हरिद्वार : हरकी पैड़ी हिंदू तीर्थक्षेत्र में चुन्नू नाम से ढाबा चला रहा युवक, मुहम्मद मुनीर का बेटा निकला तो हरिद्वार में गंगा सभा और पंडा समाज ने हंगामा करके उसे पुलिस के हवाले कर दिया। ये हरिद्वार में कोई पहली घटना नहीं है। पंडा समाज ने पहले भी तीन ऐसे मुस्लिम युवकों को पकड़ा था जोकि यहां भ्रामक नाम से धंधाकर रहे थे। चुन्नू के ढाबे में हिंदू देवी देवताओं के बड़े-बड़े चित्र लगा रखे थे। पंडा और गंगा समाज सभी का कहना है कि हरिद्वार में खासतौर पर हरकीपैड़ी पर गैर हिंदू नहीं रह सकता। गैर हिंदू आए और वो गंगा स्नान करके वापिस चला जाए तो उन्हें कोई आपत्ती नहीं है।
उल्लेखनीय है कि 1916 में मदन मोहन मालवीय ने गंगा आंदोलन के समय ब्रिटिश हुकूमत के साथ ये करार किया था गंगा किनारे स्थित हिंदू तीर्थ स्थलों में गैर हिंदू का रात्रि में रुकना वर्जित है। इस वाक्य के पीछे यही अर्थ था कि कोई भी गैर हिंदू गंगा किनारे तीर्थ स्थलों में स्थाई निवासी नहीं बन सकता है। गंगा सभा यही विषय सामने रखकर ये विषय उठाती रही है।
चुन्नू को लेकर हंगामा भी इसी बात से शुरू हुआ जिसे पुलिस अपने साथ ले गई जहां उसके आधार कार्ड की जांच शुरू की गई है। चुन्नू मुस्लिम है और मऊ का रहने वाला है। हरिद्वार में गंगा किनारे बड़ी संख्या में मुस्लिम आकर बसते जा रहे हैं, जिन्हें लेकर कई बार विरोध के स्वर भी उठे हैं। हरिद्वार में कांवड़ सामग्री बेचने वाले, गंगाजल के जेरिकेन बेचने वालों की बाढ़ आ गई है, ये कौन लोग अचानक यहां आकर नदी क्षेत्र की भूमि पर बस गए है ? ये सवाल हरिद्वार के संत समाज की तरफ से उठता रहा है।
हरिद्वार ही नहीं उत्तराखंड के चारों धामों श्री हेमकुंड साहिब तक गैर हिंदू प्रवेश कर चुके हैं। केदारनाथ श्री हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर घोड़े खच्चर वाले, पीठू, पालकी वाले ज्यादातर मुस्लिम ही हैं और ये अब वहां स्थाई रूप से बसते जा रहे हैं। पहले ये लोग यात्रा समाप्त होते ही मैदानी क्षेत्रों में चले आते थे, लेकिन अब यात्रा के बाद भवन सामग्री, नदियों से खनन सामग्री, गांवों में फल, सब्जी की ढुलाई करते रहते हैं, यही नहीं ये लोग हिंदू पूजा सामग्री नारियल आदि का भी सड़क किनारे दुकानें लगाकर बैठ गए हैं।
इनकी आबादी में पिछले बीस सालों में तीन से चार गुना की वृद्धि हुई है। यही मुस्लिम और अब कबाड़ी भी मैदानी क्षेत्रों से आने वाली फल, सब्जी ढोने वाली गाड़ियों, कारपेंटर, पेंटर, प्लंबर, नाई, मिस्त्री, कार चालक आदि के लिए रिहायशी सुविधाएं उपलब्ध करवा कर देते हैं। मैदानी क्षेत्रों से आने वाले मुस्लिम ज्यादातर नजीबाबाद, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर से हैं जो कि पहाड़ों में बसकर जनसंख्या असंतुलन की समस्या खड़ी कर रहे हैं। जिसकी बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी अपने भाषणों में कई बार कर चुके हैं।
जब भी आप किसी गैर हिंदू से नाम पूछेंगे तो वो अपना नाम राजू, पिंटू, बंटी, हयात, गुलु, हरी जैसा बताएगा जैसे ही आप उसका आधार कार्ड देखेंगे तो असल नाम पता चल जाएगा या फिर ऑनलाइन भुगतान के लिए कोड स्कैन करेंगे तो सत्यता मालूम चल जाएगी।
पहाड़ी क्षेत्रों में गैर हिंदू या तो सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से कब्जेकर बसते जा रहे हैं या फिर सस्ती जमीन खरीदकर बस रहे हैं इन्हें रोकने के लिए हिमाचल की तरह कोई भू कानून नहीं है।
उत्तराखंड और हिमाचल देवभूमि मानी जाती है। जहां हिंदू तीर्थस्थल है हिमाचल राज्य जब बना था तब वहां बाहरी लोगों की जमीन खरीदने पर रोक लगाने के लिए भू कानून लागू कर दिया गया था। यही वजह है कि वहां मुस्लिम आबादी में जरा भी इजाफा नहीं हुआ, जबकि उत्तराखंड में ये इजाफा लगातार जारी है राज्य की मुस्लिम आबादी सोलह प्रतिशत से ज्यादा और चार मैदानी जिलों में ये पैंतीस प्रतिशत से ज्यादा हो गई है।
बहरहाल, उत्तराखंड में सामाजिक राजनीतिक परिवर्तन साफ दिखाई दे रहे हैं, जिससे हिंदू संत समाज और संगठन लगातार सरकार का ध्यान इस ओर खींच रहे हैं। राज्य में भू कानून में सुधार को लेकर एक समिति भी बनाई गई है और उसकी सिफारिशों का इंतजार है क्योंकि प्रभावी भू कानून ही देव भूमि के सनातन स्वरूप को बचा सकता है अन्यथा हरिद्वार के चुन्नू जैसी घटनाएं होती रहेंगी।
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