60 वर्षीय किसान धर्मवीर सिंह कम्बोज महज आठवीं तक पढ़े हैं, लेकिन उनका दिमाग किसी कुशल इंजीनियर से कम नहीं है। उन्होंने मल्टीप्रो नाम से एक ऐसी खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रॉसेसिंग) मशीन बनाई है, जो न केवल विभिन्न तरीके के फलों के रस निकालती है, बल्कि जैम, चटनी, जूस की टॉफी, हलवा तक बना देती है।
हरियाणा स्थित यमुना नगर के 60 वर्षीय किसान धर्मवीर सिंह कम्बोज महज आठवीं तक पढ़े हैं, लेकिन उनका दिमाग किसी कुशल इंजीनियर से कम नहीं है। उन्होंने मल्टीप्रो नाम से एक ऐसी खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रॉसेसिंग) मशीन बनाई है, जो न केवल विभिन्न तरीके के फलों के रस निकालती है, बल्कि जैम, चटनी, जूस की टॉफी, हलवा तक बना देती है। इस मशीन की खासियत सिर्फ यही नहीं है, यह एक घंटे में 200 किलोग्राम आलू और कच्चे आम की छिलाई भी करती है। यह मशीन साबुन बनाती है, आटा भी गूंथती है, मूंग की बडियां भी तैयार कर देती है, लहसुन भी छीलती है गुलाब जल भी बनाती है और तुलसी के अर्क सहित सभी मसालों के तेल तक निकालने में सक्षम है।
धर्मवीर सिंह बताते हैं कि यह मशीन लगभग 100 से ज्यादा उत्पाद तैयार करती है। इसे बिजली, बैट्री और सौर ऊर्जा से भी चलाया जा सकता है। इसे बनाने की पृष्ठभूमि के बारे में धर्मवीर कहते हैं, ‘‘मैं दिल्ली में रिक्शा चलाता था, लेकिन दुर्घटना के चलते घर आ गया। कुछ समय बेकार बैठा रहा। ठीक हो गया तो काम की तलाश में अजमेर आ गया, जहां आंवला से जुड़ा काम होता था। जब आंवले को कद्दूकस करते थे तो हाथ छिल जाते थे। मैंने इसी समय सोचा, क्यों न एक ऐसी मशीन बनाई जाए जो ये सभी काम कर दे। चूंकि मैं कक्षा छह से ही कुछ नया करता रहता था। अंतत: 2006 में मैंने मल्ट्रीप्रो मशीन बनाई। इसे बनने में 11 महीने लगे। आज इस मशीन की मांग अनेक तरह की कंपनियों के साथ-साथ किसान क्लबों, स्वयंसहायता समूहों आदि में खूब हो रही है।’’
धर्मवीर इन मशीनों को चलाने का प्रशिक्षण भी देते हैं। वे बताते हैं कि कैसे आप एक घंटे में 400 हर्बल साबुन बनाएंगे, अर्क निकालेंगे और शैंपू आदि बनाएंगे। क्षमता के अनुसार 12 लीटर से 130 लीटर तक की चार तरीके की मशीनें हैं। इनकी कीमतें अलग-अलग हैं। कोई मशीन 72,000 रु. की है, तो कोई 2,00,000 रु. से अधिक में भी बिक रही है।
धर्मवीर अब तक 1,000 से ज्यादा मशीन बेच चुके हैं। 2018 में धर्मवीर ने खुद की फ्रुट प्रॉसेसिंग टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई। इसी बीच नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, हरियाणा सरकार ने भी उन्हें मदद दी। आज उनकी इस तकनीक की तूती विदेश में भी बोलती है। अफ्रीका में उन्होंने प्रशिक्षण भी दिया है। उनके कार्य से प्रभावित होकर फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने उन्हें 5,00,000 रु. दिए हैं। इसके साथ ही 2018 में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने उन्हें अपने बोर्ड का सदस्य बनाया है। इसके अलावा एनसीईआरटी ने भी अपने पाठ्यक्रम में इनके आविष्कार को शामिल किया है।
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