चीन भारत को घेरने और इसके पड़ोसी देशों को अपने पैसे के रौब में लेकर वहां अपने अड्डे स्थापित करने की अपनी धूर्त चाल पर चल रहा है। इसका एक ताजा प्रमाण मिला है। बंगाल की खाड़ी में अपनी उपस्थिति बनाकर चीन के भारत की जासूसी करने के संदेह से इनकार नहीं किया जा सकता है।
जानकारी मिली है कि ड्रैगन ने बांग्लादेश में एक पनडुब्बी अड्डा बनाया है। चीन के पैसे और मदद से बने इस ‘सबमरीन स्टेशन’ ने बंगाल की खाड़ी को भारत के लिए और संवेदनशील बना दिया है। क्योंकि बांग्लादेश में इस पनडुब्बी स्टेशन को चीन ने अपने पैसे से खड़ा किया है इसलिए सुरक्षा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि दरअसल इसका इस्तेमाल चीन अपनी पनडुब्बियों को तैनात करने के लिए करेगा।
चीन यह जानता है कि बांग्लादेश में अभी जो सरकार है उसे भारत की मित्रता पर भरोसा है। लेकिन साथ ही यह भी सच है कि वह एक गरीब देश है जिसके पास अपनी रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। भारत के दो अन्य पड़ोसियों, नेपाल और पाकिस्तान की ही तरह चीन लंबे समय से पड़ोसी बांग्लादेश में पूंजी निवेश के बहाने तलाश कर वहां की सरकार में अपने प्रति नरम लोगों को बैठाने का उत्सुक रहा है। बांग्लादेश की पूर्ववर्ती खालिदा सरकार के वक्त उसकी राह में रोड़े इसलिए कम थे क्योंकि खालिदा की कट्टर इस्लामी पार्टी बीएनपी यूं भी हिन्दू बहुल भारत के प्रति तिरछी नजर रखती थी; लेकिन आज वहां अवामी लीग की सरकार है और प्रधानमंत्री शेख हसीना मोदी सरकार के मैत्रीपूर्ण व्यवहार की कायल है।
चीन की चाल यही है कि गरीब देशों में खूब पैसा बहाकर उन्हें अपने शिकंजे में कस ले। श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल की अथव्यवस्थाएं तो वह कंगाल कर ही चुका है। अब बारी शायद बांग्लादेश की है। वहां भी कम्युनिस्ट ड्रैगन विकास की आड़ में पैसा झोंक रहा है।
लेकिन चीन की चाल यही है कि गरीब देशों में खूब पैसा बहाकर उन्हें अपने शिकंजे में कस ले। श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल की अथव्यवस्थाएं तो वह कंगाल कर ही चुका है। अब बारी शायद बांग्लादेश की है। वहां भी कम्युनिस्ट ड्रैगन विकास की आड़ में पैसा झोंक रहा है। इसी दिशा में बढ़ते हुए उसने शायद यह पनडुब्बी स्टेशन तैयार किया है। यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से चुनौती इसलिए है क्योंकि वहां से भारतीय नौसेना का अड्डा कोई बहुत दूर नहीं है।
चीन की मंशा को भांपना अब कोई मुश्किल बात नहीं रह गई है, ऐसे में संदेह है कि वह निकट भविष्य में इस पनडुब्बी स्टेशन पर अपनी पनडुब्बियों को जमा देगा। तब बंगाल की खाड़ी में भारत की युद्धक नीति पर वह नजर रख सकता है। वहां से चीन की जासूसी चलेगी।
जैसा पहले बताया, भारतीय नौसेना की पूर्वी कमान इस पनडुब्बी स्टेशन से दूर नहीं है, इसलिए भारत की निगाहें अभी से चौकन्नी हैं। खतरे की बात यह है कि चीन बांग्लादेशी नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास आदि की आड़ में चीनी पनडुब्बियों की इस क्षेत्र में आवाजाही बढ़ाएगा, भारतीय नौसेना की गुप्तचरी करेगा।
ऐसा माना जाता है कि विश्व के कुल कारोबार का लगभग 50 फीसदी हिस्सा समुद्र के रास्ते ही गुजरता है। यह मार्ग कारोबारी सामान के लिए सागरतट के देशों जैसे चीन, जापान, कोरिया को मध्य पूर्व तथा अफ्रीका से मिलाते हैं। बंगाल की खाड़ी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह स्वतंत्र है लेकिन खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी रणनीति के लिए अहम माना जाता है। यह बात चीन को खटकती रही है। वह बंगाल की खाड़ी को एक चुनौती की तरह देखता है। यह खाड़ी भारत और इंडोनेशिया के बीच में पड़ती है और दुनिया में सबसे बड़ी खाड़ी बताई जाती है।
बांग्लादेश में बने चीन के इस पनडुब्बी स्टेशन को नाम दिया गया है ‘बीएनएस शेख हसीना’, और यह अपनी तरह को वहां पहला पनडुब्बी स्टेशन है। बताया गया है कि इस स्टेशन पर एक वक्त में एक साथ 6 पनडुब्बियां तथा नौसेना के 8 पोत खड़े हो सकते हैं।
टिप्पणियाँ