इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में ज्ञानवापी, वाराणसी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच व साइंटिफिक सर्वे की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है। भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआइ) को बिना क्षति पहुंचाए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने जिला जज के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर शिवलिंग की साइंटिफिक सर्वे की जांच कराने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग से कहा कि शिवलिंग को “बिना खंडित किए वैज्ञानिक जांच करें”।
बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 की कमीशन कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे एएसआई से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल वाद जिला अदालत वाराणसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।
जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई। कोर्ट ने इसे दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया है।
17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में भी हुई थी सुनवाई
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में 17 अप्रैल को भी ज्ञानवापी मामले सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि वजू की कोई व्यवस्था करें। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि आगामी दिनों में जिलाधिकारी बैठक करके उचित फैसला करेंगे।
क्या होती है कार्बन डेटिंग विधि?
कार्बन डेटिंग के विधि की खोज 1949 में अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड फ्रैंक लिबी और उनके साथियों ने किया था। इस उपलब्धि के लिए उन्हें 1960 में रसायन का नोबल पुरस्कार दिया गया था। कार्बन डेटिंग की मदद से पहली बार लकड़ी की उम्र का पता लगाया गया था।
किस किस की हो सकती है कार्बन डेटिंग?
इस विधि के इस्तेमाल से किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है। इसके माध्यम से लकड़ी, कोयला, बीजाणु, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की आयु का पता लगाया जा सकता है। आप इसे ऐसे समझ सकते है की हर वो चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी आयु की गणना की इस विधि से की जा सकती है।
अनुपात से निकली जाती है उम्र
कार्बन डेटिंग की विधि में कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का अनुपात निकाला जाता है। वहीं किसी पत्थर या चट्टान की उम्र जानने के लिए उसमें कार्बन 14 का होना भी अति आवश्यक है। बता दें कि अमूमन 50 हजार साल पुरानी चट्टानों में कार्बन 14 पाया ही जाता है, लेकिन अगर किसी वजह से नहीं भी मिलता तो फिर उस पर मौजूद रेडियोएक्टिव आइसोटोप विधि से आयु का पता लगाया जा सकता है।
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