वैज्ञानिक परीक्षण कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्बन डेटिंग के फैसले के खिलाफ दायर मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के निहितार्थ के बाद से कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की अनुमति मिलने पर बारीकी से जांच की जाएगी, आदेश में संबंधित निर्देशों का क्रियान्वयन अगली तिथि तक स्थगित रहेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी, वाराणसी परिसर में सर्वे के दौनरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच व साइंटिफिक सर्वे का आदेश 12 मई को भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआइ) को दिया था। यह भी कहा था कि शिवलिंग को कोई क्षति न पहुंचे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थानीय अदालत का आदेश रद करते हुए ये फैसला सुनाया था। मुस्लिम पक्ष ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 की कमीशन कार्यवाही के दौरान मिले शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे एएसआई से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल वाद जिला अदालत वाराणसी ने खारिज किया था। जिला जज ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।
जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई। कोर्ट ने इसे दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया था।
क्या कहा मुस्लिम पक्ष ने
मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने परिसर में मिले शिवलिंग और उसके आसपास के क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। यह भी कहा है कि ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने के आदेश के खिलाफ पहले ही उसकी विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई, 2022 और 20 मई, 2022 को शिवलिंग वाले स्थान पर सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष ने विशेष अनुमति याचिका के साथ एक अर्जी भी दाखिल की है। जिसमें मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट जिला जज को आदेश दे कि वह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने तक इस मामले की सुनवाई टाल दें।
हिंदू पक्ष की दलील
हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर को ध्वस्त करके गुंबद बना कर मस्जिद बना दी गई थी। परिसर के अंदर दीवारों पर हिन्दू धर्म से जुड़े तमाम चिन्ह मिले हैं। परिसर का सर्वे होने पर सच्चाई दुनिया के सामने आ जाएगी। 16 मई 2022 में सर्वे का कार्य पूरा हुआ था। सच उसी समय बाहर आने लगा था। सर्वे के दौरान परिसर के अंदर स्वास्तिक, डमरू, कमल और त्रिशूल के निशान मिले थे। कई स्थानों पर पेंट करके छिपाने की कोशिश की गई है।
हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि अगर दूसरा पक्ष हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देता है तो इस दौरान कोर्ट उनका भी पक्ष सुने। उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि बिना उनका पक्ष सुने कोई आदेश न दिया जाए। मामला ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग से जुड़ा है।
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